ज्योतिष शास्त्र
के अनुसार हर बीमारी का संबंध किसी न किसी ग्रह से है, जो
आपकी कुंडली में या तो कमजोर है, या फिर दूसरे ग्रहों से बुरी तरह
पीड़ित है । इसी प्रकार काल पुरुष की कुंडली में मनुष्य शरीर के सभी अंगों को 12
भावों में बांटा गया है । इन 12 भावों में कालपुरुष की 12
राशियां आती हैं जिनके स्वामी 7 ग्रह हैं तथा छाया ग्रहों राहु-केतु
के प्रभाव भी अति महत्वपूर्ण हैं । साथ ही 27 नक्षत्रों का
प्रभाव भी मनुष्य शरीर के सभी अंगों पर बराबर बना रहता है । इनके स्वामी ग्रह भी ये
ही 7 ग्रह हैं अर्थात् सारांश रूप से यह कह सकते
हैं कि शरीर के सभी अंगों को 12 भाव/राशियां, 9
ग्रह व 27 नक्षत्र संचालित करते हैं ।
यदि चिकित्सा
विज्ञान की दृष्टि से देखें तो इसमें भी शरीर के सारे अंग आ जाते हैं जिनका
चिकित्सा की दृष्टि से दवाई द्वारा उपचार करना है जबकि कुंडली में अंगों का उपचार
औषधि की बजाय ज्योतिष से होता है । इन दोनों में सामंजस्य बैठाना ही काल पुरूष की
कुंडली का चिकित्सा विज्ञान में प्रयोग करना कहते हैं।
चलिए अब आपको
बताते हैं काल पुरूष की बारह राशियां और उनसे होने वाले संबंधित रोग के बारे में ।
1. मेष - सिर दर्द,
मानसिक तनाव, मतिभ्रम, पागलपन, उन्माद,
अनिद्रा, मुख रोग, मेरूदंड के रोग,
अग्नि जनित रोग ।
उपाय : मेष राशि
वाले जातक को प्रतिदिन रात को त्रिफला चूर्ण भिगोकर सुबह उसे छानकर निराहार पियें
और लाल रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर 5-7 घंटे धूप में
रखें और ये पानी रात को पियें ।
2. वृष - कान,
नाक, गला और दांत के रोग, खांसी,
टॉन्सिल्स, थायराइड, सायनस ।
उपाय : वृषभ
राशि वाले जातक भी त्रिफला चूर्ण रात को भिगोकर सुबह उसे छानकर निराहार पियें ।
सफेद रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर 5-7 घंटे धूप में
रखें और ये पानी रात को पियें ।
3. मिथुन - श्वास व
गले के रोग, हाथ व कंधे में फ्रैक्चर, लकवा,
तंत्रिका तंत्र रोग, पक्षाघात, मिर्गी,
टीबी, फेफड़ों में संक्रमण, मज्जा
के रोग, अस्थमा ।
उपाय : मिथुन
राशि के जातक प्रतिदिन भोजन करने के बाद आंवला चूर्ण में कुछ मात्रा में काली
मिर्च चूर्ण मिलाकार सेवन करें | हरे रंग की बोतल पानी भरकर धूप में 3-4
घंटे रखें और रात्रि में सेवन करें ।
4. कर्क - हृदय रोग,
रक्त विकार, स्तन कैंसर (गांठ), फेफड़ों
व पसलियों के रोग, खांसी, जुकाम, छाती
में दर्द, ज्वर, मानसिक रोग व
तनाव ।
उपाय : कर्क
राशि वाले काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ बराबर
मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें । प्रतिदिन रात के भोजन के बाद सेवन करें और सफेद
बोतल में पानी भरकर धूप में दिन भर रखें और रात को सेवन करें ।
5. सिंह - रक्त,
उदर, वायु विकार, मेद
वृद्धि, ल्यूकेमिया, एनीमिया,
रक्तचाप (बी. पी.), अस्थि रोग (पीठ, कमर,
जोड़ों व घुटनों के दर्द आदि), पेट दर्द,
तिल्ली रोग, बुखार, हृदय रोग ।
उपाय : सिंह
राशि वाले मेष राशि वालों की तरह ही प्रतिदिन रात को त्रिफला चूर्ण भिगोकर सुबह
उसे छानकर निराहार पियें और लाल रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर 5-7
