बुधवार, 31 अक्तूबर 2018

दिवाली पर ऐसे पाएं धन

1)घर पर दक्षिणावर्ती शंख,मोती शंख,गोमती चक्र और कुबेर पात्र आदि रखें |

2)दिवाली के दिन पीपल का पत्ता लाकर अपने पूजा घर में रखें फिर प्रत्येक शनिवार नया पत्ता लाकर पूजा घर में रखे तथा पुराना पता किसी पेड़ के नीचे रख आए |

3)दिवाली की रात लौंग तथा इलायची की भस्म बनाकर देवताओं पर टीका लगाएं |

4)दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के बाद चांदी के ढक्कन वाली डिब्बी में ऊपर तक नागकेसर तथा शहद भरकर इसे अपनी गल्ले या तिजोरी में रखें तथा अगली दिवाली को फिर ऐसा करें पुरानी डिब्बी विसर्जित कर दें |

5)दिवाली के दिन पीपल वृक्ष के नीचे संध्याकाल में सरसों का तेल का दीपक जलाकर बिना देखे घर वापस आए यह प्रयोग दिवाली के बाद प्रत्येक शनिवार को करते रहे |

6)दिवाली के दिन काले तिल परिवार के सभी सदस्यों से सिर पर सात बार उतारा कर पश्चिम दिशा में फेंके |

7)दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद हर कमरे में शंख व डमरू बजाएं |

8)भाई दूज के दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते जल में महालक्ष्मी का स्मरण करते समय छोड़ें |

9)दिवाली के दिन व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए अथवा व्यवसाय में रुकावट को दूर करने के लिए एक डिब्बी में सियार सिंगी,बिल्ली की नाल एवं हत्था जोड़ी डालकर सिंदूर भरकर रख दें |

10)श्वेतार्क गणपति संग श्री यंत्र चौखट पर स्थापित करने से दुकान खूब चलने लगती है |

11)अशांति,विवाद तथा भागीदारी मे क्लेश से बचने के लिए दुकान में श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए दुकान में तिजोरी अथवा नकदी का स्थान उत्तर दिशा में होना चाहिए |

12)लाल रंग के बॉर्डर में अपना फोटो ऑफिस में लगाएं और इसे दक्षिण दीवार में प्रसिद्धि हेतु अपनी संस्थान का नाम लाल रंग से नीचे लिखकर दक्षिण दीवार पर लगाए |

13)लॉकर के काउंटर में शीशा लगाएं जिससे धन दोगुना होकर दिखता हो |


14)दिवाली के दिन प्रातः लक्ष्मी विष्णु के मंदिर में जाकर वस्त्र दान करें तथा पूजा के वक्त गन्ने को रखकर उसकी भी पूजा करें |

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

समय अनुसार अंग संचालन



हमारे शरीर का प्रत्येक अंग किस समय सबसे ज़्यादा कार्य कर रहा होता हैं उसके अनुसार शास्त्रो मे कर्म किए जाने का विधान बताया गया हैं आइए जानते हैं की इस अंग संचालन के अनुसार किस समय क्या क्या काम किए जाने चाहिए |

प्रात: 3 से 5 बजे  – फेफड़े (टहले)

5 से 7 बजे – बड़ी आंते (शौच)

7 से 9 बजे - अमाशय (बादाम मुनक्का खाये)

9 से 11 बजे - अग्नाशय व प्लीहा (भोजन)

11 से 13 बजे दोपहर – हृदय (आत्म चिंतन)

13 से 15 बजे - छोटी आंत (भोजन व जल ग्रहण)

15 से 17 बजे शाम - मूत्राशय (विसर्जन)

17 से 19 बजे – गुर्दे (हल्का खान पान)

19 से 21 बजे - मस्तिष्क (पढ़ाई)

21 से 23 बजे रात्रि – रीढ़ (आराम)

23 से 1 बजे मध्यरात्रि - पिताशय (निद्रा)


1 से 3 अर्ध रात्री - लीवर ( आराम )

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

विशोन्तरी दशा द्वारा फल कथन


प्राय: ज्योतिष करते हुये बहुत से ज्योतिषियो को आरंभ मे विशोन्तरी दशा अनुसार फलित करने मे कठिनाईया आती हैं कोई भी ग्रह किस प्रकार से अपनी दशा मे फल प्रदान करेगा यह जानने के लिए फलित सूत्रो के अतिरिक्त ज्योतिषीय अनुभव की भी ज़रूरत होती हैं | ज्योतिष पढाते समय बहुत से छात्र हमसे भी अक्सर विशोन्तरी दशा के फल कैसे मिलेंगे यह जानने का प्रयास करते रहते हैं अपने इस लेख मे हम कुछ उदाहरण कुंडलियों के द्वारा अपने पाठको को विशोन्तरी दशा के फल बताने का प्रयास कर रहे हैं |

1)18/2/1982 को 10:17 पर नैनीताल मे जन्मी इस जातिका के जीवन मे अप्रैल 2007 मे घटी महत्वपूर्ण घटना बताए?

