शनिवार, 29 जनवरी 2022

पंचांग मे तिथि

 पंचांग शब्द पाँच अंगो से मिलकर बना हैं जिसमे निम्न पाँच अंग होते हैं तिथि,वार,नक्षत्र,योग व करण | किसी भी कार्य करने हेतु उपयुक्त समय ज्ञात करना इन्ही पांचों अंगो पर निर्भर करता हैं जिसे मुहूर्त निकालना कहा जाता हैं |

आइए मुहूर्त के इन्ही पांचों अंगो को गणितीय विधि से निकालने का प्रयास करते हैं |

1)तिथि – अमावस्या के दिन से सूर्य ओर चन्द्र के भोगांशों का अंतर बढ्ने लगता हैं (अमावस्या को दोनों के भोगांश समान होते हैं) इस अंतर का बढ़ना ही तिथि कहलाता हैं | जिसे गणितीय दृस्टी से निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता हैं |

तिथि = (चन्द्र भोगांश - सूर्य भोगांश) /12अंश

यदि चंद्रमा के भोगांश सूर्य भोगांश से कम हो तो चन्द्र भोगांश मे 12 राशियाँ जोड़ देते हैं |

आइये एक उदाहरण से तिथि निकालना सीखते हैं |

चन्द्र भोगांश 2 राशि 02 अंश 26 मिनट हैं तथा सूर्य भोगांश 11 राशि 08 अंश 14 मिनट हैं तो तिथि होगी |

= {(2-02-26) - (11-08-14)} /12अंश

= {(14-02-26) - (11-08-14)} /12अंश

= {(13-32-26) - (11-08-14)} /12अंश

= (2-24-12) /12अंश  

= (2*30=60)+24 = 84अंश 12मिनट /12अंश   

(2 राशि यानि साठ अंश +24 अंश = 84 अंश 12 कला को 12 से भाग देने पर हमें)   

7-01 अर्थात “अष्टमी” तिथि प्राप्त होती हैं |

जैसे ही चन्द्र सूर्य से आगे बढ़ता हैं तो तिथि आरंभ होती हैं और जैसे ही इनका अंतर 12 अंश का हो जाता हैं

तब तक पहली तिथि ही रहती हैं | जब तिथि का अंतर 0-180 होता हैं तब वह शुक्ल पक्ष की तिथि होती हैं जब यह अंतर 180-360 होता हैं तब तिथि कृष्ण पक्ष की होती हैं उपरोक्त उदाहरण मे हमारी तिथि 84 अंश 12 कला की थी जो की 0-180 के मध्य मे आती हैं यानि यह तिथि शुक्ल पक्ष की अष्टमी हुई |

तिथियो के नाम- शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष मे तिथियो के नाम एक से ही रहते हैं परंतु शुक्ल पक्ष की 15वी तिथि पूर्णिमा तथा कृष्ण पक्ष की 15वी तिथि अमावस्या कहलाती हैं | कृष्ण पक्ष की तिथिया 1 से 15 के स्थान पर 16 से 30 भी लिखी जाती हैं |

तिथियो के नाम व संख्या –

प्रतिपदा (1,16),

द्वितीया (2,17),

तृतीया (3,18),

चतुर्थी (4,19),

पंचमी (5,20),

षष्ठी (6,21),

सप्तमी (7,22),

अष्टमी (8,23),

नवमी (9,24),

दशमी (10,25),

एकादशी (11,26),

द्वादशी (12,27),

त्रियोदशी (13,28),

चतुर्दशी (14,29),

पुर्णिमा/अमावस्या (15,30)

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