मनुष्य शरीर के 26 न्यास केंद्र हैं जो इस प्रकार से हैं |
पैरो की 2 तलहटिया,2 पिंडलियाँ,2 जंघाए=6
गुप्तीन्द्री,नाभि,हृदय,मुख,नाक,भृकुटी =6
2 फेफड़े,2 कंधे,2
आँखें,2 कान =8
दायाँ व बायाँ पंजा,हाथ और भुजा =6
न्यास करने की विधि –सोते
समय शवासन की स्थिति मे लेटकर फेफड़ो मे ताजी हवा भरकर अपने बाह्य व आंतरिक दोनों
मन को जाग्रत कर इन 26 केन्द्रो मे नीचे से एक एक पर ध्यान लगाए और 20 सेकंड तक ““ॐ चैतन्य चैतन्य स्वाहा” “शब्द का उच्चारण कर इन्हे चैतन्य करे तथा ऐसा दोबारा ऊपर से नीचे की और
करे |
1)आँखें बंद करके मन को एकाग्र कर दायें हाथ की तर्जनी उंगली को मोड़े
ध्यान दे की आपका पूरा ध्यान उसी उंगली पर हो इसके बाद मध्यमा उंगली को मोड़े इसी
प्रकार पूरी उँगलियाँ एक एक कर मोड़े फिर यही क्रम बाएँ हाथ मे भी दोहराए अब मन को
एकाग्र कर सभी उँगलियाँ खोले ऐसा दिन मे 4-6 बार करे |
2) लेते हुये अपने हाथों को शरीर से दूर रखे मन को एकाग्र कर अपने दायें
हाथ को आज्ञा दे की वह आपके सीने मे आ जाये इसके लिए आपको कोई प्रयत्न नहीं करना
हैं आपका ध्यान जितना ज़्यादा होगा यह क्रिया उतनी ही जल्दी हो जाएगी अत: मन को
एकाग्र रखे | इसी प्रकार
अपने मन को यह आज्ञा दे की आपको ठंड लग रही आप देखेंगे की आपको सच मे ठंड लगने लगी हैं |
3)रात को सोते समय आपके द्वारा पूरे दिन भर मे किए गए कार्यो
को क्रमवार याद करने की सोचे | जब यह क्रमवार याद आने लगे तो एक दो दिन पहले की घटनाओ को क्रमवार याद
करने की सोचे |
4)इस अवस्था मे आपको स्नान आदि से निवृत हो आसन मे बैठकर अपने को
विचारशून्य कर अपने इष्ट की मानस पुजा करनी चाहिए जब ऐसा होने लगे तब अपने आपको
अन्य रूप मे अपने इष्ट की पुजा करते हुये देखने का प्रयास करे इससे धीरे धीरे आपको
सिद्दी प्राप्त होने लगेगी |
5)अपने आपको निर्विकार रखने के लिए साँसो पर नियंत्रण करने का अभ्यास करे ज़ोर
से सांस बाहर निकाले परंतु धीरे धीरे सांस अंदर भरे,हाथों की उँगलियों को आपस मे फंसाकर ऊपर की और अपने शरीर
को ताने तथा गहरी गहरी सांस ले |
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