सोमवार, 17 जनवरी 2022

नहीं रहे पंडित बिरजू महाराज (4/2/1938-17/1/2022)

 



कत्थक नृत्य
के लखनऊ घराने के प्रमुख पंडित बिरजू महाराज का आज 17/1/2022 सोमवार तड़के दिल्ली में उनके घर पर हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया,उनकी पोती रागिनी महाराज ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कल रात के खाने के बाद वे 'अंताक्षरी' खेल रहे थे, जब वह अचानक बीमार हो गए। हम उन्हे तुरंत अस्पताल ले गए लेकिन उन्हे बचाया नहीं जा सका संभवत: उन्हे कार्डियक अरेस्ट हुआ था |

पंडित बिरजू महाराज,महाराजजी के नाम से ज़्यादा लोकप्रिय थे | भारत तथा विश्व के सबसे प्रसिद्ध नृत्य कलाकारों में से एक, कत्थक नृत्य के पुरोधा पंडितजी गुर्दे की बीमारी से काफी समय से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस का उपचार भी चल रहा था ।

देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 को एक प्रसिद्ध कत्थक नृत्य परिवार में बृज मोहन नाथ मिश्रा के रूप में हुआ था परंतु उनको को महाराज जी के नाम से ज़्यादा जाना जाता है, भारत में कत्थक नृत्य के लखनऊ कालका बिंदादीन घराने के वह प्रतिपादक थे। वह कत्थक नर्तकियों के महाराज परिवार के वंशज थे, जिसमें उनके दो चाचा, शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके पिता और गुरु अच्छन महाराज शामिल हैं । पंडित बिरजू महाराज ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का भी अभ्यास किया था और वे एक अच्छे शास्त्रीय गायक कलाकार भी थे |

भारतीय कला केंद्र, बाद में कथक केंद्र, नई दिल्ली में उन्होने अपने चाचा शंभू महाराज के साथ काम करने के बाद,  1998 में अपनी सेवानिवृत्ति तक, कई वर्षों तक वे यहा के प्रमुख रहे, बाद मे उन्होने स्वयं का नृत्य विद्यालय, कलाश्रम भी खोला ।

पिछले साल, उनके जीवन पर एक पुस्तक, जिसका शीर्षक नृत्य सम्राट पं बिरजू महाराज को लॉन्च किया गया था। यह पुस्तक दुनिया भर के उनके शिष्यों, सहयोगियों, प्रशंसकों और वरिष्ठ कलाकारों, सहयोगियों और शुभचिंतकों द्वारा लिखे गए 96  लघु निबंधों का संकलन है । इस पुस्तक को पंडित बिरजू महाराज जी एक वरिष्ठ शिष्य श्री नंदकिशोर कपोटे ने तैयार किया था

पुस्तक मे अपने प्रस्तावना में, अनुभवी नर्तक-गुरु ने कहा था कि पुस्तक एक बेहतरीन पठनीय सामग्री है क्योंकि इसमें दुर्लभ तस्वीरों के साथ नृत्य में उनकी लंबी यात्रा के कई दिलचस्प किस्से भी हैं । पुस्तक पंडित जी के असाधारण व्यक्तित्व का खुलासा करती है। पुस्तक मे उनकी प्रधान शिष्या सरस्वती सेन उनकी शिक्षण शैली के बारे में बताती हैं  जबकि अन्य शिष्या जानकी पत्रिका इस बारे में बताती हैं कि कैसे महाराज न केवल मुद्राओं और आंदोलनों पर ध्यान देते हैं बल्कि हर छोटी-छोटी जानकारी पर भी ध्यान देते हैं।

'कालका-बिंदादीन' परिवार की पहली महिला नृत्यांगना ममता महाराज ने बताया हैं कि उन्होंने ऐसी कई प्रस्तुतियों का निर्माण किया है जिससे महिला कलाकारों को उनके पुरुष समकक्षों के समान पहचान प्राप्त हुई है।

कत्थक के इस महान गुरु को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । उन्हें दिए जाने वाले पुरस्कारों में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कालिदास सम्मान, नृत्य चूड़ामणि, आंध्र रत्न, नृत्य विलास, आधारशिला शिखर सम्मान, सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, शिरोमणि सम्मान, राजीव गांधी शांति पुरस्कार आदि शामिल हैं ।

उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्राप्त की हुई है।

पंडित बिरजू महाराज ने कथक के शास्त्रीय नृत्य रूप में अपने अपार योगदान के अलावा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड मे 'गदर: एक प्रेम कथा' के 'आन मिलो सजना' जैसे कुछ बॉलीवुड गीतों को भी कोरियोग्राफ किया है । इसके अतिरिक्त उन्होने कई फिल्मों जैसे विश्वरूपम,देवदास,आजा नचले तथा बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्मों मे भी अपना योगदान दिया हैं प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की 'शतरंज के खिलाड़ी' (शतरंज के खिलाड़ी) के लिए दो शास्त्रीय नृत्य दृश्यों का निर्देशन, संगीत और गायन का कार्य भी किया है ।

उनके निधन से समस्त कला जगत मे शोक व्याप्त हैं देश के सभी प्रमुख व्यक्तियों के अतिरिक्त सिनेजगत के बहुत से कलाकारो ने उन्हे श्रद्धांजली अर्पित कर उनका निधन कला जगत के लिए महान क्षति बताया हैं |

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