1)प्रथम अथवा लग्न भाव मे राहू तथा सप्तम मे
केतू-सूर्य मंगल से संबंध होने के कारण पिता व भाई से संबंध
खराब अथवा इन दोनों के सुख मे कमी,शरीर मे कोई ना कोई परेशानी लगी रहे,ऐसा जातक बाहर डरे पर घरवालो को
डराए,चिड़चिड़े स्वभाव का होता हैं जिस कारण
काबिल होते हुये भी कामयाब ना हो पाता हैं |
उपाय-सेहत के लिए गुड गेहूं तांबे की थाली मे भरकर जल प्रवाह करे |
पूर्व की और पुजा ना करे | सूर्य को जल ना दे |
कामयाबी नहीं हर काम मे अटकाव होतो –जातक के वजन का दसवा हिस्सा
कच्चा कोयला बहाये |
बुखार/लाइलाज बिमारी हेतु – शाम को गुड-जौ दोनों हाथो से 3 दिन लगातार मंदिर मे दे |
2)दूसरे भाव मे राहू-अपने शहर से दूर रहना पड़े,भाइयो से सबंध अच्छे न रहे,परिवार मे किसी ना किसी को सांस संबंधी बीमारी,लकवा,टी॰बी॰आदि की परेशानी कारण दवाइयो का दौर चले,धन खर्च हो,जुबान कड़वी होने के कारण ससुराल मे तकलीफ,पुत्र से तकलीफ मिले |
मंदिर बनाकर चढ़ावा खुद प्रयोग करे | मंदिर मे चढ़ावा ना दे बल्कि मंदिर का चढ़ावा घर पर लाकर प्रयोग करे | पश्चिम दिशा मे रसोई ना रखे | 43 दिन/गुरुवार हाथी के पाव की मिट्टी जलप्रवाह करे | चाँदी की 2 ठोस गोली जेब मे रखे | चाँदी के पिंजरे मे चाँदी की 1 ठोस गोली गले मे पहने | काला सफ़ेद कंबल दान किया करे | कान छिदवाकर कान मे सोना पहने | केले दान करे |
तीसरे भाव मे राहू होने से जातक नरम दिल व बहादुर होता हैं,उसकी औलाद भी वफादार होती हैं पर वो अपनों को धन देकर पछताता रहता हैं उसके बुध और गुरु दोनों खराब फल देते हैं |
हर 3 माह मे वजन का दसवा हिस्सा कच्चा कोयला बहाये | हर साल कांसे के कटोरी मे हलवा बनाकर देसी घी से तरकर चांदी के नाग नागिन का जोड़ा रखकर वह हलवा गरीबो को दान करना चाहिए |
राहू चौथे भाव
मे-ज़िंदगी बढ्ने ना दे,बड़े बड़े दुख मिले,कामकाज ना चले,भाग्य और ज्ञान साथ ना दे,किसी भी काम मे कामयाबी नहीं मिले जिससे
मन का सुख ना मिल पाये,माँ तो तकलीफ़े मिलती
रहे भूमि,वाहन संपत्ति ना जुड़
पाये मकान बनाने के बाद/आग संबंधी काम करने के बाद/घर पर यदि चूल्हा जलता होतो
बरबादी होती चली जाए |
चाँदी के बर्तन को मकान की नीव मे दबाये | उत्तर पूर्व कोने को साफ रखे | कुत्ता पाले | घर पर आग ना जलाए | 7 बुधवार 400ग्राम साबूत धनिया शरीर से उतारा कर जल प्रवाह करे |
राहू पांचवे भाव मे – यह भाव सूर्य व गुरु से संबंध रखता हैं जातक के पिता का काम ना चले जिससे पिता से दुख प्राप्त हो,स्वयं का स्वास्थ्य खराब रहे औलाद की कमी रहे जातक को कोई ना कोई तकलीफ लगी रहे |
दक्षिण मुखी ना रहे | घर का मुख्य द्वार जंग लगा ना हो उसे साफ,चमकदार रखे | दहलीज पर चाँदी का आधा इंच चौड़ा पतरा लगाए | बच्चो को कामयाब करने के लिए चाँदी का ठोस हाथी स्टील की कटोरी मे गंगाजल मे डुबोकर उनके सिरहाने रखे | जीवन साथी की तबीयत बच्चा होने के बाद खराब रहती हो तो उससे दुबारा विवाह करे |
राहू छठे भाव मे- यह बुध का घर होता हैं बुध और राहू के मिलने से गुरु खराब हो जाता हैं आज्ञाकारी,धार्मिक होतो ज्यादा खराबी मिले,चुस्त चालक तेज व ऐश करने वाला होतो बहुत कामयाब,आधुनिक तक्नीक का काम जैसे स्पा,होटल,मसाज पार्लर,विदेश संबंधी काम,इन्टरनेट का काम आदि करे तो बहुत बढ़िया रहे |
