गुरुवार, 19 सितंबर 2024

वक्री ग्रह व विवाह सुख

 

भारतीय ज्योतिष में विवाह सप्तम भाव से देखा जाता है । सप्तम भाव जहां जीवन साथी हेतु देखा जाता है वहीं उसके स्वामी की स्थिति, उसका लग्नेश के साथ संबंध और इन सबसे ऊपर शुक्र (भोगकारक) ग्रह की स्थिति का आकलन सही प्रकार से किया जाए तो वैवाहिक जीवन का पूर्ण अस्तित्व जाना जा सकता है ।

आजकल के भौतिकवादी जीवन में विवाह एवं वैवाहिक जीवन एक समस्या के रूप में देखा जा रहा है । कोई विवाह न होने से परेशान है, कोई वैवाहिक जीवन में क्लेश व तनाव के कारण परेशान है । इस लेख में ऐसे ही कुछ तथ्य जानने का प्रयास किया गया है जिससे वैवाहिक जीवन दुखमय हो जाता है अथवा नष्ट हो जाता है । इस लेख में लगभग 500 कुंडलियों का अध्ययन कर कुछ इस प्रकार के तथ्य पाए गए ।

1. जब भी लग्न, लग्नेश, सप्तम, सप्तमेश वक्री ग्रह से संबंधित होते हैं वैवाहिक सुख में परेशानी अवश्य होती है |

2. शुक्र ग्रह जब वक्री ग्रह के प्रभाव में होता है तब भी वैवाहिक जीवन सामान्य नहीं रहता है |

3. लग्न, सप्तम में यदि वक्री ग्रह का प्रभाव हो तो जातक विशेष का विवाह नहीं होता अथवा संबंध विच्छेद हो जाता है ।

आइए अब कुछ कुंडलियों का अध्ययन करते हैं |

1. 10.7.1935 00:40 बनगाव, मेष लग्न की इस पत्रिका के जातक को उसकी पत्नी विवाह के 7 माह बाद छोड़कर चली गई तथा अपने अंतिम समय में इनके अन्य धर्म की स्त्री से संबंध बने । इनकी पत्रिका में शुक्र पर शनि (व) की दृष्टि है तथा गुरु (व) सप्तम भाव में है ।

2. 26.7.1941 23:55 शिलांग, वृषभ लग्न में जन्मे इस जातक की पत्नी इन्हें छोड़कर चली गई तथा इन्हें उसे अपने वेतन में से हिस्सा देना पड़ा । पत्रिका में सप्तमेश मंगल राहु-केतु अक्ष पर है ।

3. 29.12.1942 18:05 भूरेवाल, मिथुन लग्न में जन्मे अभिनेता राजेश खन्ना की पत्रिका में लग्न में गुरु वक्री होकर स्थित है । इनके वैवाहिक जीवन के विषय में सब जानते ही हैं ।

4. 19.11.1917 23:15 इलाहाबाद, कर्क लग्न में जन्मी श्रीमती इंदिरा गांधी का वैवाहिक जीवन प्रेम विवाह होने के बाद भी विवादित व अल्प ही रहा, शुक्र, राहु-केतु अक्ष में है ।

5. 21.7.1952 8:19 अलीगढ़, सिंह लग्न में जन्मी इस जातिका का विवाह मात्र 10 घंटे बाद ही इसके घरवालों ने तोड़ दिया जब उन्हें पता चला कि इसका पति गूंगा व बहरा है । इसकी पत्रिका में लग्नेश सूर्य व योगकारक शुक्र दोनों राहु-केतु अक्ष में है ।

 


6. 5.1.1913 00:05 मथुरा कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का पति विवाह के 4 वर्ष बाद गुजर गया जब यह मात्र चौदह वर्ष की थी । बाल विवाह होने के कारण इन्होंने अपनी ससुराल भी नहीं देखी थी । इनकी पत्रिका में शुक्र (योगकारक) वक्री शनि द्वारा दृष्ट है तथा राहु-केतु अक्ष पर भी है ।

