शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

शनि का कुम्भ राशि परिवर्तन (कर्क राशि)

कर्क राशि वालो के लिए शनि आठवे भाव मे प्रवेश करेगा जिससे इन पर शनि की ढैया आरंभ होगी तथा इनके 10वे,दूसरे व पांचवे भाव पर भी शनि का प्रभाव आरंभ हो जाएगा | इस राशि के जातक के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी बनकर मारकेश के रूप में काम करते हैं ।

जन्म चंद्र से अष्टम भाव में शनि का गोचर हमेशा गहरा परिवर्तन लाता है जीवन का क्षेत्र चाहे वह पेशा हो, चाहे वह पारिवारिक मामला हो, विवाह हो अथव धन हो बदलाव अवश्य होता हैं ऐसे समय में आपके साथ कोई भी बुरी घटना घट भी सकती है | यदि आप स्वस्थ्य संबंधी कार्यक्षेत्र से जुड़े हैं तो शनि के इस गोचर से आपको लाभ मिल सकता है इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक अनुसंधान,निर्माण कार्यो से जुड़े कार्य,प्राचीन इतिहास, पुरातत्व ज्योतिष को यदि आप जानते हैं तो इनमे आप करियर के लिहाज से अच्छा करेंगे  | सामान्य तौर पर एक बात निश्चित रूप से जान लें कि मार्च 2025 में जब यह गोचर समाप्त होगा आपका जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा | परिवर्तनों से लड़ने की कोशिश न करें क्योंकि इन दो वर्षों में आपके जीवन में कुछ आवश्यक सुधार आएंगे जो आपके जीवन के अगले पड़ाव का आधार बनेंगे ऐसा इसलिए है क्योंकि आठवां घर मृत्यु और पुनर्जन्म का घर है इसलिए जीने का पुराना स्वरूप खत्म हो जाएगा, और आप जीवन मे हमेशा के लिए कुछ बदल जाएंगे आप नए सिरे से शुरुआत करेंगे, आपके लिए एक क्षेत्र निश्चित रूप से बदल जाएगा इस गोचर के दौरान आपका करियर पथ मे राहु और बृहस्पति की उपस्थिति भी ऐसा ही इशारा कर रही है कि करियर में परिवर्तन होने की सबसे अधिक संभावना है | मई के महीनों से नवंबर 2023 से पहले  बल्कि अप्रैल से मई और मध्य जून तक आप अपने में काफी मंथन करते हुए दिखाई देंगे | प्रोफेशनल लाइफ में सितंबर और अक्टूबर के महीने अपने पैसे को भी संभाल कर रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च न करें और सोच-समझकर निवेश करें हर तरह के सट्टा निवेश व्यसनों और गलत संगत से दूर रहें यहां का शनि आपके लिए विदेश यात्रा या स्थान परिवर्तन ला सकता है स्वास्थ्य के लिहाज से किसी भी तरह की परेशानी को नजरअंदाज न करें, अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें सेहत मे यहां का शनि अवसादपूर्ण सोच ला सकता है बच्चों के स्वास्थ्य की भी देखभाल की आवश्यकता होगी जिसमें आप गहरी रुचि ले सकते हैं अगले दो वर्षों में ज्योतिष या प्राचीन इतिहास मे आपकी रुचि हो सकती हैं | शनि की ऐसी अष्टम भावस्थ स्थिति में आप अपनी वाणी पर काबू रखें,वरना आपको भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता हैं । इस दौरान कोई भी नया कार्य शुरू ना करें तथा ससुराल से किसी भी प्रकार का लेन देन ना करे |

उपाय - इन दो वर्षो मे वाहन सावधानी से चलाएं हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन जाप करें

शनि का कुम्भ राशि परिवर्तन प्रभाव (मिथुन राशि)

मिथुन राशि - शनि आपके नवम भाव में गोचर करेगा  तथा आपके 11वे,3रे तथा छठे भाव को प्रभावित करेगा । इस राशि के जातकों के लिए शनि आठवें और नौवें भाव के स्वामी माने जाते हैं ।

शनि की ढैया अथवा अष्टम शनि के प्रभाव से अब आप बाहर जा रहे हैं | यह एक सकारात्मक घटना है सामान्य तौर पर जन्म चंद्र से नवम भाव में शनि का गोचर उच्चता ला सकता है करियर के मामलों में प्रतिस्पर्धा के लिए आपको खुद को साबित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ सकते हैं अच्छी बात यह है कि आप इसमें निराश नहीं होंगे यह दिशाहीन और निष्फल परिश्रम नहीं होगा अब नौकरी के नए अवसर भी आपके सामने आएंगे अनुसंधान विश्लेषण बीमा या फंड प्रबंधन के लिए यह गोचर अच्छा समय लाएगा आर्थिक रूप से आपके लिए यह गोचर आपकी आय को प्रभावित कर सकता है यदि आप शेयरों या शेयरों में निवेश कर रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत नहीं है  रातों - रात अमीर बनने वाली किसी भी प्रकार की निवेश योजनाओं को अपनाएं लंबी अवधि के निवेश के लिए जाएं | अगले दो साल उच्च के लिए अच्छे होंगे शिक्षा आपको दूसरों के साथ संवाद करने के तरीके के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है यदि आप अपना खुद का व्यापार शुरू करने की सोच रहे हैं तो यह सबसे अच्छा समय हो सकता है उसके लिए समय अपने दोस्तों और अपने नेटवर्क सर्कल के साथ अपने संबंधों का ख्याल रखें इस गोचर के अंत तक आप पाएंगे कि केवल सच्चे मित्र ही साथ रह रहे हैं आप इस तरह से किसी भी तरह की बैड कंपनी से कटने के लिए यह एक बहुत अच्छा चरण होगा अप्रैल से मध्य जून के बीच का समय ऐसा समय होगा जब आपको अपने विवेक व समय का बेहतरीन उपयोग करना चाहिए |सितंबर और अक्टूबर के महीने आपके जीवन में किसी भी बुरे प्रभाव से बचने में मदद करेंगे अगले दो वर्षों में पिता के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है हालाँकि आप पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों में रुचि नहीं लेते  हैं यदि आप आध्यात्मिक पथ पर हैं तो शनि का यह गोचर है आप में से कुछ के लिए बहुत अच्छा रहने की संभावना है आप किसी ऐसे व्यक्ति से जीवन मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं जो काफी बुजुर्ग है और आध्यात्मिक आपकी पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं अवसादग्रस्तता या नकारात्मक सोच सभी नीचे जाने की कोशिश करेंगे इस गोचर के दौरान अदालती मामलों और अपने जीवनसाथी से जुड़े कुछ मुद्दों में शामिल होने से बचें धार्मिक कारणों से या अधिक होने के कारण बच्चे यात्रा में आपको परेशान कर सकते हैं | ननिहाल पक्ष से आपको कोई अच्छा उपहार भी प्राप्त हो सकता हैं ।

उपाय – ज़रूरत से ज़्यादा साहस दिखाने से बचे |

गुरुवार, 29 दिसंबर 2022

शनि का कुम्भ राशि परिवर्तन प्रभाव ( वृष राशि )

वृष राशि के जातकों के लिए शनि आपके दशम भाव में गोचर करेगा  तथा आपके 12वे,चौथे व सातवे भाव को प्रभावित करेगा | इस राशि के जातकों के लिए शनि देवता राजयोग कारक माने जाते है । शनि आपकी राशि में भाग्य और दशम भाव के स्वामी बनते हैं जो दशम भाव से ही गोचर करने वाले हैं । ध्यान रखे की अपनी मूल त्रिकोण राशि में आने के बाद शनि और भी शक्तिशाली हो जाते हैं ।

