5)जन्म राशि का बृहस्पति धन और बुद्धि स्थान का नाश करता है |
दूसरे भाव में धन प्राप्ति की सूचना शत्रु विनाश एवं स्त्री सुख
प्रदान करता है |
तृतीय में स्थान नाश एवं कार्यों का नाश करने वाला |
चतुर्थ में अनेक प्रकार से पीड़ित बंधुओं से परेशान एवं और अशांतिपूर्ण
रहने वाला,
पंचम में गुरु धर्म,पुत्र,स्त्री,धन,मणि,वस्त्र,बैल,हाथी,घोड़ा का लाभ बताता है |
षष्ठ का बृहस्पति मानसिक असंतुलन एवं अशांति तथा भय का वातावरण
बताता है |
सप्तम में बृहस्पति सैया भोग धन वाहन एवं भोजन की अच्छी
व्यवस्था |
अष्टम में बंधन पीड़ा कठोर शोक,मार्ग मे क्लेश एवं मृत्यु तुल्य कष्ट की सूचना देता है |
नवम में सब कार्यों में निपुणता,आदेश,शुभ कार्य और अर्थ की स्थिति तथा धान्ययुक्त भूमि |
दशम में स्थित बृहस्पति दीनता अन्न तथा धन की हानि,अपनों से अपवाद बेरोजगारी या नौकरी का छूटना तथा बेकार भ्रमण
देता है |
एकादश स्थित बृहस्पति आरोग्य एवं धन प्रदान करता है |
द्वादश में बृहस्पति यात्रा संबंधी कष्ट एवं पथभ्रष्ट बताता है |
6)जन्म राशि में शुक्र कामदेव के उपकरणों आकर्षक सुगंधित द्रव्य
और वस्त्र से लाभ |
द्वितीय मे संतान धन-धान्य राज एवं स्वास्थ संबंधी कार्यों में
सफलता देता है |
तृतीय में शुक्र प्रभुत्व धन मान,स्थान एवं शत्रु का नाश करता है |
चतुर्थ में शुक्र मित्र समागम, हर्ष
एवं उल्लास को प्रदान करता है ।
पंचम राशि में
संतोष, बंधु सुख, पुत्र, धन
का लाभ तथा शत्रु सेना में अनवस्थित करता है ।
षष्ठ का शुक्र
अपमान, रोग और संताप की सूचना देता है ।
सप्तम का शुक्र
ग्रह-वस्त्र आदि का स्त्री से संबंध कराकर नाश |
अष्टम का शुक्र गृह एवं स्त्री
(लक्ष्मीवती) को देने वाला होता है।
नवम में शुक्र धर्म, स्त्री,
सुख एवं धन प्राप्ति की सूचना देता है |
दशम में अपमान
एवं कलह |
एकादश में मित्र,
धन, अन्न और सुगंधित द्रव्य का लाभ |
द्वादश में धन
और वस्त्रों के लाभ की सूचना देता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें