शनिवार, 28 सितंबर 2024

वास्तु से विवाह का संबंध

 

जिस तरह रोटी, कपड़ा और मकान व्यक्ति के लिए जरूरी हैं, उसी प्रकार मनुष्य के लिए विवाह जरूरी है । हम आए दिन देखते हैं कि किसी जातक का विवाह तो समय से पहले हो जाता है और कभी-कभी बहुत कोशिश करने पर भी विवाह नहीं होता है । प्रत्येक मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों की शादी अच्छे घर में और अच्छे कुल में हो,बेटी को अपने ससुराल में कोई परेशानी नहीं आए और जो बहू लाते हैं हमारे कुल की शान बने । यही आशा लेकर हम विवाह की रस्म करते हैं । आजकल के बच्चे अपना कॅरिअर बनाने में इतना जुट गए हैं कि वे भूल जाते हैं कि उनके विवाह का सही समय निकल रहा है । लड़के - लड़कियों की कुंडली देखते रहनी चाहिए ताकि समय पर विवाह हो जाए,कभी-कभी ऐसा होता है कि कुंडली में योग तो होता है शादी का, पर घर में वास्तुदोष होने के कारण भी शादी में बाधा आती है अथवा फिर जो बच्चे शादी लायक हैं, उनके सोने की, उनके कमरे की स्थिति या दिशा अगर गलत होने पर भी विवाह में बाधा आती है ।

वास्तुशास्त्र के अनुसार विवाह योग्य लड़के-लड़कियों के सोने का कमरा वायव्य कोण में होना चाहिए । ये लाभकारी होगा कि वायव्य कोण में उच्चाटन की प्रकृति होती है और इसका उद्देश्य यह भी होता है कि इस कोने में सोने वाले जातक को पढ़ने या कमाने के लिए भी बाहर भेजा जाता है । एक बात का ध्यान रखें कि जिस बच्चे की उम्र 10-12 साल की हो, तो उन्हें इस कोने में नहीं सुलाएं, क्योंकि न ही उनकी विवाह की उम्र होती है और न ही कमाने लायक अगर ऐसा होगा तो बच्चे स्वभाव से चंचल, चुलबुले, जिद्दी और स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं । कोई रोक-टोक उनको पसंद नहीं होती है ।

अगर बच्चों को हम कमरा नैर्ऋत्य में होगा, तो बच्चे कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे और उनके विवाह में भी बहुत-सी बाधाएं आती रहेंगी। बच्चों का स्वभाव भी बहुत खराब हो जाएगा। आलसी, जिद्दी, चिड़चिड़े, कम बोलने वाले होते हैं। अगर बच्चों का प्रेम संबंध हो जाता है तो घरवालों के लिए चिंता की बात होती है क्योंकि वे अपनी जाति से अन्य जाति में संबंध बनाते हैं।

अगर हम बच्चों को अग्निकोण में कमरा दे दें, तो भी नुकसान है कि बच्चा अपनी मनमानी करता है। हर समय गुस्से का, बहुत तेज बोलने में कड़वा, लड़ाई- झगड़े का स्वभाव भी रहता है। ये कोण बच्चे और विवाहित दम्पती के लिए सही नहीं है। उनका पूरा जीवन कलह और अशांति में व्यतीत होता है। कभी-कभी नौबत तलाक तक चली जाती है।

दक्षिण दिशा में या शयनकक्ष अच्छा माना जाता है। इसमें घर का मुखिया रह सकता है या फिर घर का बड़ा बेटा भी रह सकता है। इस कमरे में सोने का पलंग इस तरह लगा होना चाहिए कि सोते समय सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में होने चाहिए। अगर किसी कारण से पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में नहीं रख सकते तो उससे पश्चिम दिशा में लगा सकते हैं। सिर पश्चिम में और सिर पूर्व दिशा में करें। विशेष ध्यान रखने वाली बात यह है कि कमरे में कोई कांच इस तरह लगा हुआ हो कि सोते समय शरीर का कोई अंग उसमें दिखता है तो कांच ढंककर सोएं वरना जो भाग दिख रहा है उसमें दर्द रहना शुरू हो जाएगा। जैसे कि उदाहरण के तौर पर सोते समय कांच में आपका सिर दिख रहा है तो सिर में दर्द, बेचैनी, नींद कम आना, चिड़चिड़ापन आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । 