अगले दो साल आपके करियर पर ध्यान देने का समय होगा, जीवन मे धन और विवाह कुछ बदलाव आपके करियर में जबरदस्ती करवा रहे हैं इस परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें अगर आपके भीतर यह भावना है कि आप सही करियर पथ पर नहीं हैं तो यह गोचर आपके लिए आवश्यक चीजें लेकर आएगा यदि आप बड़े कॉरपोरेट्स में काम कर रहे हैं तो आपके लिए बदलाव या सामाजिक समूहों के साथ काम करना आपके लिए उन्नतिदायक होगा  जो जातक कई वर्षों से मकान खरीदने का सपना देख रहे हैं, उनका यह सपना अब बहुत जल्द पूरा हो सकता है। तेल, खनन, राजनीति, दर्शन, ज्योतिष से जुड़े जातको आपकी तरक्की बहुत जल्द होने वाली है। शनि देवता के आशीर्वाद से आप अपना खुद का काम शुरू कर सकते हैं । शनि का यह गोचर वैज्ञानिकी या ज्योतिष कार्यो में शामिल लोगों के लिए भी अच्छा है आप पर बहुत सारी ज़िम्मेदारी बढ़ेगी लेकिन वृषभ राशि होने के कारण आप किसी भी तरह की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं इससे बचे | विदेश जाने के अवसर मिलेंगे अपनी कार्यकुशलता के साथ सहकर्मियों से सावधान रहें  छिपे हुए दुश्मन जो आपकी पीठ पीछे आपके खिलाफ काम कर रहे हैं  इस पर नजर रखने के लिए अप्रैल और मई के महीने बेहद महत्वपूर्ण होंगे | सितंबर और अक्टूबर के महीनों मे संबंधो में देखभाल की विशेष आवश्यकता होगी ,बड़ी मात्रा में धन व्यय हो सकता है इसलिए संतुलन बनाने के लिए अपने धन का प्रबंधन ठीक से करना सर्वोपरि है  जून के मध्य से आय-व्यय के बीच स्थिति में सुधार होगा कार्यक्षेत्र में अपने बॉस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करें | यदि व्यवसाय में आपको अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है इसे जारी रखने के लिए शनि का यह गोचर मानसिक तनाव के साथ साथ कभी-कभी छाती से संबंधित स्वास्थ्य समस्या,भावनात्मक तनाव, दिल का तनाव और काम का अतिरिक्त बोझ आपको परेशान कर सकता है जिससे पारिवारिक सुखो मे कमी हो सकती हैं । माता के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होगी अगले दो वर्षों में घरेलू शांति की देखभाल करने की भी आवश्यकता है अपने साथ मतभेदों से बचने का प्रयास करें जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर कुछ मामलों में ध्यान देने की आवश्यकता होगी शनि के गोचर के इन दो वर्षों में अपने सामाजिक सम्मान की रक्षा करने का प्रयास करें वर्ष 2023 अक्टूबर तक थोड़ा सा अशुभ लग रहा है जो आपके लिए थोड़ी परेशानी की बात है इसके बाद आपको बेहतर परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे |

उपाय – अपनी अक्ल का कम उपयोग करे जो आदेश दिये जा रहे हैं उन्हे मानते रहे |

शनि का कुम्भ राशि गोचर प्रभाव (मेष राशि)

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का विशेष महत्व बताया गया है. शनि को न्याय और कर्मफलदाता कहा जाता है, क्योंकि शनिदेव हमेशा व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. शनि किसी एक राशी में लगभग ढाई साल तक रहते हैं. शनिदेव राजनीति, खनन, तेल, रहस्य और प्रसिद्धि के कारक तत्व माने गए हैं,ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना गया है । ऐसी मान्यता हैं कि यदि व्यक्ति की राशि में शनि की स्थिति खराब हो जाए, तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं |

शनि 17 जनवरी 2023 को रात 8 बजतर 2 मिनट पर कुम्भ राशि मे प्रवेश करेंगे । शनि 30 वर्षों के बाद अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे । शनि इस राशि में 29 मार्च 2025 तक रहेंगे फिर मीन राशि में प्रवेश करेंगे । शनि का यह गोचर बहुत ही शुभ है और शनि का सबसे अच्छा गोचर भी है क्यूंकी यह शनि की यह मुख्य राशि है जो कालपुरुष की पत्रिका मे लाभ भाव अथवा एकादश भाव का प्रतिनिधित्व करती हैं | शनि का यह गोचर कुम्भ के अतिरिक्त मेष,सिंह व वृश्चिक राशि वालों को विशेष रूप से प्रभावित करेगा क्यूंकी इन राशियो पर शनि की दृस्टी होगी |

शनि के राशि परिवर्तन से वृषभ, मिथुन,तुला और धनु राशि के लोगों को विशेष लाभ मिलेगा । इन राशियों वालों को जो पिछले कुछ समय से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था उससे इनको राहत मिल सकती है ।

शनि के इस राशि परिवर्तन से कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों की ढैय्या शुरू होगी। कर्क राशि के जातकों के आठवें भाव में वहीं वृश्चिक राशि के जातकों के लिए चौथे भाव से शनि का गोचर शुरू होगा। इसके अलावा मकर राशि की साढ़े साती का अंतिम चरण,कुंभ राशि के जातकों का मध्य और मीन राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होगी |

इस दौरान अन्य बड़े ग्रह जैसे राहु शनि से तीसरे भाव को प्रभावित कर रहे हैं केतु शनि से नवे भाव में बैठे है और बृहस्पति मार्च 2023 तक इस शनि से दूसरे तथा मार्च 2023 के बाद शनि से तीसरे भाव को प्रभावित कर रहे होंगे |

आइए शनि के इस परिवर्तन का सभी 12 राशियो पर अथवा आपकी अपनी चंद्र राशि पर इसका क्या प्रभाव होगा यह जानते हैं | अपनी चन्द्र राशि जानने के लिए आपको अपनी पत्रिका मे अपने चन्द्र की स्थित राशि को देखना होगा |

मेष राशि  

इस राशि के जातकों के लिए शनि 17 जनवरी को इनके 11वें भाव में प्रवेश करेंगे तथा 29 मार्च 2025 तक वहीं रहेंगे | शनि के इस परिवर्तन से शनि इस मेष राशि वालो के पहले,पांचवे और आठवे भाव को शनि प्रभावित करने लगेंगे । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के जातक के लिए शनि देवता दशम और लाभ भाव के स्वामी माने जाते हैं । मेष राशि वालो के लिए शनि का यह एक बहुप्रतीक्षित सकारात्मक गोचर है जिससे आपने जो भी पूर्व मे मेहनत की है, आपको उसका प्रतिफल मिलने वाला है, आय के भी मार्ग खुलेंगे कार्यस्थल पर यदि आपकी प्रगति रुकी हुई थी या पदोन्नति नहीं हुई थी  वो सब अब आपको मिलेगी इतने लंबे समय से शनि का कुम्भ राशि में गोचर करना आपके पेशेवर जीवन को बढ़ावा देने वाला है आप में से कुछ लोगों का प्रमोशन होगा और पैसों के मामले में आय अच्छी रहेगी  मध्यम से लंबी अवधि की निवेश योजनाओं के लिए जाने से बचने की कोशिश करना आपके लिए अच्छा रहेगा ,शीघ्र धन कमाने की योजनाएँ स्थान परिवर्तन या निवास परिवर्तन आदि हो सकता हैं | कुछ लोगो को जहां अगले दो वर्षों में विवाह करने के लिए अवसर मिलेंगे वही कुछ लोगो के जीवन मे वैवाहिक नीरसता भी आएगी | आपको ज्योतिष मे रुचि भी होगी तथा पैतृक संपत्ति प्राप्ति के योग भी बनेंगे |

आपके स्वास्थ्य पर 2023 में कुछ अप्रत्याशित स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आ सकती हैं अप्रैल के मध्य से जून के मध्य तक आपको स्वास्थ्य और मानसिक तनाव पर ध्यान देने की आवश्यकता है और फिर सितंबर और अक्टूबर में यह एक ऐसा समय होगा जब आपको देखभाल की आवश्यकता होगी | जीवनसाथी और व्यावसायिक साझेदारों के साथ भी मधुरता बनाए रखें | यह गोचर आपके बच्चों के लिए अच्छा है संतान जन्म भी हो सकता हैं और यदि बच्चे बड़ी उम्र के हैं तो वो जीवन में अच्छा करेंगे लेकिन कभी - कभी उन्हें भी स्वास्थ्य परेशानी हो सकती है या फिर आपके उनके साथ मतभेद हो सकते हैं अत: इस बात का ख्याल रखे कि ऐसा न हो यदि आपके बच्चे विवाह योग्य उम्र के हैं शनि का यह गोचर उनके लिए विवाह ला सकता है | साथ ही आपके उच्च अध्ययन के लिए भी यह एक अच्छा समय है कड़ी मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें और आप देखेंगे कि नए अवसर आपके हाथ लगते जा रहे हैं |

उपाय – किसी भी उपाय की आवशयकता नहीं हैं |

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

शनि साढ़ेसाती/ढैय्या का प्रभाव व उपाय



17 जनवरी 2023 कर्मफल देवता शनिदेव अपनी वर्तमान मकर राशि को छोड़कर अपनी मूलत्रिकोण कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे | यहां शनि देव 26 महीनों तक रहेंगे |

