7) जिसके जन्म की चन्द्र राशि में शनि गोचरवश हो वह विष और अग्नि से पीड़ित,बंधुओं से से रहित, भ्रमणशील, विदेशवास,गृह,धन,पुत्र से रहित होता है ।
द्वितीय में शनि
के होने पर रूप एवं सुख से रहित शरीरवाला, अहंकार रहित एवं
निर्बल होता है ।
तृतीय का शनि धन,
मृत्यु, परिवार, ऊंट, भैंस,
घोड़ा, गधा,गृह, ऐश्वर्य एवं
आरोग्य लाभ की सूचना देता है एवं कायर होने
पर भी प्रबल शत्रु को अपने वश में कर लेता है ।
चतुर्थ में शनि
के होने पर मित्र, धन स्त्री आदि से रहित |
पंचम का शनि
पुत्र एवं धन से रहित एवं कलहयुत |
षष्ठ का शनि
शत्रु रहित, निरोग एवं सुन्दर स्त्री की सूचना देता है ।
सप्तम एवं अष्टम
का शनि होने पर स्त्री - पुत्र से हीन दुखी तथा दीन,चेष्टा से युक्त बीमार |
नवम का शनि दीन,
हीन एवं हृदय रोगी बताता है |
दशम का शनि कर्म
का लाभ, धन एवं विद्या का नाश बताता है |
एकादश के शनि से
कठोर स्वभाव तथा दूसरे की स्त्री एवं धन का लाभ प्राप्त करने वाला होगा ऐसी सूचना
देता है ।
द्वादश के शनि
से शोक एवं कलह की प्राप्ति ज्ञात होती है ।
विशेष - सूर्य मंगल राशि के पूर्वार्ध में,चंद्र शनि राशि
के अंत में शुभ अशुभ फल देते हैं बुध
राशि के आरंभ व अंत में फल देता है इसके अतिरिक्त गुरु और शुक्र राशि
के मध्य में शुभ अशुभ फल देते हैं |
नीच राशि,शत्रु राशि,अस्त एवं शत्रु ग्रह से दृष्ट ग्रह के फल
अशुभ होते हैं |
सूर्य के समान
शनि अशुभ फल
देता है एवं सूर्य से अस्त होने पर अधिक अशुभ फल देता है बुध एवं चंद्र युक्ति के
अनुसार शुभ अशुभ फल देते हैं |
जन्म राशि से उपचय (3,6,10,11) भाव
में स्थित सूर्य हो तो रविवार को सोना तांबा घोड़ा लकड़ी राजा की आराधना अथवा राजा
का अभिषेक करना चाहिए |
चन्द्र होतो सोमवार को मोती कमल चांदी राजा जनप्रियता के काम करने वाले कर्मों की सिद्धि होती
है | मंगल होतो मंगलवार में
धातु संबंधी अग्नि क्रूरता चोरी आदि |
बुध होतो बुधवार को हरित मणि विज्ञान मंत्र
क्रिया आदि |
गुरु होतो गुरुवार को सोना चांदी हाथी घोड़ा
देवताओं के कार्य देव प्रतिष्ठा,गृह प्रतिष्ठा
|
शुक्र होतो शुक्रवार को कलाकर्म वीर्य वृद्दि के प्रयोग,वेश्या,कामशक्ति,स्त्री,यौन उपयोग,खेती तथा औषधि एवं
शनि होतो शनिवार को भैंस ऊट मृत्यु,चोरी,बंधन,नम्रता से रहित आदि कार्य करने
चाहिए |
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