कुंडली मे बंधन योग के वैसे तो बहुत से सूत्र
होते हैं इनमे से कुछ सूत्र हम यहाँ दे रहे हैं जो बिलकुल सटीक साबित होते हैं | यहाँ बंधन योग का अर्थ केवल जेल ही नहीं हैं |
1)लग्न
से 5,7,9 भावो मे पाप ग्रह हो और यह सभी भाव पाप ग्रहो के
स्वामित्व मे भी हो |
2)अशुभ
ग्रह
2,5,9,12 भावो मे
हो | ईश कृपा के लिए लग्न,लग्नेश व
दशमेश पर गुरु की दृस्टी होनी चाहिए |
3)यदि
लग्न शनि अथवा सर्प ड्रेसकोण मे हों तथा चंद्र शनि द्वारा देखा जा रहा हो |
4)यदि
लग्न का ड्रेसकोण निगड़,सर्प या पाश हो
और पाप ग्रह से देखा जा रहा हो तो जेल हो सकती हैं यदि पाप ग्रह 12वे भाव मे हो तो
कर्ज़ कारण,2रे भाव मे होतो सही प्रकार से धन संबंधी कार्य ना करने पर,5वे भाव मे होतो
पुत्र के कारण,7वे भाव मे होतो किसी के स्त्री शोषण के कारण,9वे भाव मे होतो धन व राजनीतिज्ञ कारण से जेल होती हैं |
5)कुंडली
के अतिरिक्त ड्रेसकोण कुंडली भी देखनी चाहिए | लग्न से 2-12,3-11,4-10 भावो मे
बराबर ग्रह होने चाहिए |
6)आपराधिक
प्रवृति के लिए षष्ठेश व अष्टमेश संग पाप ग्रह होने चाहिए | चन्द्र व बुध (वक्री) आपराधिक प्रवृति देते हैं |
7)अरिष्टकारक ग्रह की दशा तथा गोचर मे अरिष्ट ग्रह पर शनि प्रभाव |
8)केस
लड़ते समय षष्ठेश की दशा होनी चाहिए तथा लग्न या चन्द्र लग्न से दशम दशमेश या दोनों
पर गुरु प्रभाव होना चाहिए |
आइए एक उदाहरण देखते हैं |
1)20/12/1951
00:30 दिल्ली कन्या लग्न की इस पत्रिका मे लग्न का षष्ठेश व अष्टमेश से संबंध हैं | बुध वक्री होकर शनि से दृस्ट हैं मंगल संग इसका परिवर्तन
भी हैं | चन्द्र राहू केतू अक्ष मे द्वादश भाव मे हैं | अष्टम भाव व चन्द्र से अष्टमेश पर मंगल शनि प्रभाव हैं | कारकांश कुम्भ से मंगल शनि दोनों अष्टम भाव मे हैं | जातक को बंधन मे रहना पड़ा हैं |
1 टिप्पणी:
Sir mere bete ka janam 18august 2009 Time 10:29am ko sikar rajsthan m huaa h kya Iske yeah yog h
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