3-3 काले कुत्ते पाले | सफ़ेद कंबल दान करे | संस्कारी व आध्यात्मिक ना बने | मीठे दूध मे अंगूठा डालकर दिन 2-3 बार चूसे | कान मे सोना पहने गुरु वस्तुए खूब दान करे |
राहू सप्तम भाव मे- यह भाव शुक्र व बुध दोनों से संबंध रखता हैं यदि यह बुध व शुक्र 2रे या 11वे भाव मे होतो बहुत शुभ होता हैं ऐसा जातक पढे लिखो का बाप होता हैं,पर उसे पत्नी व औलाद का सुख प्राप्त नहीं होता | वैवाहिक जीवन मे तनाव रहता हैं | कामकाज स्थिर नहीं रहता |
43 दिन लगातार फिटकरी से दाँत साफ करे | 7 नारियल एक साथ एक ही दिन हर वर्ष जलप्रवाह करे | लोहे की लाल रंग की गोली साथ रखे | चकोर चांदी संग रखे | काले रंग की गाय की सेवा करे | 2 चाँदी की कटोरी मे एक एक चाँदी का टुकड़ा डालकर एक कटोरी मंदिर मे रखकर आए तथा एक कटोरी अपने घर पर रखे | माणिक पहने | चांदी की एक ईट गंगाजल मे डुबोकर बेडरूम मे रखे | हर 3 साल 101 सूखे नारियल जलप्रवाह करे |
राहू अष्टम भाव मे-यह भाव शनि व मंगल का होता हैं जिससे काम मे परेशानी लगी रहे,व्यापार ना चले उसमे कोई ना कोई समस्या बनी रहे | जातक को दिखावे के आदत हो,जातक यदि 2 नंबर का पैसा बनाए तो उसका 8 गुना नुकसान होकर निकलता हैं |
मंगल को प्रसाद बांटे | शनि का दान खूब करे | 8 दिन 8-8 खोटे सिक्के जल प्रवाह करे | 8 किलो जौ हर वर्ष जलप्रवाह करे | 4 किलो रांगे के 10 टुकड़े करके बहाये |
नवम भाव मे राहू- काम से संबन्धित दिक्कत,फेफड़ो की बीमारी,बाप दादा की संपत्ति ना मिले,दूसरों के मार्गदर्शन मे अच्छा काम करे,मकान सड़क से नीचे हो जाए,पित्रदोष कारण पुत्र सुख मे कमी रहे |
कान मे सोना पहने पुत्र के जन्म बाद उसको भी कान मे सोना पहनाए | 100 कुत्तो को एक ही दिन भोजन कराये | केसर तिलक लगाए | जलेबी का दान करे | पीला कपड़ा,हल्दी आदि मंदिर मे दान करे | गले मे सोना पहने | पीपल जल चढ़ाया करे |
10वा राहू- ऐसा जातक रईस व कामयाब होता हैं यदि राहू खराब होतो उसे हमेशा डर सा लगा रहता हैं,सिर मे पीड़ा रहती हैं,कामो मे देरी होती हैं | बॉस से तनाव मिलता रहता हैं |
सूर्य को अच्छा करने के लिए सिर को ढककर रखे | 1 किलो जौ दूध से धोकर घर के अंधेरे कोने मे रखे | हर साल 4 किलो देसी खांड बहाये | अंग भंग दिव्यांग लोगो को भोजन कराए प्रसन्न करे |
11वा राहू – पिता व दादा के लिए अशुभ जवानी मे मूर्ख,पढ़ाई के विपरीत काम करे,पिता को गोली लगे,12 साल की आयु से काम का बिगाड़ना शुरू हो जाए,दादा का सुख ना मिल पाये |
हर साल 4 नारियल सरसों का तेल व काले तिल लगाकर मंदिर मे दे |केसर तिलक लगाए | ससुराल से सोने की चेन लेकर पहने |
12वा राहु - सबसे ज्यादा खराब होता हैं ऐसे जातक को बिस्तर के सुख मिलने मे व नींद मे परेशानी लगी रहती हैं,जातक की समृद्दि इज्जत व शौक सब खराब रहे,जेल लडाई झगड़ा ज़िद मे जो भी काम करे उसमे हानी पाये या काम बिगड़े जिससे बुद्दि खराब ही रहे |
छत साफ रखे उसमे कबाड़ बिलकुल ना रखे | 43 दिन 1200 ग्राम काले कोयले बहाये | सौफ और मूंगा लाल रंग की चकोर थैली मे भर कर सिरहाने रखे | 48 दिन 3 केले मंदिर मे दे | दायें हाथ मे सोना ना पहने |
सभी भावो के लिए कालसर्प के लिए
हर साल कांसे के कटोरी मे हलवा बनाकर देसी घी से तरकर चांदी के नाग नागिन का जोड़ा
रखकर वह हलवा गरीबो को दान करना चाहिए |
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