3) यदि जन्म राशि में मंगल हो तो उपद्रव |
द्वितीय में हो
तो राज-पीड़ा, कलहदोष व शत्रु दोष, धातु
दोष, अग्नि, चोर, रोग
इन सभी से परेशानी की सूचना देता है ।
यदि मंगल तृतीय
में हो तो चोर, कुमारों के द्वारा फल, आदेश,
धन, ऊनी वस्त्र, खान
से उत्पन्न द्रव्य और अन्य का लाभ |
यदि चतुर्थ में
हो तो ज्वर, उदर रोग, रक्त विकार और
निंदनीय पुरुष के साथ सम्पर्क करा के अशुभ फल की सूचना देता है ।
पंचम मे मंगल शत्रु रोग और क्रोध |
छठा मंगल भय तथा पुत्र शोक व तांबे से लाभ प्रदान करता हैं |
सप्तम मे मंगल पत्नी से विरोध,नेत्र व उदर रोग |
अष्टम मे शरीर,धन,मान को नष्ट करने की सूचना देता हैं |
नवम में मंगल
प्रभावनाश अर्थनाश और शरीर में दुर्बलता |
दशम में सामान्यतः
शुभ फल |
एकादश में धन
सम्मान और विजय प्रदान करता है ।
व्यय स्थान में
मंगल अनेक प्रकार के खर्च, उपद्रव एवं स्त्री के ऊपर क्रोध,
पिता सम्बंधी कष्ट और नेत्र रोग के बढ़ने की सूचना देता है।
4) जन्म राशि का
बुध मनुष्य को कठोर वाक्यवाला,चुगलखोर, शत्रुता एवं धन
नष्ट करने वाला बताता है |
द्वितीय में अपमान एवं धन का लाभ |
तृतीय में मित्र
का लाभ एवं राजा और शत्रु के भय से शंकित
बताता है ।
चतुर्थ में बुध
सम्बंधियों और बंधुओं की वृद्धि और धन प्राप्ति की सूचना देता है ।
पंचम में बुध हो तो पुत्र और स्त्री के साथ कलह,काम शक्ति में दुर्बलता एवं असफलता |
षष्ठ में सौभाग्य,विजय एवं उन्नति |
सातवे में निर्धनता एवं कलह |
आठवे में विजय,पुत्र,वस्तु एवं धर्म का लाभ बताता है |
नवम में बुध विघ्न कारक |
दशम में शत्रु नाशक,धनदाता,स्त्री शय्या,ऐतिहासिक वक्ता एवं सुंदर बिस्तर प्रदान करता है |
एकादश में धन पुत्र सुख स्त्री मित्र तथा वाहन सुख प्रदान करता
है |
द्वादश में शत्रु अनादर एवं रोग से पीड़ित होने की सूचना देता
है |
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