मेष लग्न मे जन्मी इस जातिका की पत्रिका मे अप्रैल 2007 मे शुक्र महादशा मे बुध अंतर्दशा चल रही थी | शुक्र व बुध दोनों की एक साथ युति (दशम भाव) होने से बुध शुक्र की तरह की फल प्रदान करेगा शुक्र सप्तमेश होने के साथ साथ विवाह कारक भी हैं | जातिका की पत्रिका मे पंचमेश सूर्य सप्तम भाव मे बैठे गुरु नवमेश द्वारा दृस्ट हैं जिससे पंचम (प्रेम संबंधो का कारक),सप्तम (विवाह संबंध),नवम (पिता व पारिवारिक सहमति) तथा एकादश (इच्छापूर्ति) भावो का संबंध बन गया हैं जो की पारिवारिक सहमति से प्रेम विवाह की आदर्श स्थिति बता रहा हैं |

गोचर मे शनि चतुर्थ भाव से जन्मकालीन शुक्र तथा गुरु गोचरीय शुक्र बुध दोनों को देख रहा था |

इन सब कारणो से जातिका का परिवारिक सहमति से प्रेम विवाह अप्रैल 2007 मे सम्पन्न हुआ |


2)19/9/1973 21:30 पर सिकंदराबाद मे जन्मे इस जातक के साथ मार्च 2009 मे क्या घटना हुई?

मीन लग्न मे जन्मे इस जातक पर मार्च 2009 मे चन्द्र मे शुक्र अंतर्दशा चल रही थी चन्द्र व शुक्र दोनों ही मारक भावो मे हैं तथा एक दूसरे से छह-आठ भी हैं अत; किसी अनहोनी की तरफ इशारा करते हैं | जातक का लग्न आयु कारक शनि द्वारा दृस्ट हैं परंतु शनि स्वयं राहू केतू अक्ष मे हैं लग्नेश गुरु नीच अवस्था मे एकादश भाव मे चर राशि का हैं वही लग्न पर अस्टमेश,तृतीयेश व अंतर्दशानाथ शुक्र नीच की द्विस्वभाव राशि से भी दृस्टी हैं जो आयु की कमी बताती हैं चंद्रमा महादशानाथ भी मंगल व राहू के प्रभाव मे हैं |

गोचर मे शनि की छठे भाव से आयु भाव मे दृस्टी पड़ रही थी तथा गुरु जन्मकालिक नीचस्थ गुरु पर से अष्टम से अष्टम तृतीय भाव व सप्तम भाव मे स्थित जन्मकालीन शुक्र को ही देख रहा था वही अंतर्दशानाथ शुक्र लग्न से सप्तम भाव को ही देख रहा था |

इन सब कारणो से जातक की मार्च 2009 मे गोली लगने से मृत्यु हुई |


3)30/3/1970 7:45 पर शिमला मे जन्मे इस जातक के साथ मई 1996 मे घटी घटना बताए ?

मई 1996 मे जातक पर सूर्य महादशा मे केतू अंतर्दशा मे शुक्र का प्रत्यंतर चल रहा था इनमे शुक्र सप्तमेश व विवाह कारक हैं तथा केतू अचानक विवाह को प्रेरित करने वाला ग्रह हैं |

गोचर मे सूर्य लग्न मे लग्नेश के ऊपर से सप्तम भाव को देख रहा था वही शुक्र तीसरे भाव मे था तथा गुरु नवम भाव से लग्न पंचम व सप्तमेश शुक्र को देख रहा था |

इन सभी योगो के कारण जातक ने मई 1996 मे अचानक विवाह किया |


4)4/3/1952 को 23:30 दिल्ली मे जन्मे इस व्यक्ति के साथ 1974 मे घटी घटना बताए तथा वर्तमान मे जातक का कार्यक्षेत्र भी बताए?