7. 28.5.1939 16:10 आगरा, तुला लग्न में जन्मी इस जातिका को विवाह के दो माह बाद मात्र 17 वर्ष की आयु में तलाक दे दिया गया । पत्रिका में लग्नेश शुक्र केतु संग है तथा राहु-केतु अक्ष पर भी है ।

8. 23.11.1926 5:50 पुत्तपर्थी, वृश्चिक लग्न में जन्मे श्री पुट्टपर्थी साईंबाबा ने संन्यास की वजह से विवाह नहीं किया । पत्रिका में लग्नेश मंगल वक्री अवस्था में है तथा लग्न में बुध वक्री होकर स्थित है ।

9. 23.11.1975 9:00 दिल्ली, धनु लग्न में जन्मी इस जातिका को दो वर्ष बाद तलाक दे दिया गया । पत्रिका में मंगल वक्री अवस्था में सप्तम भाव में स्थित है ।

10. 3.8.1944 18:30 मदुरै, मकर लग्न में जन्मे इस जातक को हृदय में सूजन के चलते पत्नी होते हुए भी वैवाहिक सुख से वंचित रहना पड़ा । इनकी पत्रिका में शुक्र सप्तम भाव में राहु संग स्थित है जिसने स्त्री सुख में ग्रहण का कार्य किया |

11. 13.7.1838 21:30 जयपुर, कुंभ लग्न में जन्मे इस रियासती राजा ने संतान प्राप्ति हेतु 6 विवाह किए परंतु नपुंसकता के चलते संतान नहीं हुई । पत्रिका में लग्नेश शनि वक्री होकर शुक्र पर दृष्टि दे रहा है ।

12. 5.9.1967 19:40 अलमोडा, मीन लग्न में जन्मे इस क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर का अपनी पत्नी से तलाक का केस चल रहा था तथा अन्य स्त्री से संबंध थे जिसकी इन्होंने हत्या कर स्वयं भी आत्महत्या कर ली थी । इनकी पत्रिका में शनि वक्री होकर लग्न में है तथा योगकारक शुक्र भी वक्री है ।

उपरोक्त सभी कुंडलियां प्रदर्शित की गई हैं अन्य उदाहरण इस प्रकार से हैं :

13. 26.7.1939, 00.50, लखनऊ मेष लग्न पहली पत्नी के गुजरने के बाद दूसरा विवाह किया लग्नेश वक्री है तथा राहु-केतु अक्ष भी है ।

14. 13.11.1902, 17.30, मेरठ: मेष लग्न पत्नी छोड़कर निम्न स्त्री संग रहने लगे । शुक्र राहु संग सप्तम भाव में है |

15. 2.10.1951, 19.40, हापुड़ मेष लग्न, आयु में 17 वर्ष बड़ा पति होने से वैचारिक मतभेद के कारण 1 वर्ष बाद मायके में रहने लगी, पत्रिका में सप्तमेश शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

16. 10.2.1936, 3.30, बनारस वृश्चिक लग्न में जन्मी इस जातिका ने पति के कटु व्यवहार के चलते आत्महत्या कर ली थी इनकी पत्रिका में शुक्र राहु-केतु अक्ष पर है ।

17. 9.3.1969, 19.00, दिल्ली कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का दो माह में तलाक हो गया पत्रिका में राहु केतु के अलावा लग्न में वक्री गुरु है ।

18. 23.2.1952, 9.20, इलाहाबाद मीन लग्न इस जातक का दूसरे वर्ष तलाक हुआ । वक्री शनि सप्तम भाव में है |

19. 10.12.1989, 12.35, आगरा कुंभ लग्न में जन्मी इस जातिका ने अपने से 15 वर्ष बड़े व्यक्ति से विवाह किया जिससे इसके पिता ने इसके पति पर यौन शोषण का आरोप लगा उसे जेल करवा दी, इसकी पत्रिका में शुक्र राहु-केतु अक्ष पर है ।

20. 14.5.1955, 9.00, जम्मु मिथुन लग्न में जन्मी इस जातिका का पति विवाह के 3 वर्ष बाद गुजर गया । इनकी पत्रिका में राहु-केतु अक्ष के अतिरिक्त वक्री शनि की सप्तम भाव पर दृष्टि भी है |


21. 12.1.1967, 8.50, मेरठ: मकर लग्न, विवाह नहीं हुआ सप्तम भाव में वक्री गुरु है ।

22. 29.7.1933, 7.00, गाजियाबाद कर्क लग्न विवाह नहीं हुआ । सप्तमेश वक्री होकर सप्तम भाव में ही है ।

23. 4.1.1965, 3.30, मेरठ तुला लग्न एक वर्ष में तलाक हुआ सप्तम भाव में वक्री गुरु है ।

24.11.7.1895, 12.20, दिल्ली कन्या लग्न में जन्मे इस जातक का विवाह नहीं हुआ था । पत्रिका में लग्नेश बुध वक्री है तथा शुक्र भी केतु संग है ।

25. 12.8.1932, 10.20, फरीदाबाद कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का पति नपुंसकता के चलते संबंध बनाने में असमर्थ था । इनकी पत्रिका में लग्नेश बुध वक्री है तथा सप्तमेश गुरु राहु-केतु अक्ष में है ।

26. 14.4.1937, 19.10, दिल्ली तुला लग्न में जन्मी इस जातिका में 37 वर्ष की आयु में बड़ी उम्र के विधुर से विवाह किया । दाम्पत्य सुख नाम मात्र रहा । पत्रिका में शुक्र वक्री होकर सप्तम भाव में है ।

27. 5.3.1924, 10.03, हैदराबाद मेष लग्न में जन्मे इस जातक ने अंतर्जातीय प्रेम विवाह किया जिससे इसके घरवालों ने इसे पत्नी समेत घर से बेदखल कर दिया । पत्रिका में शनि वक्री होकर सप्तम भाव में है ।

28. 5.11.1986, 12.00, हैदराबाद मकर लग्न में जन्मी सानिया मिर्जा ने जब प्रेम विवाह किया तब इनके पति पूर्व विवाह होने के कारण अच्छा खासा विवाद हुआ इनकी पत्रिका में शुक्र वक्री है ।

29. 12.10.1977, 6.00, छपरा कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का अंतर्जातीय प्रेम विवाह असफल रहा । लग्न व शुक्र राहु-केतु के अक्ष में है ।

30. 12.5.1976, 18.30, आगरा तुला लग्न तलाक हुआ । लग्नेश शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

31. 11.5.1985, 16.00, मथुरा: कन्या लग्न । तलाक हुआ | लग्नेश बुध राहु संग है ।

32. 22.12.1974, 11:00, दिल्ली कुंभ लग्न । तलाक हुआ । लग्नेश शनि वक्री होकर शुक्र को देख रहा है |

33. 11.1.1971, 2.25, कलकत्ता तुला लग्न । मुकदमा चल रहा है । सप्तम में वक्री शनि है ।

34. 7.9.1980, 8.30, हरिद्वार: कन्या लग्न । तलाक हुआ । शुक्र राहु संग है ।

35. 15.10.1965, 6.30, दिल्ली कन्या लग्न । तलाक हुआ । शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

36. 21.10.1955, 22.30, दिल्ली मिथुन लग्न । तीन दिन में अलग हुए । लग्नेश बुध वक्री है ।

37. 7.10.1965, 18.45, दिल्ली मेष लग्न । तलाक हुआ | शुक्र राहु-केतु अक्ष पर वक्री शनि से दृष्ट है ।

38. 27.1.1958, 7.00, गाजियाबाद मकर लग्न । दो दो विवाह हुए । शुक्र लग्न में वक्री है ।

39. 23.11.1970, 7.10, आगरा वृश्चिक लग्न की इस स्त्री का 42 वर्ष तक विवाह नहीं हुआ । सप्तमेश शुक्र वक्री है ।

40. 24.8.1969, 5.00, देहरादून कर्क लग्न । विवाह नहीं हुआ है । सप्तमेश शनि वक्री है ।


