हमारे शरीर का
प्रत्येक अंग किस समय सबसे ज़्यादा कार्य कर रहा होता हैं उसके अनुसार शास्त्रो मे
कर्म किए जाने का विधान बताया गया हैं आइए जानते हैं की इस अंग संचालन के
अनुसार किस समय क्या क्या काम किए जाने चाहिए |
प्रात: 3 से 5 बजे – फेफड़े (टहले)
5 से 7 बजे – बड़ी आंते
(शौच)
7 से 9 बजे - अमाशय
(बादाम मुनक्का खाये)
9 से 11 बजे - अग्नाशय व
प्लीहा (भोजन)
11 से 13 बजे दोपहर – हृदय (आत्म चिंतन)
13 से 15 बजे - छोटी आंत (भोजन व जल ग्रहण)
15 से 17 बजे शाम - मूत्राशय (विसर्जन)
17 से 19 बजे – गुर्दे (हल्का खान पान)
19 से 21 बजे - मस्तिष्क (पढ़ाई)
21 से 23 बजे रात्रि – रीढ़ (आराम)
23 से 1 बजे मध्यरात्रि - पिताशय (निद्रा)
1 से 3 अर्ध रात्री - लीवर
( आराम )
2 टिप्पणियां:
Pranam guruji..aap se apne kundali ke bare kuch vichaar vimarsh chahta hu..
सभी ग्रहो के अपने अपने उपग्रह होते है जो की अप्राकशित होते है इन सभी नौ ग्रहों में से सबसे अधिक महत्व शनि का उपग्रह गुलिक रखता हैं. गुलिक को मांदि के नाम से भी जाना जाता है. जन्म कुंडली की विभिन्न गणनाओं में इसका अपना स्वतंत्र रुप से महत्वपूर्ण स्थान है. कुंडली में यह अत्यधिक अशुभ फल प्रदान करने में सक्षम होता है. गुलिक का उपयोग बच्चे के जन्म के समय संशोधन में भी किया जाता है. इस उपग्रह की अपनी राशि कुंभ को माना गया है. गुलिक की उच्च अथवा नीच राशि के विषय में कहीं कोई भी वर्णन नहीं मिलता है.विभिन्न भावों में गुलिक के होने के निम्नलिखित फल इस प्रकार से हैं :-
प्रथम भाव में गुलिक का फल –
ज्योतिषियों ने लग्न में गुलिक के फलों को शुभ नहीं माना है. यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के लग्न में ही गुलिक स्थित है तब ऎसा व्यक्ति गलत संगत में पड़कर चोरी कर न सीख सकता है. ऐसा व्यक्ति किसी के सामने कुछ भी बोल देता है।
दूसरे भाव में गुलिक का फल –
जब गुलिक किसी व्यक्ति की कुंडली में दूसरे भाव में होगा तो वो ज्यादा सुन्दर नहीं दिखेगा। ऐसा व्यक्ति अपनी जिंदगी से दुखी रहता है, मतलबी होता है इसे किसी की कोई लाज नहीं होती है और ना ही इसे किसी से लड़ने में ही कोई हिचक अथवा झिझक ही होती है।
तीसरे भाव में गुलिक का फल –
जन्म लग्न के तीसरे भाव में गुलिक अथवा मांदि के स्थित होने पर व्यक्ति अत्यधिक आकर्षक होता है. ऎसा व्यक्ति अपने गाँव अथवा समाज का मुखिया होता है।यह सदाचार का पालन करने वाला व सदगुणों से युक्त होता है।ऐसा व्यक्ति हर प्रकार से धन कमाने में खुद को व्यस्त रखता है।
चतुर्थ भाव में गुलिक अथवा मांदि का फल –
चतुर्थ भाव में गुलिक का फल शुभ नहीं माना गया है क्योकि इस भाव में गुलिक की उपस्थिति से व्यक्ति अस्वस्थ रहता है। इसे वात संबंधी विकार और पित्त संबंधी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।
पंचम भाव में गुलिक का फल –
जन्म कुंडली के पंचम भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति बहुत ज्यादा सराहनीय नहीं होता है. यह गरीब होता है, जीवनचक्र भी औसत ही रहता है. यह स्वार्थी किस्म के व्यक्ति होते हैं जिन्हें अपने ही बारे में सभी कुछ पता होता है।
छठे भाव में गुलिक का फल –
जिन जातको की जन्म कुंडली के छठे भाव में गुलिक स्थित होती है, उनके शत्रुओं की संख्या ना के बराबर रहती है. यह अपने सभी शत्रुओं को पराजित करते हुए आगे बढ़ते हैं. शारीरिक रुप से बली व मजबूत होता है और मजबूत अंगों वाला होता है.
सप्तम भाव में गुलिक का फल –
सप्तम भाव में गुलिक के स्थित होने से व्यक्ति का विवाह देरी से संपन्न होता है और कुछ व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिनके दो विवाह होते हैं. ऎसे व्यक्ति का जीवनसाथी सामान्यत: नौकरी करने वाला होता है और वह एक अच्छे साधन संपन्न परिवार से संबंधित होता है.
अष्टम भाव में गुलिक का फल –
अष्टम भाव में गुलिक की स्थिति से व्यक्ति सदा भूख के कारण परेशान रहता है. ऎसा व्यक्ति दीन व दुखी रहता है, यह निर्दयी भी होता है और इसे अत्यधिक क्रोध आता है. इसका हृ्दय बहुत कठोर होता है और दया भाव का अभाव रहता है. इसके पास बहुत अधिक मात्रा में धन नहीं होता है और अच्छे गुणों से यह विहीन होता है.
नवम भाव में गुलिक का फल –
जिनके जन्म कुंडली के नवें भाव में गुलिक स्थित होती है वह जीवन में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करते हैं. यह क्षीण होते हैं और बुरे कामों को करने की ओर ही इनकी प्रवृति रहती है. यह दया भावना कम ही रखते हैं और इनकी बुद्धि भी दुष्टता की ओर रहती है.
दशम भाव में गुलिक का फल –
दशम भाव में गुलिक के होने के फल को अच्छा बताया गया है. इसके प्रभावस्वरुप व्यक्ति पुत्र संतान प्राप्त करता है. सदा प्रसन्न रहता है, ऎसा व्यक्ति बहुत सी चीजों का उपभोग करते हुए आनंद लेता है.ऎसे व्यक्ति के भीतर बहुत ही श्रद्धा भाव होता है और ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाला होता है.
एकादश भाव में गुलिक का फल –
जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के एकादश भाव में गुलिक स्थित होती है वह अपने आदमियों का नेता होकर उनका नेतृत्व करता है. ऎसा व्यक्ति अपने रिश्तेदारों के कामों को कराने में सदा व्यस्त रहता है. इसकी कद काठी मध्यम स्तर की होती है और यह अपने क्षेत्र का सम्राट होता है.
द्वादश भाव में गुलिक का फल –
जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के द्वादश भाव में गुलिक स्थित होता है वह व्यक्ति निचले स्तर के कामों में ज्यादा लिप्त रहते हैं. ऎसे व्यक्ति अंगहीन भी हो सकते हैं और यह गलत कामों को करने की भी प्रवृति रखते हैं.
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