सोमवार, 23 नवंबर 2015

बताइये ज्योतिषी कहाँ ग़लत हैं |

बताइये ज्योतिषी कहाँ ग़लत हैं |

2005  –पंडितजी बेटे ने 10 पास कर ली हैं बताए कौन सा क्षेत्र इसके लिए अच्छा रहेगा
पंडित जी-इसकी पत्रिका मे सी ए बनने के योग हैं इसे सी ए बनाए |
पंडित जी का शुल्क 200/ परंतु दक्षिणा 51/रु दी गयी

2010 –पंडित जी बेटा सी ए बन गया हैं आपने तो कहा ही था अब ज़रा नौकरी के विषय मे भी बता दे
पंडितजी –इसे आगामी माह मे नौकरी मिल जानी चाहिए बस एक छोटा सा उपाय करवा दीजिएगा |
पंडितजी का शुल्क -500/परंतु दक्षिणा 101 रु दी गयी
अगले माह 30,000 रु प्रति माह की नौकरी भी प्राप्त हो गयी

2013 –पंडितजी बेटा विवाह नहीं कर रहा हैं ?
पंडितजी -इसकी पत्रिका मे प्रेमविवाह की संभावना हैं संभवत: इसी कारण विवाह करने मे आना कानी कर रहा हो प्यार से बैठा कर पूछिये कोई लड़की पसंद होगी जिस कारण ऐसा हो रहा हैं |
पंडित जी लड़की पसंद बताता तो हैं क्या करे
उसी कन्या से उसका विवाह कर दीजिये सही रहेगा,हो सके तो उस कन्या की पत्रिका दिखा दीजिएगा
पंडितजी का शुल्क 1001/ परंतु दक्षिणा 200 रु दी गयी |

2015 –पंडितजी आपकी दया से बेटा 70,000 रु प्रति माह कमा रहा हैं शादी भी हो गयी हैं | एक बेटी भी हैं बेटा कब होगा यह बताए |

पंडितजी इसकी पत्रिका मे गुरु ग्रह का श्राप हैं जिस कारण बेटे का होना मुश्किल जान पड़ता हैं |
हैं ऐसा कैसे पंडितजी हमने या हमारे किसी भी बुजुर्ग ने कभी भी किसी ब्राह्मण,विद्वान तथा गुरु का अपमान  नहीं किया हैं गुरु ग्रह का श्राप कैसे लग सकता हैं “

पंडितजी –इसके पूर्वजो ने अपने पंडित को कभी भी पंडित के कार्य का शुल्क नहीं दिया जिस कारण ऐसा हैं
नहि-नहीं पंडितजी आपसे देखने मे ग़लती हो रही हैं |


पंडितजी –सही कह रहे हैं आप हमसे देखने मे ही ग़लती हो रही होगी यह बेटा जब 10वी मे था और अब 70,000 रुपये प्रति माह कमा रहा हैं शादी,बच्चा भी हो गया परंतु पंडित जी को अबतक आपने 352 रुपये ही दिये हैं शायद आपके पिता ने भी आपके लिए ऐसा ही किया होगा जिस कारण ऐसा हो रहा हैं |

शीघ्र विवाह हेतु शाबर मंत्र


शीघ्र विवाह हेतु शाबर मंत्र

प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से विवाह होने मे किसी भी प्रकार की आ रही रुकावट,अडचन  अथवा समस्या का समाधान हो जाता हैं |

ॐ नमः शिवाय नम: महादेवाय |
जैसे गोरा को तुम,जैसे सीता को राम ||
जैसे इंद्र को शची,जैसे राधा को श्याम |
ऐसी ही जोड़ी हमारी बने महादेव ||
तुझे इस गुरु मंत्र की आन |

इस मंत्र को भगवान शंकर के चित्र के सामने धूप,दीप प्रज्ज्वलित कर नियमित रूप से एक निश्चित समय पर 108 बार करने से विवाह होने मे आ रही सभी बाधाए नष्ट हो जाती हैं यह मंत्र स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता हैं इस मंत्र का प्रभाव 6 माह मे प्राप्त होता हैं |





शनिवार, 21 नवंबर 2015

घरो मे मूर्तियो की पुजा करना क्यू मना किया जाता हैं ?

घरो मे मूर्तियो की पुजा करना क्यू मना किया जाता हैं ?