1974 मे जातक पर गुरु मे शनि मे शुक्र की दशा चल रही थी गुरु षष्ठेश व तृतीयेश होकर छठे भाव मे हैं तथा शनि चतुर्थेश व पंचमेश होकर द्वादश भाव मे हैं तथा शुक्र लग्नेश होकर चतुर्थ भाव मे ही हैं जिनसे जातक का चौथा,पांचवा तथा बारहवाँ भाव प्रभावित हो रहा है जो की जातक के ऊंच शिक्षा के लिए विदेश प्रवास के बारे मे बता रहा हैं |

जातक का कर्मेश चन्द्र नवम भाव मे हैं जिस पर पंचमेश शनि की दृस्ति हैं कर्म भाव पर व पंचमेश शनि दोनों पर गुरु का प्रभाव भी हैं जिससे जातक के धर्म संबंधी कार्य के रुझान  का पता चल रहा हैं वही चन्द्र से दशम भाव पर बुध-गुरु का संबंध जातक को धर्म व ज्योतिष का जानकार बता रहे हैं 

इन्ही सब कारणो से जातक विदेश मे रहकर ज्योतिष की शिक्षा प्रदान करते हैं |


5)25/4/1939 22:40 को अमृतसर मे जन्मे इस जातक के साथ फरवरी 2012 को घटी घटना बताए?

फरवरी 2012 मे जातक पर सूर्य मे शनि मे बुध का प्रत्यंतर चल रहा था सूर्य छठे भाव मे षष्ठेश मंगल से दृस्ट हैं शनि तृतीय व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर पंचम भाव मे अष्टमेश बुध (नीच) व द्वादशेश शुक्र संग हैं | शनि 22वे द्रेष्कोण का मालिक होकर विनाशक नक्षत्र रेवती मे हैं वही बुध 64वे नवांश का स्वामी भी हैं तथा सूर्य शनि मे शत्रुता के अतिरिक्त 2/12 का संबंध हैं जो अशुभ माना जाता हैं |

इन सभी कारणो से जातक के 4,5,6,8,12 भाव प्रभावित हो रहे थे जिनके मिश्रित प्रभाव से जातक की हृदयघात से मृत्यु हुई |










बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

चतुर्थ भावस्थ राहु--पूर्व जन्म का श्राप


हम सभी जानते हैं कि कुंडली का चतुर्थ भाव माता,वाहन,योग्यता,सुख-दुख तथा हृदय रोग का कारक होता है जब कभी भी इस भाव में पाप ग्रह स्थित होता है तो इस भाव से संबंधित कारको व वस्तु की प्राप्ति जातक को बड़ी मुश्किल व परेशानियों से ही हो पाती है | ऐसे में यदि चौथे भाव में राहु हो तो जातक को माता का आशीर्वाद तो बहुत वर्षों तक मिलता रहता है परंतु माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता उसे असाध्य रोग लगे रहते हैं,अनुभव मे देखने मे आता है की चतुर्थ भाव में राहु के होने से जातक को जीवन में सुख अथवा आनंद की प्राप्ति की अनुभूति मुश्किल से ही होती है |

जन्म लग्न या चंद्र लग्न से चौथे भाव में राहु अथवा चतुर्थेश के साथ राहु हो तो जातक को उसकी अपनी पिछली तीन पीढ़ियों में किसी की अकाल मृत्यु के कारण इस जन्म में अशांति,दुख,तकलीफ व ग्रह बाधा बनी रहती है,घर में असंतोषपूर्ण माहौल रहता है बहुधा ऐसा उसकी पिछले तीन चार पीढ़ी में किसी व्यक्ति की संपत्ति के कारण हत्या अथवा आत्महत्या करने से होता है जिससे जातक को इस जन्म मे शास्त्र अनुसार ब्रह्म हत्या के दोष का भागी बनना पता हैं यदि इस दोष की शांति ना कराई जाये तो यह दोष कई पीढ़ियो तक चलता रहता है जिससे जातक को इस जन्म में तथा उसकी आने वाली पीढ़ी को अगले कई जन्मो तक बहुत से कष्ट भोगने अथवा भुगतने पड़ते हैं |

प्रस्तुत लेख मे हमने ऐसी ही कुछ कुंडलियों के उदाहरण देने का प्रयास किया हैं जिनसे इस चतुर्थ भाव के राहु के फलो को पिछले जन्मो मे किए गए पाप कर्मो के द्वारा स्पष्ट रूप से देखा व समझा जा सकता हैं |

