शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

विशोन्तरी दशा द्वारा फल कथन


प्राय: ज्योतिष करते हुये बहुत से ज्योतिषियो को आरंभ मे विशोन्तरी दशा अनुसार फलित करने मे कठिनाईया आती हैं कोई भी ग्रह किस प्रकार से अपनी दशा मे फल प्रदान करेगा यह जानने के लिए फलित सूत्रो के अतिरिक्त ज्योतिषीय अनुभव की भी ज़रूरत होती हैं | ज्योतिष पढाते समय बहुत से छात्र हमसे भी अक्सर विशोन्तरी दशा के फल कैसे मिलेंगे यह जानने का प्रयास करते रहते हैं अपने इस लेख मे हम कुछ उदाहरण कुंडलियों के द्वारा अपने पाठको को विशोन्तरी दशा के फल बताने का प्रयास कर रहे हैं |

1)18/2/1982 को 10:17 पर नैनीताल मे जन्मी इस जातिका के जीवन मे अप्रैल 2007 मे घटी महत्वपूर्ण घटना बताए?

मेष लग्न मे जन्मी इस जातिका की पत्रिका मे अप्रैल 2007 मे शुक्र महादशा मे बुध अंतर्दशा चल रही थी | शुक्र व बुध दोनों की एक साथ युति (दशम भाव) होने से बुध शुक्र की तरह की फल प्रदान करेगा शुक्र सप्तमेश होने के साथ साथ विवाह कारक भी हैं | जातिका की पत्रिका मे पंचमेश सूर्य सप्तम भाव मे बैठे गुरु नवमेश द्वारा दृस्ट हैं जिससे पंचम (प्रेम संबंधो का कारक),सप्तम (विवाह संबंध),नवम (पिता व पारिवारिक सहमति) तथा एकादश (इच्छापूर्ति) भावो का संबंध बन गया हैं जो की पारिवारिक सहमति से प्रेम विवाह की आदर्श स्थिति बता रहा हैं |

गोचर मे शनि चतुर्थ भाव से जन्मकालीन शुक्र तथा गुरु गोचरीय शुक्र बुध दोनों को देख रहा था |

इन सब कारणो से जातिका का परिवारिक सहमति से प्रेम विवाह अप्रैल 2007 मे सम्पन्न हुआ |


2)19/9/1973 21:30 पर सिकंदराबाद मे जन्मे इस जातक के साथ मार्च 2009 मे क्या घटना हुई?

मीन लग्न मे जन्मे इस जातक पर मार्च 2009 मे चन्द्र मे शुक्र अंतर्दशा चल रही थी चन्द्र व शुक्र दोनों ही मारक भावो मे हैं तथा एक दूसरे से छह-आठ भी हैं अत; किसी अनहोनी की तरफ इशारा करते हैं | जातक का लग्न आयु कारक शनि द्वारा दृस्ट हैं परंतु शनि स्वयं राहू केतू अक्ष मे हैं लग्नेश गुरु नीच अवस्था मे एकादश भाव मे चर राशि का हैं वही लग्न पर अस्टमेश,तृतीयेश व अंतर्दशानाथ शुक्र नीच की द्विस्वभाव राशि से भी दृस्टी हैं जो आयु की कमी बताती हैं चंद्रमा महादशानाथ भी मंगल व राहू के प्रभाव मे हैं |

गोचर मे शनि की छठे भाव से आयु भाव मे दृस्टी पड़ रही थी तथा गुरु जन्मकालिक नीचस्थ गुरु पर से अष्टम से अष्टम तृतीय भाव व सप्तम भाव मे स्थित जन्मकालीन शुक्र को ही देख रहा था वही अंतर्दशानाथ शुक्र लग्न से सप्तम भाव को ही देख रहा था |

इन सब कारणो से जातक की मार्च 2009 मे गोली लगने से मृत्यु हुई |


3)30/3/1970 7:45 पर शिमला मे जन्मे इस जातक के साथ मई 1996 मे घटी घटना बताए ?

मई 1996 मे जातक पर सूर्य महादशा मे केतू अंतर्दशा मे शुक्र का प्रत्यंतर चल रहा था इनमे शुक्र सप्तमेश व विवाह कारक हैं तथा केतू अचानक विवाह को प्रेरित करने वाला ग्रह हैं |

गोचर मे सूर्य लग्न मे लग्नेश के ऊपर से सप्तम भाव को देख रहा था वही शुक्र तीसरे भाव मे था तथा गुरु नवम भाव से लग्न पंचम व सप्तमेश शुक्र को देख रहा था |

इन सभी योगो के कारण जातक ने मई 1996 मे अचानक विवाह किया |


4)4/3/1952 को 23:30 दिल्ली मे जन्मे इस व्यक्ति के साथ 1974 मे घटी घटना बताए तथा वर्तमान मे जातक का कार्यक्षेत्र भी बताए?

1974 मे जातक पर गुरु मे शनि मे शुक्र की दशा चल रही थी गुरु षष्ठेश व तृतीयेश होकर छठे भाव मे हैं तथा शनि चतुर्थेश व पंचमेश होकर द्वादश भाव मे हैं तथा शुक्र लग्नेश होकर चतुर्थ भाव मे ही हैं जिनसे जातक का चौथा,पांचवा तथा बारहवाँ भाव प्रभावित हो रहा है जो की जातक के ऊंच शिक्षा के लिए विदेश प्रवास के बारे मे बता रहा हैं |

जातक का कर्मेश चन्द्र नवम भाव मे हैं जिस पर पंचमेश शनि की दृस्ति हैं कर्म भाव पर व पंचमेश शनि दोनों पर गुरु का प्रभाव भी हैं जिससे जातक के धर्म संबंधी कार्य के रुझान  का पता चल रहा हैं वही चन्द्र से दशम भाव पर बुध-गुरु का संबंध जातक को धर्म व ज्योतिष का जानकार बता रहे हैं 

इन्ही सब कारणो से जातक विदेश मे रहकर ज्योतिष की शिक्षा प्रदान करते हैं |


5)25/4/1939 22:40 को अमृतसर मे जन्मे इस जातक के साथ फरवरी 2012 को घटी घटना बताए?

फरवरी 2012 मे जातक पर सूर्य मे शनि मे बुध का प्रत्यंतर चल रहा था सूर्य छठे भाव मे षष्ठेश मंगल से दृस्ट हैं शनि तृतीय व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर पंचम भाव मे अष्टमेश बुध (नीच) व द्वादशेश शुक्र संग हैं | शनि 22वे द्रेष्कोण का मालिक होकर विनाशक नक्षत्र रेवती मे हैं वही बुध 64वे नवांश का स्वामी भी हैं तथा सूर्य शनि मे शत्रुता के अतिरिक्त 2/12 का संबंध हैं जो अशुभ माना जाता हैं |

इन सभी कारणो से जातक के 4,5,6,8,12 भाव प्रभावित हो रहे थे जिनके मिश्रित प्रभाव से जातक की हृदयघात से मृत्यु हुई |










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