गोचर मे ग्रहो की स्थिति के आधार पर हम समय, स्थान एवं कारण का अध्ययन ज्योतिष विद्या के माध्यम से करते हैं । अतः निश्चित ही ज्योतिष शास्त्र हमारे दैनिक जीवन महत्वपूर्ण स्थान रखता है । इस प्रकार से कहा जा सकता है की गोचरीय ग्रह स्थिति ही दैनिक जीवन मे परिवर्तन की सूचना देती हैं | कौन सा ग्रह किस स्थान मे किस प्रकार की राशि में स्थित है? इसके आधार पर हम अपनी दैनिक घटनाओ की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
गोचर का विचार
मुख्यतः चन्द्र राशि से किया जाता
हैं परंतु कही कही लग्न कुंडली के ग्रहो को भी महत्व दिया जाता हैं |
प्रस्तुत लेख मे हम बृहद संहिता व अन्य ग्रंथो के आधार पर दैनिक
ग्रह स्थिति के अनुसार सूचित होने वाली घटनाओ के संबंधो को बताने का प्रयास कर रहे
हैं | ग्रह जन्म राशि से इन इन भावो मे शुभता देते हैं
1)जन्म राशि से
तीसरी, छठी या दशवी राशि में सूर्य |
2)तीसरी,
छठी, दसवीं, सातवीं या पहली
राशि में चन्द्रमा ।
3)छठी या तीसरी
राशि में मंगल और शनि ।
4)दूसरी,
छठी, चौथी, दसवीं या आठवीं
राशि में बुध |
5)दूसरी,पांचवी,सातवीं,नवी राशि में गुरु ।
6)सातवीं,छठी और दसवीं
राशि में स्थित शुक्र सिंह की तरह भ्रमण करने वाला होता है |
7)ग्यारहवीं
राशि में सभी ग्रह शुभ फल की सूचना देते हैं ।
सूर्य यदि चन्द्र राशि में गोचर कर रहा हो तो
उपद्रव, धन का नाश, पेट का रोग और
मार्ग में कष्ट की सूचना देता है |
द्वितीय राशि
में हो तो धन का नाश,दुःख, सभी कार्यों का
नाश और नेत्र रोग |
तृतीय राशि में
हो तो स्थान लाभ, धन दौलत से युक्त, आनन्द
युक्त और शत्रु का नाश |
चौथी राशि में
सूर्य होतो रोग और माला को धारण करने वाली स्त्री से कष्ट और बार बार विघ्न बाधाओ की सूचना देता हैं |
सूर्य जन्मराशि
से पंचम में
हो तो रोग और शत्रुजनित पीड़ा |
षष्ठ में हो तो
रोग, शत्रु और
शोक का नाश |
सप्तम में हो तो भय, भ्रमण, पेट
के रोग का भय और
दुःख |
अष्टम में हो तो
रोग और भय तथा अपनी स्त्री का भी सहयोग नहीं मिलेगा ऐसी सूचना देता है |
सूर्य नवम में
हो तो आपत्ति, दीनता और धन के प्रयोग आदि से विघ्न |
दशम में हो तो
कठिन विजय और कार्य सिद्दी |
एकादश मे होतो विजय,स्थान
लाभ,पुजा और रोग का नाश |
द्वादशा राशि मे होतो सुंदर स्वभाव वालो की क्रिया फल प्रदान
करती हैं |
2)चन्द्र जन्मराशि से अन्न,उत्तम
शैया और सुंदर वस्त्र प्राप्ति |
द्वितीय मे पुजा व धन का नाश |
तृतीय मे वस्त्र,धन,विजय और सुख की सूचना
देता है ।
चतुर्थ में
चन्द्रमा रहने पर व्यक्ति अविश्वासी हो जाता है ।
यदि चन्द्रमा
जन्म राशि से पंचम में हो तो दीनता, रोग, शोक
और मार्ग में विघ्न-बाधा पैदा करता है |
षष्ठ में धन और सुख को प्रदान करता है,
तथा शत्रु एवं रोग को नाश करता है ।
सप्तम में वाहन
शैय्या, पूजा, भोजन तथा धन की
अच्छी व्यवस्था करता है |
अष्टम में स्थित
चन्द्रमा काफी खतरनाक एवं भयकारी तथा अनिष्टकारी सूचना देता है।
नवम में
चन्द्रमा बंधन, उद्वेग, खेद और उदर रोग
की वृद्धि |
दशम में प्रभुता
और कर्म की सिद्धि |
एकादश में धन की
वृद्धि, मित्र के साथ समागम और धन के साथ प्रमोद |
द्वादश में
चन्द्रमा धन की क्षति, यात्रा, बैल के सींग एवं
खुर आदि से पीड़ित होने की सूचना देता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें