मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

दरिद्र योग



यह योग जिस जातक की कुंडली मे रहता हैं वह धनवान के घर भी जन्म लेकर दरिद्रता भर जीवन जीने को मजबूर रहता हैं लक्ष्मी की कृपा उसपर बिलकुल नहीं रहती इस प्रकार के कुछ योग निम्न हैं |

1)लग्न या चन्द्र से सभी केंद्र भावो मे किसी भी ग्रह का ना होना या इन चारो केन्द्रो मे पाप ग्रहो का होना |

2)चन्द्र सूर्य के संग नीच राशि के ग्रह से दृस्ट हो व पाप अंशो मे हो |

3)नीच राशि या शत्रु क्षेत्र का चन्द्र केंद्र या त्रिकोण मे हो और उससे 6,8,12 वे भाव मे गुरु हो |

4)नीच या शत्रु या पाप ग्रह के वर्ग मे शनि शुक्र एक दूसरे को देखते हो या एक संग हो |

5)लग्नेश होकर गुरु केंद्र से बाहर अस्त अवस्था मे हो और लाभेष निर्बल हो |

6)गुरु,मंगल,बुध,और शनि नीच के होकर 5,6,8, 11, या 12वे भाव मे हो |

7)शुक्र,गुरु,चन्द्र,मंगल नीच राशि के होकर लग्न, 5,7,9 या 10 वे भाव मे हो |

8)लग्नेश द्वादश भाव मे तथा द्वादशेश लग्न मे हो तथा किसी एक के साथ सप्तमेश हो या उसे देख रहा हो |

9)लग्नेश षष्ठेश मे परिवर्तन हो तथा चन्द्र 2रे या 7वे भाव मे हो |


10)लग्नेश 6,8,12वे हो तथा उसके साथ द्वितीयेश या सप्तमेश हो |

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