शनि के इस गोचर से शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रभाव मकर/कुंभ और मीन राशि वालों पर पड़ने लगेगा तथा कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर ढैया का प्रभाव पड़ेगा | धनु राशि वालों से साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी तथा मिथुन व तुला वालों को ढैया से मुक्ति मिलेगी |

अब धनु राशि के जातक आपके पास पूरी तरह से निश्चिंत होकर कार्य करने का समय आ रहा है और ये पूरे ढाई साल रहेगा उसके बाद धनु राशि पर शनि की ढैया लगेगी लेकिन उसमें अभी ढाई साल का समय है

मकर राशि के लिए उतरती साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा जो कि अंतिम ढाई साल बचे हुए हैं |

यहां मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव 17 जनवरी से आपके द्वितीय भाव में रहेंगे जो कि धन परिवार वाणी से संबंध रखता है | यहां शनि देव आपसे बेफिजूल खर्चे कराकर आपको खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने पर विवश करेंगे हालांकि ये राशि शनिदेव की मूल त्रिकोण राशि है तो नुकसान थोड़ा कम होगा लेकिन आप खुद ही अपने धन का नाश होते हुए देखेंगे और ये ज्यादातर आपकी वाणी के कारण ही होगा आप अपनी भाषा के कारण ही नए शत्रु बनाएंगे जो आपके लिए ही नुकसानदेह साबित हो सकती हैं आपकी इसी कर्कश वाणी के कारण परिवार में कलह का माहौल हो सकता है आपको पत्नी सुख मे कमी हो सकती हैं |

कुंभ राशि के जातकों के लिए 17 जनवरी से साढ़ेसाती का मध्य चरण चलेगा तथा साढ़ेसाती के पहले ढाई साल अब खत्म होंगे | चंद्र राशि से देखें तो इस राशि वालों के लिए शश नाम का महापुरुष राजयोग भी बनेगा लेकिन देखा जाए कुछ मामलों में भी आपको सावधानी रखने की जरूरत है जैसे कि यहां बैठे शनि की तीसरी और नीच दृष्टि आपके मित्रों भाई - बहन पर रहेगी,सप्तम दृष्टि दांपत्य जीवन पार्टनरशिप व्यापार भाव पर रहेगी और दशम दृष्टि कार्य स्थान पर पड़ेगी इन तीनों भाव से संबंधित समस्या आप महसूस करेंगे आपके कार्य निश्चित रूप से धीमी गति से ही पूर्ण होंगे,मित्र भाई बंधु अपना वचन समय से नहीं निभा पाएंगे जिसके असर से आपके व्यापार और दांपत्य जीवन पर पड़ेगा जिससे आपके कार्यस्थल पर भी परेशानी पाएंगे |

मीन राशि के जातकों के लिए शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रथम चरण का प्रभाव शुरू होगा | आपकी राशि से शनि देव लाभ भाव और खर्च भाव के स्वामी होकर आपकी राशि से बारहवें भाव मे विराजमान होंगे |

प्रथम चरण की शुरुआत 12वे भाव से होने से बेफीजुल के खर्चे और वह भी अकस्मिक रूप से हों सकते हैं जैसे आपने सोचा मेरा एक हजार खर्चा होने वाला है वहां जाकर आपको पता चलेगा कि ये खर्चा तो 1500 / 2000 का भी हो गया | पुराना कोई दबा हुआ केस अथवा किसी मामले को लेकर कोर्ट केस में आपकी परेशानी का कारण बन सकता है कोई बीमारी के कारण अस्पतालों में भी आपके चक्कर लग सकते हैं | कुल मिलाकर आपके जमा किए हुए पैसे खर्च होंगे कुटुंब परिवार में कलह का माहौल बनेगा पिता के स्वास्थ्य में कोई ऊंच - नीच आ सकती है बेफिजूल की यात्राएं जहां जाने की कोई जरूरत नहीं होगी वैसी यात्राएं आप करेंगे मानसिक तौर पर परेशानी का कारण समझ में नहीं आएगा इन सब चीजों से आपको बचने की आवश्यकता रहेगी,स्थान परिवर्तन की भी संभावना रहगे | ये वो राशियां थी जो शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में रहेंगी |