1)3 फरवरी 1944 रात 11:40 खेरपुरा मेष लग्न में जन्मे इस जातक की पत्रिका में चतुर्थ भाव में कर्क राशि का राहु है | इस राहु के चतुर्थ भाव में कर्क राशि में होने से ज्ञात होता है कि जातक के परिवार में किसी स्त्री को संपत्ति के कारण घर से निकाल दिया गया था तथा उसने विष प्रयोग कर आत्महत्या कर ली थी जिस कारण जातक को इस जन्म में सुख का भाव है जातक के अपने माता पिता से संबंध अच्छे नहीं हैं तथा जातक की पत्नी असाध्य रोग कैंसर से पीड़ित है जातक की दुर्घटना के कारण पांव में रौड डाली गई है जिस कारण उसे चलने में भयंकर पीड़ा होती है इस प्रकार देखे तो जातक शारीरिक रूप से,माता-पिता,पत्नी तथा हर प्रकार के सुख से वंचित है |

2)18/ 8/1944 9:35 कानपुर मेष लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे राहू चौथे भाव मे कर्क राशि का हैं तथा चतुर्थेश चन्द्र अस्त अवस्था मे हैं जो कुल देवी का श्राप बताता हैं घर की परेशानियों के कारण जातक अविवाहित रहा इनकी माता आज भी ज़िंदा हैं परंतु बहुत सी बीमारियो से पीड़ित रही हैं  इनके कई मकान हैं परंतु काम की अधिकता के कारण इन्हे ज़्यादा बाहर रहना पड़ता हैं जिससे घर का कोई सुख नहीं मिल पाता हैं |


3)2/2/1941 2:35 दोपहर उज्जैन मिथुन लग्न की इस पत्रिका में चतुर्थ भाव में कन्या राशि का राहु स्थित है जिस कारण जातक की माता जीवित होते हुए भी हृदय रोग से पीड़ित है जातक की पत्नी को भी हृदय रोग और मधुमेह की बीमारी है पंचमेश शुक्र के संग सूर्य अष्टम भाव में होने से जातक को संतान की तरफ से असंतोष है तथा नेत्र में बीमारी है जातक की पुत्रवधु का व्यवहार भी उनके प्रति अनुचित है |

4)16/1/1938 20:00 बजे झालरापाटन राजस्थान सिंह लग्न की इस पत्रिका मे चतुर्थ भाव में वृश्चिक राशि का राहु है जो पिछले जन्म में भाई से संबंधित भूमि का कोई लेन-देन बताता है इस जातक की कोई पुत्र संतान नहीं है तथा उसके भाई उससे हमेशा कुछ ना कुछ लाभ उठाते रहते हैं राहु की चंद्रमा पर दृष्टि होने से जातक हृदय रोग से ग्रसित हो गया है | सप्तम भावस्थ मंगल होने से पत्नी का स्वभाव बेहद उग्र है जिससे घर पर हमेशा अशांति का माहौल बना रहता हैं पत्नी सुख में भी कमी लगी रहती है |

5)22/12/1937 23:05 झालरापाटन राजस्थान,सिंह लग्न कि इस पत्रिका में चौथे भाव में वृश्चिक राशि का राहु शुक्र के साथ है जिससे पता चलता है कि जातक ने पूर्व जन्म में अपने नाना की संपत्ति पर कब्जा कर लिया था इस कारण जातक को घर-सुख के अतिरिक्त योग्य संतान होने के बावजूद दूरी के कारण संतान सुख मिल पाना मुश्किल हो रहा है | सप्तम भाव में मंगल होने से तथा सप्तमेश के अष्टम भाव मे होने से पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तथा भाइयों से भी अनबन लगी रहती है |

6)30/8/1971 12:25 कोटा,तुला लग्न की इस पत्रिका में चतुर्थ भाव में मकर राशि का राहु मंगल सप्तमेश के साथ है शनि चतुर्थेश अष्टम भाव मे हैं जिससे परिवार मे कुल देवता का श्राप प्रतीत होता हैं इस जातक की पत्नी को रात्रि में दो आकृतियां दिखलाई देती हैं जिस कारण उसका पति और ससुर से हमेशा टकराव सा रहता है तथा यह परिवार से अलग रहती है इसका जेठ पागल है तथा उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई है |