41. 26.7.1972, 12.10, लखनऊ तुला लग्न विवाह नहीं हुआ है । वक्री गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि तथा सप्तमेश मंगल वक्री बुध के संग स्थित है |

42. 26.7.1972, 4.00, मेरठ मिथुन लग्न की स्त्री, विवाह 42 वर्ष तक नहीं | लग्नेश-सप्तमेश दोनों वक्री हैं तथा सप्तमेश सप्तम में ही है |

43. 26.12.1956, 19.30, दिल्ली कर्क लग्न में जन्मे इस जातक की पहली पत्नी गुजर गई तथा इन्होंने दूसरा विवाह किया । इनकी पत्रिका में शनि (सप्तमेश) व शुक्र राहु के साथ है ।

44. 1.11.1935, 6.10, बनारस तुला लग्न में जन्मे इस जातक की पहली पत्नी गुजर गई । इन्होंने चार वर्ष बाद दूसरा विवाह किया । इनकी पत्रिका में वक्री शनि की सप्तम भाव व शुक्र पर दृष्टि है ।

45. 16.10.1952, 6.25, पुणा कन्या लग्न के इस जातक के भी दो विवाह हुए । सप्तमेश गुरु वक्री है ।

46. 7.11.1976, 19.50 कलकत्ता वृषभ लग्न में जन्मी इस जातिका ने प्रेम विवाह किया परंतु इनके पति ने इन्हें चार माह बाद पारिवारिक दबाव के कारण छोड़ दिया । इनका गुरु लग्न में वक्री है ।

47. 23.2.1981, 19.40, रायपुर: मिथुन लग्न में जन्मी इस स्त्री का तलाक हो गया, पत्रिका में लग्नेश-सप्तमेश दोनों वक्री हैं ।.

48. 23.10.1962, 1.00, हुगली कर्क लग्न में जन्मे इस जातक की पत्नी से अन्य व्यक्ति का सबंध रहे । जिस कारण इन्होंने उसे छोड़ दिया । इनकी पत्रिका में गुरु (वक्री) अष्टम भाव में है तथा शनि सप्तमेश केतु के साथ है ।

49. 9.10.1976, 1.10, मुम्बई कर्क लग्न में जन्मी यह जातिका अपने विद्यार्थी जीवन में किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रही | बाद में पिता ने जबरदस्ती किसी अन्य से विवाह करवाया परंतु इन्होंने पति को छोड़ दिया । इनकी पत्रिका में गुरु (वक्री) की सप्तम भाव पर दृष्टि है तथा शुक्र राहु संग है ।

50. 31.5.1970, 13.10, दिल्ली सिंह लग्न में जन्मे इस जातक का विवाह 1998 में हुआ,शारीरिक अक्षमता के कारण जातक विवाह संबंध बनाने में असमर्थ था । पत्नी तीन माह बाद मायके चली गई तथा उसने इन पर दहेज संबंधी मुकदमा कर दिया मामला विचाराधीन है । इनकी पत्रिका में राहु-केतु अक्ष के अतिरिक्त गुरु (व) की सप्तम भाव पर दृष्टि है |

51)29/7/1996 16:01 जयपुर वृश्चिक लग्न वक्री शनि की सप्तम भाव मे दृस्टी हैं | 

52)24/2/1995 11:05 जयपुर वृष लग्न सप्तमेश वक्री हैं इन दोनों का 15/11/2021 मे तलाक हुआ |

53)8/3/1980 7:30 जयपुर मीन लग्न सप्तमेश वक्री सप्तम भाव मे शनि वक्री हैं 2/11/2006 को विवाह हुआ तथा 17/12/2006 को तलाक हुआ |

निष्कर्ष : इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि विवाह के अवयवों लग्न-लग्नेश, सप्तम-सप्तमेश व कारक शुक्र पर वक्री ग्रहों का प्रभाव वैवाहिक जीवन में अशुभता अवश्य प्रदान करता है । यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि विवाह विच्छेद होने के और भी कई कारण हो सकते हैं परंतु उनमें से एक कारण वक्री ग्रहों का प्रभाव अवश्य हो सकता है |

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