आइए अब देखते हैं ढैया वाली राशियो पर क्या प्रभाव पड़ेगा |

17 जनवरी से कर्क व वृश्चिक राशि के जातक शनि की ढैया के प्रभाव मे आएंगे |

कर्क राशि के लिए शनि देव सप्तम और अष्टम के स्वामी होकर अष्टम भाव में गोचर करेंगे  यहाँ के शनि इनके हर एक कार्य में आपके लिए विलंब उत्पन्न करेंगे,दांपत्य जीवन में परेशानी बिजनेस पार्टनरशिप,व्यापार,कुटुंब   परिवार में कलह का माहौल,कार्यक्षेत्र पर अपने सहकर्मियों से भी आपके रिश्तो में खटास जैसी बातें होंगी जो इनके मानसिक परेशानियों का कारण बनेगी और अगर कर्क राशि के जातकों की जन्मपत्री में जन्म से ही शनि चंद्रमा का किसी भी तरह का संबंध बना हुआ है तो ये परेशानी ज्यादा घातक रूप लेकर आ सकती है |

वृश्चिक राशि से शनि चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे आपको भी हर तरह से परेशानी का सामना करना होगा कुटुंब  परिवार में आपस में रिश्तो में खटास छोटी-छोटी बातों को लेकर अनबन की स्थिति और यही बातें आगे जाकर कुछ बड़ी परेशानीया आपके पास लाएँगी अपनी मां के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें, भूमि,मकान अथवा वाहन खरीदना होतो पुराना खरीदना आपके लिए लाभदायक रहेगा परंतु अच्छी तरह से जांच परख कर ही लें | प्रॉपर्टी, मकान के कागजात देख कर ही साइन इत्यादि करें जल्दबाजी में किया गया निर्णय आपके लिए भविष्य मे परेशानी का कारण बन सकता हैं किसी भी तरह के लोभ लालच में लुभावनी स्कीम में किसी मित्र अपने भाई बंधुओं के कहने पर किसी भी तरह का निवेश ना करें | 

यहां से शनिदेव की तीसरी और निच दृष्टि रोग ऋण कर्जे शत्रु से संबंध भाव पर होने से नए शत्रु बनना कोई रोग निकल कर आना उच्च अधिकारियों के साथ रिश्तो में खटास की स्थिति दे सकती हैं शनि की दसवीं दृष्टि आपकी राशि पर ही रहेगी जो आप के मान सम्मान और स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा सकती है |

शनि - पादविचार

"जन्मांग - रुद्रेषु सुवर्णपादं द्विपञ्चनन्दे रजतस्य पादम् ।

त्रि-सप्त- दिक् ताम्रपादं वदन्ति शेषेषु राशिष्विह लौहपादम् ।।"

पादफल - विचार-

"लौहे धनविनाशः स्यात् सर्वं दुःखं च कांचने ।

ताम्रे च समता ज्ञेया सौभाग्यं च राजते भवेत्॥"

शनि के राशि परिवर्तन के समय तात्कालिक चंद्र जन्मराशि से यदि 1, 6, 11 स्थान में हो तो स्वर्णपाद 2, 5, 9 स्थान में हो तो रजतपाद 3, 7, 10 स्थान में चन्द्र हो तो ताम्रपाद यदि शनि के राशि परिवर्तन के समय चन्द्र 4, 8, 12 में होतो लौहपाद होता है ।

स्वर्णपाद सभी प्रकार के दुःखों को देने वाला,रजतपाद सुख-सौभाग्यप्रद, ताम्रपाद मध्यम फलद एवं लौहपाद धन-धान्य का नाशक होता है ।

कुम्भस्थ शनि की साढेसाती एवं ढैय्या का पाद अथवा पाया अनुसार विचार  

कुम्भ - साढेसाती - हृदय पर, पाद ताम्र ।

मुख्य फल - अचानक धनलाभ, स्त्री / पुत्रसुख, सम्पत्तिलाभ, सेहत ठीक, प्रगति के मार्ग बनें ।

मकर साढेसाती - पैरों पर उतरती, सुवर्ण पाद ।

फल - शत्रु प्रबल, अधि निज-जन-विरोध, रोगभय, परिवार में क्लेश, धनहानि हो, चिन्ता आदि से कष्टप्रद समय ।

मीन साढेसाती - मस्तक पर चढ़ती हुई,पाद रजत ।

फल - व्यापार में प्रगति, धन - धान्य समृद्धि, सुख-सम्पदा लाभ, प्रभाव क्षेत्र बढ़े, घर में मंगलकृत्य हों, राजपक्ष से सम्मान ।

