1)प्रथमा-वर पक्ष के लिए कन्या दुखो को जन्म देती हैं |
2)द्वितीय-वर को कन्या से अत्यधिक प्रीति मिले जीवन प्रेममय हो |
3)तृतीया –कन्या सौभाग्यवती रहे |
4)चतुर्थी-कन्या वर के धन का नाश करे |
5)पंचमी-दोनों का सुखमय जीवन हो |
6)षष्ठी-विवाह होते ही हर कार्य मे बाधा होने लगे |
7)सप्तमी-हर प्रकार से सुख प्रदान करने वाली वधू की प्राप्ति हो |
8)अष्टमी-किसी प्रकार का फल ना मिले |
9)नवमी-वर को हर समय शोक प्रदान करने वाली वधू मिले |
10)दशमी-आनंद देने वाली वधू जिससे सारे परिवार को आनंद प्राप्त होवे |
11)एकादशी-वधू का आगमन पूरे परिवार को सुख प्रदान करे |
12)द्वादशी-वधू सर्वसुख प्रदान करने वाली हो |
13)त्रियोदशी-सम्मान बढ़ाने वाला विवाह जिससे नाम कमाने वाली संतान जन्म ले
|
14)चतुर्दशी-परिवार मे कलंक लगने वाला विवाह होवे |
15)पूर्णमाशी-हर प्रकार से सुख व संपन्नता देने वाला विवाह होवे |
16)अमावस्या-असफल विवाह या तो तलाक होवे या दोनों मे से एक की मृत्यु हो
जाये |
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