7)16/2/1953 23:52 कोटा,तुला लग्न इस पत्रिका में चौथे भाव में मकर का राहु है उच्च का शनि लग्न में होने से शश योग का निर्माण हुआ है जातक के सिर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था | शुक्र के छठे भाव मे होने से तथा षष्ठेश गुरु के सप्तम मे होने यह जातिका मधुमेह के रोगी रही तथा इसका अपने पति से सदैव टकराव रहता है ऐसा लगता है जैसे किसी मृत आत्मा का श्राप इन्हें ढो ना पड़ रहा है इनका एकमात्र पुत्र स्वर्गवासी हो गया तथा अब यह निसंतान रहती हैं |

8)23/1/1952 4:05 कोटा वृश्चिक लग्न स पत्रिका में चतुर्थ भाव में राहु होने से यह पता लगता है कि जातक ने पूर्व जन्मों में किसी की कृषि की भूमि का अपहरण कर लिया था तथा उस जातक के आत्महत्या करने से जातक को वर्तमान जन्म में बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ रहा है जातक की एक संतान गुजर चुकी है तथा एक संतान अपाहिज है | लग्नेश मंगल पर राहु की दृष्टि होने से जातक को रक्तचाप एवं हृदय रोग हैं तथा भाइयों से उसके संबंध अच्छे नहीं हैं |

9)12/3/1933 23:45 कोटा,वृश्चिक लग्न की इस पत्रिका में कुंभ राशि का राहु शुक्र संग चतुर्थ भाव में है जो पूर्व जन्म में ज़मीन हड़पने के कारण चाचा की हत्या का प्रयोजन बताता है चतुर्थ भाव पापकर्तरी में भी है | जातक ने कोई भी पुत्र संतान ना होने की वजह से अपने भाई को ही अपना पुत्र बनाया था जो कुछ समय बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गया जिससे भविष्य मे इन्हे भाई की संतान का ही उत्तरदायित्व निभाना पड़ा | सप्तमेश शुक्र के राहू संग होने से पत्नी असाध्य रोग से पीड़ित रही  हैं |


10)8/2/1971 3:20 देहरादून वृश्चिक लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे चौथे भाव मे कुम्भ राशि का राहू हैं जो इनके द्वारा पिछले जन्म मे ब्राह्मण की कुटिया को जलाए जाने का पता बताता हैं जातक स्वयं ज्योतिषी हैं उसकी माता का स्वस्थ्य हमेशा खराब रहा हैं उनके कई शल्य चिकित्साये हुई हैं जातक का संबंध अपने माता पिता से अच्छा नहीं हैं जातक उनसे अलग रहता हैं तथा उसे घर का सुख नाममात्र का हैं उसे काम के सिलसिले मे अक्सर बाहर रहना पड़ता हैं |  

11)13/12/1950 7:23 फ़ैज़ाबाद उत्तर प्रदेश मे धनु लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे मीन राशि का राहू चौथे भाव मे हैं जिससे इनके पिछले जन्म मे किए गए कर्मो द्वारा ब्राह्मण दोष का पता चलता हैं जातक बहुत धनवान हैं उसके कई काम हैं जिस कारण महीने मे 20 -25 दिन उसे पत्नी व बच्चो से दूर विदेशो मे रहना पड़ता हैं बहुत सी संपत्ति होने के बावजूद घर का सुख नहीं मिल पाता जातक अपनी संतान व अपने सांझेदारों से काफी दुखी रहते हैं और उन्हे बहुत सी बीमारियाँ भी लगी हुई हैं |

12)19 मार्च 1985 4:00 बजे कोटा,मकर लग्न की इस पत्रिका में चतुर्थ भाव में मेष का राहु मंगल संग  है लग्न में नीच का बृहस्पति होने से तथा उस पर शनि का प्रभाव होने से जातक को रात में अपनी स्वर्गीय माता के दर्शन होते हैं जिसे जातक को रात मे नींद नहीं आती तथा घर का माहौल भी ठीक नहीं रहता |

ऐसे में श्राप मुक्ति के लिए निम्न उपाय करने चाहिए |

1)जातक को स्वर्ण का बना सर्प किसी कर्मकांडी ब्राह्मण को विधिवत राहू का पूजन कराकर दान में देना जाएं चाहिए |

2)श्रीमद भगवत कथा का पाठ अपने निवास पर कर्मकांडी ब्राह्मणो से कराना चाहिए |

3)गया में जाकर पितरों का श्राद्ध करना चाहिए |

4)विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नित्य करना चाहिए |

5)हर अमावस्या को एक किशोर ब्राह्मण बालक को भोजन खीर सहित कराना चाहिए |

6)पित्रों हेतु रसोई मे पानी के स्थान में सरसों के तेल का दिया जलाया जाना चाहिए |