कुम्भस्थ शनि में कर्क / वृश्चिक राशि के व्यक्ति ढैय्या के प्रभाव में रहेंगे ।

1. मेष, सिंह, धनु को लौहपाद होने से शरीरपीड़ा, स्त्री/पुत्र / पशु - पीड़ा, एवं व्यापार में हानि व आर्थिक संकट रहे ।

2. वृष, कन्या, कुम्भ को ताम्रपाद होने से अचानक धनलाभ, स्त्रीपुत्र - सुख, सम्पत्तिलाभ, सेहत ठीक, प्रगति के मार्ग बनें।

3. मिथुन, वृश्चिक, मकर को सुवर्णपाद होने से शत्रुप्रबल, निजीजन - विरोध, रोगभय, पारिवारिक क्लेश, धनहानि व चिन्ता आदि से कष्ट रहे ।

4. कर्क, तुला, मीन को रजतपाद होने से व्यापार में प्रगति, धान्यसमृद्धि, सुख-सम्पदालाभ, प्रभावक्षेत्र-वृद्धि, घर में मंगलकार्य हों, राजपक्ष कर से सम्मान मिले।

साढेसाती में प्रत्येक राशि के लिए शनि का सामान्यतया अशुभ फल कब होगा -

मेष राशि वालों के बीच के अढाई वर्ष खराब हैं । वृष को पहले अढाई वर्ष, मिथुन को अन्त के अढाई वर्ष, कर्क को बीच के अढाई वर्ष, सिंह को पहले 5 वर्ष, उनमें भी मध्य के अढाई वर्ष खराब हैं । कन्या को पहले 5 वर्ष, उनमें भी मध्य के अढाई वर्ष विशेष अशुभ हैं । तुला को आखिर के अढाई वर्ष, वृश्चिक को अन्तिम 5 वर्ष नेष्ट हैं, उनमें भी मध्य के अढाई वर्ष विशेष अशुभ हैं । धनु को प्रारम्भ के अढाई वर्ष, मकर को पहले 5 वर्ष, उनमें भी पहिले अढाई वर्ष विशेष खराब हैं । कुम्भ को आदि एवं अन्त के पांच वर्ष, विशेषतः अन्त के अढाई वर्ष अधिक अशुभ हैं । मीन को पूरे साढेसात वर्ष नेष्ट हैं, उनमें भी अन्त के अढाई वर्ष विशेष अशुभ फल देने वाले होते हैं |

शनिजन्य नेष्टफल - शान्त्यर्थ शास्त्रीय उपाय

1)शनि की साढेसाती / ढैय्या के नेष्टफल की शान्ति के लिए शनि के बीजमन्त्र या वैदिक मन्त्र का 23,000 की संख्या में विधिपूर्वक जाप करें। तदुपरान्त दशांश हवनादि करें ।

2)शनिवार के दिन सतनाजा दान, लौहपात्र में तैलदान, शनिस्तोत्र का पाठ करना/कराना श्रेयस्कर रहता है ।

3)इसके अतिरिक्त शुभ वेला में 'नीलम' रत्न एवं 'शनियन्त्र' धारण करना भी आश्चर्यजनक रूप से लाभप्रद रहता है । परन्तु रत्नधारण करने से पूर्व किसी दैवज्ञ का परामर्श लेकर शनि के अंशादि का अध्ययन करवाना श्रेयस्कर रहता हैं |

4)शनि का बीज मन्त्र – “ ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का प्रतिदिन 3 माला जाप करें । मन्त्रजाप से पहले "अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक तिथौ, शनैश्चर नेष्टफल शान्त्यर्थम् शनि - मन्त्रजापमहं करोमि " - इस प्रकार संकल्प करके शनि - मन्त्रजाप करें ।

5)शनिवारी अमावस वाले दिन सूर्यास्तसमय (गोधूलिवेला में ) शनि - मन्त्रजाप, स्तोत्रपाठ करें एवं तेल में मुंह देखकर, उसमें एक लौंग डालकर दान करें और सायंकाल पीपल के नीचे दीपक जलायें ।

