ज्योतिष ग्रहों की तरंगों का विज्ञान है तरंगे जब 1 सेकंड में 16 से अधिक होती हैं तब एक खास मधुर ध्वनि पैदा करती हैं इसे संगीत कहा जाता है | संगीत तरंगों का विज्ञान है हिंदुओं के अनुसार संगीत सामवेद है जबकि ज्योतिष उपवेद है इस प्रकार यह एक दूसरे से संबंधित होते हैं | इस लेख मे हम संगीत द्वारा उपायों के बारे में जानेंगे |
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जिस पर संगीत का जादू ना चलता हो भले ही प्रत्येक व्यक्ति का संगीत संबंधी शौक अलग अलग होता है पर संगीत की तरफ उसका झुकाव अवश्य होता है | विज्ञान भी अब संगीत को रोग के इलाज में सहायक मानने लगा है शास्त्रीय संगीत भले ही सबके समझ में ना आता हो परंतु इसे मानव शरीर के मन मस्तिष्क को तनावमुक्त करने तथा आनंदित करने का कारक चिकित्सा जगत भी मानता है | संगीत के द्वारा याददाश्त व कार्य क्षमता का बढ़ना विज्ञान अपने प्रयोगों में सिद्ध कर चुका है प्राचीन समय में शायद इसीलिए प्रत्येक जातक को संगीत सीखने सीखाने की परंपरा रही है |
हिंदुओं के अनुसार सात स्वर सा,रे,गा,मा,पा,धा,नि माने गए हैं जिनका उदय शंकर जी के पांच मुखो से उस समय हुआ जब उन्होंने अपना नृत्य किया था संगीत जगत का प्रारंभ नाद अथवा ध्वनि से हुआ है जो पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है हवा की तरंगे जब कानो से टकराती हैं तब ध्वनि अथवा नाद पैदा होता है जो ग्रहों के द्वारा ही संचालित होता है ग्रहों को स्वर अनुसार इस प्रकार रखा गया है
सूर्य -
सा
चंद्रमा - पा
मंगल - धा
बुद्ध - रे
गुरु - नी
शुक्र - मा
शनि - गा
ग्रहों को इन स्वरों में उनकी चुंबकीय व विद्युतीय धारा के तहत रखा गया है जो कि प्राचीन शास्त्र में दी गई है निम्न ग्रह व राशियों को कुछ रागों पर माना गया है |
राग भैरवी -
कुंभ राशि -
स्वामी शनि
राग भोपाली - कन्या राशि -
स्वामी बुध
राग बंगल - मीन राशि -
स्वामी गुरु
राग मालव -
कन्या राशि -
स्वामी बुध
राग श्री -
वृषभ राशि -
स्वामी शुक्र
राग बसंत -
सिंह राशि -
स्वामी सूर्य
राग सारंग -
धनु राशि -
स्वामी गुरु
राग पंचम -
वृश्चिक राशि -
स्वामी मंगल
इसमें भैरवी राग का स्वामी शनि कहा गया है शनि पाप ग्रह होते हुए भी प्रेम व धर्म को दर्शाता है जो जातक को पीड़ा के साथ-साथ समझदारी भी देता है इस शनि ग्रह से संबंधित जातक गंभीर प्रकृति के होते हैं |
श्री राग शाम को गाया जाता है जिसके विशेषता प्रेम व माधुर्यता हैं जिसे शुक्र से देखा जाता है क्योंकि इन दोनों का कारक शुक्र ही होता है |
रागो को अलग अलग भावनाओं पर बहते हुए तरीके में रखा जाता है संगीत का प्रत्येक प्राणी पर जादू जैसा असर होता है चाहे वह मानव हो या जानवर कोई भी संगीत के इस जादू से बच नहीं पाता हैं ये माना जाता है कि यदि किसी को संगीत का ज्ञान व सही सूरो की पहचान हो तो वह अपनी संगीत प्रतिभा से किसी को भी प्रसन्न कर उसकी आत्मा को परमात्मा तक से मिलवा सकता है तानसेन इसका ज्वलंत उदाहरण रहे हैं |
किसी भी कुंडली में जिसमें चंद्र, शनि मंगल व राहु संग हो तो जातक को थोड़ा सा भड़काने पर उसके मन मस्तिष्क की स्थिति को आप समझ ही सकते हैं इसके लिए उसे यदि संगीत सुनाया जाए तो पाप ग्रहों का असर कम होने से वह शांत होने लगता है जब वीणा की तान बजती है तो व्यक्ति के मस्तिष्क मे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर उसका गुस्सा शांत कर देती है |
साधारण जन हेतु प्रत्येक ग्रह कुछ ना कुछ ऊर्जा देता है यानी गर्मी,रोशनी,चुंबकत्व विद्युता तथा कुछ अन्य प्रकार की ऊर्जाए हैं जो नीचे से ऊपर अथवा ऊपर से नीचे की ओर बढ़ती-घटती रहती हैं जब चंद्रमा का शनि मंगल राहु से संबंध होता है या युति होती है तो जातक में पाप ग्रहो की ऊर्जा अथवा अशुभ ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा रहता है उसे जब कुछ चुनिंदा ध्वनि सुनाई जाती हैं तब उसका उन पाप ऊर्जाओ का प्रभाव कम होने लगता है जो उपाय की तरह काम करता है ग्रहो का शुभ अशुभ प्रभाव जो जन्म के समय जातक की पत्रिका में होता हैं उन्हें कई प्रकार की ताकतों जैसे यंत्र,मंत्र,संगीत,हवन,जप आदि से ठीक किया जा सकता है बशर्ते ऐसा करने वाला अपने कार्य में दक्ष हो चाहे वह मंत्रज्ञ हो, संगीतज्ञ हो,पंडित हो अथवा कोई अन्य हो |
प्रत्येक विचार तरंग की भांति हैं जो दिमाग में विद्युत प्रभाव डालते हैं इस प्रकार संगीत कई प्रकार की शुभ ध्वनियाँ हैं जो मस्तिष्क को अपने प्रभाव में लेकर उसे सही प्रकार से काम करना सिखाती हैं यह ध्वनियाँ ग्रहों की तरंगे ही होती हैं |
गुरु ज्ञान का ग्रह है,शुक्र व कुछ हद तक बुध महसूस करने वाले ग्रह कहे गए हैं,जब शुक्र चौथे घर में होता है तो जातक को संगीत प्रिय होता है जबकि जब गुरु बुध चौथे भाव में होते हैं तो जातक
ज्ञान पिपासु होता हैं संगीत भावनाओ व महसूस करने के लिए होता हैं ज्ञान प्राप्ति
के लिए नहीं इसलिए जब संगीत से संबन्धित उपाय देना होतो जातक की पत्रिका मे शुक्र बुध पर पाप प्रभाव अवश्य देखना चाहिए अणुओ का चलना किसी भी पदार्थ मे ध्वनि की लय पर
आधारित होता हैं |
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