गुरुवार, 19 नवंबर 2015

हमारे शास्त्रो मे निरापद निवास के लिए क्या करने को कहा गया हैं ?

हमारे शास्त्रो मे निरापद निवास के लिए क्या करने को कहा गया हैं ?

निरापद निवास के लिए निम्न बातें हमारे शास्त्रो मे कही गयी हैं |
पाँच नामो का स्मरण –राजा भोज कृत समरांगण सूत्रधार के दूषण भूषण अध्याय मे ऐसे कई कर्तव्यो का उल्लेख हैं जो प्रत्येक ग्रहस्थ के लिए ज़रूरी हैं वस्तुमंडन के रचयिता सूत्रधार मंडन ने भी वस्तु नियम के पालन के बाद परिवार को घर मे नियमित पुजा,तीनों काल की संध्या,अतिथि सेवा,गौ सेवा आदि यज्ञों का निर्देश दिया हैं |

वस्तुपूजन मे सुग्रीव को देवतुल्य आदर दिया गया हैं | राम स्वभुजबल और आत्मविकास के पर्याय हैं सीता शक्ति हैं और लक्ष्मण व हनुमान निष्काम सहयोगी भाई समान मित्र का बोध कराते हैं | सुग्रीव जीवन मे होने वाले तमाम समझौतो व संधियो की पूर्णता करवाने वाले हैं | चौसठ व इक्यासी वास्तु पुरुष चक्र से लेकर सहस्त्रपद तक वास्तुपद मे सुग्रीव को एक देव के रूप मे स्थापित किया जाता हैं
इसी क्रम मे पद्मपुरान मे कहा गया हैं –

रामलक्ष्मणों सीता च सुग्रीवों हनुमान कपि: |
पंचेतान स्मरतों नित्यं महाबाधा प्रमुच्यते ||

2)इसी प्रकार किसी भी प्रकार की व्याधियों के विनाश के लिए निम्न श्लोक का प्रतिदिन स्मरण करने से व्याधियो का शमन हो जाता हैं |

सोमनाथों वैधनाथों धन्वन्तरिरथाश्वनौ |
पंचेतान य: स्मारेनित्यं व्याधिस्तस्य न जायते ||

3)प्रतिदिन हनुमान के 12 नामो का स्मरण करने से भी दुखो का अंत होता हैं

अंजनी सुत,वायु पुत्र,फाल्गुन सख,महाबली,अमित विक्रम,सीता शोक विनासन,रामेष्ट,उदधि क्रमण,लक्ष्मण प्राणदाता,हनुमान,दशग्रीव दर्पहा,पिंगाक्ष 

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