कमरे में कोई भी भगवान की फोटो या मंदिर नहीं लगाएं। अगर जगह की कमी है और कोई जगह नहीं है तो ये ध्यान रखें कि पूजा करने के बाद उसे लाल अथवा सिंदूरी रंग के पर्दे से ढंक दें और कमरे के ईशान कोण में ही दें और कमरे के ईशान कोण में ही लगाएं। कमरे की साज-सज्जा इस तरह करें कि कमरे का माहौल खुशनुमा, प्यार भरा, खुशबूदार होना चाहिए। दिनभर इंसान काम में व्यस्त रहता है । जब वह कमरे में आए तो शांति, सुकून, आरामदायक नींद आनी चाहिए | कमरे का रंग हल्का और कमरे के नैर्ऋत्य में पति-पत्नी की एक फोटो होनी चाहिए। लव वर्ड्स या कोई लव सिंबल होना चाहिए। एक्वेरियम और कोई फव्वारा नहीं होना चाहिए |

कमरे की दिशा कोई भी क्यों न हो,पलंग की स्थिति दक्षिण में हो और सोने का तरीका पैर उत्तर में और सिर दक्षिण दिशा में रखें ।

सोते समय सिर पर कोई टांड या कोई बीम नहीं होना चाहिए ।

मरे में किसी जानवर, युद्ध, कुरूपता, उदासी, एकल पक्षी का फोटो नहीं लगाएं ।

खिड़कियां उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। अगर पश्चिम दिशा में हो,तो शाम के 2 से 6 बजे के समय मोटा पर्दा लगा दें ताकि नकारात्मक ऊर्जा अंदर नहीं आ सके ।

अगर कमरे में अलमारी है, तो उसे इस तरह रखें कि खोलते समय खुद का मुंह दक्षिण अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए।

घड़ी को उत्तर अथवा पूर्व की दीवार पर लगाएं और बंद घड़ी घर में नहीं रखें। उसे जल्दी चालू करें या ऐसी जगह पर रखें जहां दिखाई न दे।

कमरे में हल्का कलर का पेंट कराएं और कमरे में कोई ऐसी चीज नहीं रखें जिससे नकारात्मक ऊर्जा हो।

कमरे में ए.सी., हीटर हमेशा अग्निकोण में ही लगाएं।

घर के मध्य भाग में बैडरूम नहीं होना चाहिए।

घर का मुखिया बैडरूम के नैर्ऋत्य कोण के कोने में होना चाहिए और बड़े बेटे का कमरा प्रथम मंजिल के दक्षिण कोण में होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार बैडरूम खुला और साफ-सुथरा होना चाहिए ।

कमरे का फर्श भी गहरे रंग का नहीं हो। चाहे वह मार्बल हो या कार्पेट।

कमरे की छत की लंबाई कम नहीं होनी चाहिए और न ही खिड़की दरवाजे छोटे हों।

कमरे के नीचे बेसमेंट नहीं हो अगर हो, तो उसके दक्षिण-पश्चिम का भाग भारी हो। ज्यादा से ज्यादा सामान इसमें रखें।

बल्ब का रंग भी हल्का हो जो कि आंखों को सुकून दे ।

कमरे में कोई भी नुकीली चीज नहीं रखें अन्यथा आपसी संबंध खराब होंगे जैसे नेल कटर, चाकू या कोई सामान का ऐसा कोना जो पलंग को नकारात्मक ऊर्जा दे।

बेडरूम को सही दिशा या जगहा मे बनाए या उसके अंदर की साज-सज्जा भी इस तरह से रखें कि कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसमें न जाए और मन में शांति बनी रहे। पति-पत्नी के आपसी संबंध अच्छे और मधुर बने रहें। जब भी कमरे में जाएं तो सुकून और शांति मिले । भरपूर नींद और प्रेम तथा उत्साह से आपका जीवन सुखमय हो ।

 

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