मन्त्र जाप की विधि - अनुष्ठान शनिवार को करें। सूर्यास्त-समय स्नान करके कम्बलासन पर बैठकर, पश्चिमाभिमुख होकर (पश्चिम की तरफ मुंह करके) लोहे के खुले बर्तन में जौ, लौंग एवं काले तिल प्रत्येक 200 - 200 ग्राम लेकर एक अंजलि भर चावल और 7 सुपारी रखें । मौली, धूप, लाल चन्दन, दो अपूप (पूड़े) भी सामने रख लें । मिट्टी के बर्तन में तेल का दीपक प्रज्वलित करें एवं एक स्टील का लोटा तेल से भरकर सामने रखकर " ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः " - इस मन्त्र का कुल 23 हज़ार जाप करें। मन्त्रजाप पूर्ण होने के बाद सारी सामग्री, जो सामने रखी थी, को जलप्रवाह कर दें । तेलभरी गड़वी (लोटा) में लौंग डालकर शनि वाले डकौत को दें। सामग्री को जलप्रवाह करते समय निम्नांकित मन्त्र का उच्चारण करें -

 “ ॐ नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च ।

नमः कालाग्नि-रूपाय कृतान्ताय च ते नमः । ।

इस मन्त्रोच्चारण के बाद "दूर जाते हुए शनि को पृष्ठभाग" से नमस्कार करके घर को जायें ।

 6)'नीलम' रत्न का काम देने वाली वनौषधि

शनिदोष - निवारण के लिए अनेक व्यक्ति 'नीलम' धारण करते हैं, परन्तु सबको अनुकूल बैठने वाला शुद्ध 'नीलम' रत्न बहुत कम मिलता है । उसकी भले-बुरे की परीक्षा भी कठिन है और यह रत्न बहुमूल्य (महंगा) होता है। अतः सर्वसाधारण मनुष्य खरीद नहीं सकते। ऐसे व्यक्ति नीलम के अभाव में 'बिच्छू- बूटी' की जड़ का प्रयोग करें। बिच्छू-बूटी हिमाचल प्रदेश में बहुत होती है। कोमल कांटेदार पत्तों को स्पर्श करने से वृश्चिकदंश जैसी पीड़ा होने लगती है। अतः इसका नाम बिच्छू-बूटी है। शुक्लपक्ष शनिवार को प्रातः (यदि पुष्य नक्षत्र भी मिल जाये तो अत्युत्तम) बिच्छू-बूटी की जड़ उखाड़कर ले आयें। पहले दिन शुक्रवार की सन्ध्या को निमन्त्रण दे आयें। इस जड़ के टुकड़े को चांदी के ताबीज में भरकर शनिमन्त्र से धारण करें। यह हर व्यक्ति का शनिदोष निवारण करती है ।

7)शनि जन्य नेष्टफल - शान्त्यर्थ वैदिक मन्त्र

ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शंय्योरभिस्रवन्तु नः । शं शनये नमः ॐ । "

8)शनिजन्य नेष्टफल - शान्त्यर्थ शनैश्चर - स्तोत्र

पिप्पलाद उवाच -

ॐ नमस्ते कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तु ते ।।

नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोऽस्तु ते ।।

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च ।

नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो ।।

नमस्ते मन्दसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तु ते ।

प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।"

इस स्तोत्र का पाठ शनिवार को पीपल के नीचे बैठकर एवं अन्य दिनों में भगवान् शंकर से प्रार्थनापूर्वक शिवमन्दिर या घर में भी बैठकर प्रातः करने से साढेसाती व ढैय्या की दुःखद पीड़ा नहीं होती है |

9)शनिजन्य नेष्टफल - परिहारार्थ तुलादान करायें |

विधि - शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति अपने जन्मदिन पर या शनैश्चरी अमावस/ शनिवार को दिन में लगभग 11/12 बजे गेहूं, काले चने, चावल, बाजरा, कालीदाल (माह), जौ, मूंग आदि सात अनाजों से अपने वजन के बराबर तौलकर दान (तुलादान) करें। साथ ही तेल में मुंह देखकर दक्षिणासहित शनि का दान लेने वाले (ढौंसी) को दे दें। बाद में तुलादान के समय पहने हुए कपड़े भी स्नान करके, दान कर दें ।

नोट - तुलादान से पहले यदि कोई बहुमूल्य आभूषण आदि शरीर पर धारण किया हुआ हो, वह पहले ही उतार दें, अन्यथा वह भी दान करना होगा ।