घंटे धूप में रखें और ये पानी रात को पियें ।
6. कन्या - किडनी
रोग, कमर दर्द, अपच, मंदाग्नि,
जिगर रोग, आंतों के रोग, अमाशय
के रोग, उदर रोग, अनिद्रा,
रक्तचाप ।
उपाय : कन्या
राशि वाले प्रतिदिन रात्री के भोजन के एक घंटे बाद आंवले का चूर्ण का गुनगुने पानी
के साथ सेवन करें । हरे रंग की बोतल में पानी भरकर धूप में 3-4
घंटे रखें और रात्रि में सेवन करें ।
7. तुला - मूत्राशय
रोग, मधुमेह, मूत्रकृच्छ,
बहुमूत्र, प्रदर, मूत्रवाहिनी एवं
मूत्र उत्सर्जन संबंधी रोग ।
उपाय : तुला
राशि वाले काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ बराबर
मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें प्रतिदिन रात्री के भोजन के बाद सेवन करें । सफेद
बोतल में पानी भरकर धूप में दिनभर रखें और रात को सेवन करें ।
8. वृश्चिक - मलाशय
व गुदा रोग, गुप्त रोग, जननेन्द्रिय रोग,
अंडकोश व संसर्ग रोग, गर्भाशय रोग ।
उपाय : वृश्चिक
राशि वाले सिंह राशि और मेष राशि वालों की तरह ही प्रतिदिन रात को त्रिफला चूर्ण
भिगोकर सुबह उसे छानकर निराहार पियें और
लाल रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर 5-7 घंटे धूप में
रखें और ये पानी रात को पियें ।
9. धनु - कूल्हे,
जांघ के रोग, हड्डियां टूटना, मांसपेशियां
खिंचना, चर्मरोग, जुकाम, यकृत
दोष, ऋतु विकार ।
उपाय : धनु राशि
वाले काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ बराबर
मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें प्रतिदिन रात्री के भोजन के बाद सेवन करें | पीली
कांच की बोतल में पानी भरकर धूप में दिन भर रखें और रात को सेवन करें ।
10. मकर - घुटनों के
रोग, पिंडली रोग, चर्मरोग,
वात व शीत रोग, रक्तचाप रोग ।
उपाय : मकर राशि
वाले अन्य राशि वालों की तरह ही प्रतिदिन रात को त्रिफला चूर्ण भिगोकर सुबह उसे छानकर निराहार पियें । नीले
रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर 5-7 घंटे धूप में
रखें और ये पानी रात को पियें ।
11. कुंभ - मानसिक व
जलोदर रोग, ऐंठन, गर्मी रोग,
टखना हड्डी रोग, संक्रामक रोग ।
उपाय : कुंभ
राशि वाले सुबह-सुबह 2-3 लोंग का सेवन अवश्य करें । नीले रंग
की कांच की बोतल को पानी भरकर 5-7 घंटे धूप में रखें और ये पानी रातभर
पियें ।
12. मीन - मूत्र
उत्सर्जन, पेशाब में जलन, रुक-रुक कर आना,
साफ न आना या बहुमूत्रता, किडनी रोग,
पैर, पंजे, तलवे व एड़ी के
रोग जैसे-एड़ी में पानी भर जाना, मानसिक तनाव, अनिद्रा,
एलर्जी, चर्म रोग, रक्तविकार,
आमवात, ग्रंथि रोग, गठिया
रोग ।
उपाय : मीन राशि
वाले मेथी दाना,अजवाइन, जीरा और सूखा
आंवला 1-1 ग्राम कांच के बर्तन में गलाकर रात भर रखें और
सुबह छानकर उसका पानी निराहार पियें । पीली कांच की बोतल में पानी भरकर धूप में
दिन भर रखें और रात को सेवन करें ।
ये आसन सरल और
बिना किसी खर्च के उपाय हैं । इन उपायों को यदि हम हमारी दैनिक दिनचर्या में उपयोग
करते हैं तो निश्चित ही हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ा सकते हैं और खुशहाल
जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।