फलित अधिकतर लग्न व चन्द्र लग्न से ग्रहो की स्थिति,दृस्टी के अनुसार किया जाता हैं परंतु ऐसा पाया जाता हैं
की कई बार फलकथन सही नहीं होता यहाँ तक की सबसे बली ग्रह की दशा भी अपना शुभ
प्रभाव नहीं दे पाती | यदि हम पंचांग की दृस्टी से देखे तो
तारीख,वार के अतिरिक्त तिथि का एक अपना ही महत्व होता हैं यह
तिथि जन्मपत्रिका मे अपना एक विशेष स्थान रखती हैं जिसे आमतौर से ज्योतिष के
विद्वान ज़्यादा महत्व नहीं देते हैं जिस कारण अक्सर फलकथन मे ग़लती हो जाती हैं | हमारे प्राचीन
विद्वान तिथियो को कितना महत्व देते थे यह हमारे त्योहारो को देखकर जाना जा सकता हैं जो किसी ना किसी तिथि से
संबन्धित अवश्य होते हैं जैसे राम नवमी,जन्माष्टमी,गणेश
चतुर्थी,विजय दशमी आदि |
फलित सूत्रो के अतिरिक्त पंचांग के सभी अंगो को देखकर भी यदि कुंडली का
फलित किया जाये तो फलित मे सटीकता काफी हद तक पायी जा सकती हैं | पंचांग पाँच अंगो वार,तिथि,नक्षत्र,योग व करण से मिलकर बनता हैं जिसका निर्धारण
हर प्रकार के मुहूर्त आदि के लिए हमारे शास्त्र व विद्वान करते आए हैं |
प्रत्येक तिथि किसी एक राशि विशेष को नियंत्रित करती हैं ( जिसके विषय मे
वर्षादी नूल जातक अलंकार मे लिखा गया हैं ) जिसके प्रभाव से किसी विशेष तिथि मे
जन्मे जातक के लिए कुछ राशियाँ शून्य प्रभाव रखने वाली हो जाती हैं जिससे वह
राशियाँ व उनके स्वामी जातक विशेष हेतु प्रभावहीन हो जाते हैं अर्थात उनका कोई भी अच्छा या बुरा प्रभाव जातक
को उसके जीवन मे प्राप्त नहीं होता हैं | अब ऐसे मे यदि वह राशि अथवा ग्रह जातक की पत्रिका मे शुभ भावो का स्वामी
भी होतो फल प्रदान नहीं करेगा जिससे जातक को कोई भी फल प्राप्त नहीं होगा जबकि
कुंडली यह दर्शा रही होगी की उस ग्रह की दशा जातक को बहुत प्रगति प्रदान करेगी यह
एक ऐसी चूक हैं जो किसी ज्योतिषी को भी फलित मे परेशानी मे डाल सकती हैं |
आइए जानते हैं कौन सी तिथि किस किस राशि को नियंत्रित करती हैं |
1)प्रथमा(तिथि) –मकर,तुला(राशियाँ)-शनि-शुक्र (स्वामी)
2)द्वितीय-धनु,मीन-गुरु
3)तृतीया–मकर,सिंह-शनि-सूर्य
4)चतुर्थी-कुम्भ,वृष-शनि-शुक्र
5)पंचमी-मिथुन,कन्या-बुध
6)षष्ठी-मेष,सिंह-मंगल-सूर्य
7)सप्तमी-धनु,कर्क-गुरु-चन्द्र
8)अष्टमी-मिथुन,कन्या-बुध
9)नवमी-सिंह,वृश्चिक-सूर्य-मंगल
10)दशमी-सिंह,वृश्चिक-सूर्य-मंगल
11)एकादशी-धनु,मीन-गुरु
12)द्वादशी-मकर,तुला-शनि-शुक्र
13)त्रयोदशी-वृष,सिंह-शुक्र-सूर्य
14)चतुर्दशी-मिथुन,कन्या-बुध
पुर्णिमा व अमावस्या तिथियो के लिए कोई राशि शून्य नहीं होती हैं |
इस प्रकार देखे तो जो जातक षष्ठी को जन्म होगा उसके लिए मेष व सिंह
राशियाँ शून्य राशियाँ होगी जिनसे इनके स्वामी मंगल व सूर्य जातक के जीवन मे कोई
भी प्रभाव नहीं देंगे जबकि यह दोनों ग्रह कर्क व सिंह लग्न हेतु शुभ ग्रह माने
जाते हैं ऐसे मे यदि यह दोनों ग्रह 3,6,8 व 12 भाव मे हो,पाप ग्रह संग हो,वक्री होतो जातक को राजयोग प्रदान अवश्य करेंगे परंतु यदि ये ग्रह 1,2,4,5,7,9,10,और 11 भाव मे हो,उनके स्वामियों संग हो तो उनके भावो
की हानी ही करेंगे
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