प्राचीन समय मे मंदिर घरो मे ना होकर गाँव आदि के बाहर हुआ करता था जहां मूर्ति पूजन किया जाता था कालांतर मे समय अभाव के चलते लोगो ने मंदिर घर पर बनाने आरंभ कर दिये तथा जिससे मूर्ति पूजन घर पर ही होने लगा घर चूंकि ग्रहस्थ जीवन का परिचायक हैं जहां हम अपनी संतान को जन्म देने हेतु भोग जीवन जीते हैं वहाँ पर देवताओ इत्यादि की मूर्ति रखना हमारे शश्त्रानुसार भी वर्जित माना गया हैं इसी कारण मूर्तियो का पूजन घर पर मना किया जाता हैं ज्योतिष अनुसार किसी भी प्रकार का पूजन करना गुरु गृह से संबन्धित होता हैं जो ज्ञान इत्यादि का कारक हैं जिससे शुक्र अथवा ग्रहस्थ जीवन की हानी होती हैं इसलिए घर पर पुजा इत्यादि करना मना किया जाता हैं |


गुरुवार, 19 नवंबर 2015

हमारे शास्त्रो मे निरापद निवास के लिए क्या करने को कहा गया हैं ?

हमारे शास्त्रो मे निरापद निवास के लिए क्या करने को कहा गया हैं ?

निरापद निवास के लिए निम्न बातें हमारे शास्त्रो मे कही गयी हैं |
पाँच नामो का स्मरण –राजा भोज कृत समरांगण सूत्रधार के दूषण भूषण अध्याय मे ऐसे कई कर्तव्यो का उल्लेख हैं जो प्रत्येक ग्रहस्थ के लिए ज़रूरी हैं वस्तुमंडन के रचयिता सूत्रधार मंडन ने भी वस्तु नियम के पालन के बाद परिवार को घर मे नियमित पुजा,तीनों काल की संध्या,अतिथि सेवा,गौ सेवा आदि यज्ञों का निर्देश दिया हैं |

वस्तुपूजन मे सुग्रीव को देवतुल्य आदर दिया गया हैं | राम स्वभुजबल और आत्मविकास के पर्याय हैं सीता शक्ति हैं और लक्ष्मण व हनुमान निष्काम सहयोगी भाई समान मित्र का बोध कराते हैं | सुग्रीव जीवन मे होने वाले तमाम समझौतो व संधियो की पूर्णता करवाने वाले हैं | चौसठ व इक्यासी वास्तु पुरुष चक्र से लेकर सहस्त्रपद तक वास्तुपद मे सुग्रीव को एक देव के रूप मे स्थापित किया जाता हैं
इसी क्रम मे पद्मपुरान मे कहा गया हैं –

रामलक्ष्मणों सीता च सुग्रीवों हनुमान कपि: |
पंचेतान स्मरतों नित्यं महाबाधा प्रमुच्यते ||

2)इसी प्रकार किसी भी प्रकार की व्याधियों के विनाश के लिए निम्न श्लोक का प्रतिदिन स्मरण करने से व्याधियो का शमन हो जाता हैं |

सोमनाथों वैधनाथों धन्वन्तरिरथाश्वनौ |
पंचेतान य: स्मारेनित्यं व्याधिस्तस्य न जायते ||

3)प्रतिदिन हनुमान के 12 नामो का स्मरण करने से भी दुखो का अंत होता हैं

अंजनी सुत,वायु पुत्र,फाल्गुन सख,महाबली,अमित विक्रम,सीता शोक विनासन,रामेष्ट,उदधि क्रमण,लक्ष्मण प्राणदाता,हनुमान,दशग्रीव दर्पहा,पिंगाक्ष 

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

शास्त्रानुसार किस नक्षत्र मे व्यापार आरंभ करना चाहिए ?

शास्त्रानुसार किस नक्षत्र मे व्यापार आरंभ करना चाहिए ?

प्राय: देखने मे आता हैं की जब कोई जातक स्वयं का व्यापार करना चाहता हैं तो उसके सामने दो बड़ी समस्याए आती हैं पहली की कौन सी वस्तु का व्यापार करे व दूसरी की व्यापार कब आरंभ करे ज्योतिष द्वारा यह जाना जा सकता हैं किस जातक के लिए कौन सी वस्तु का व्यापार लाभकारी रहेगा जिसके लिए प्रत्येक जातक की कुंडली का अध्ययन करना पड़ता हैं | व्यापार कब आरंभ करे इसके लिए गोस्वामी तुलसीदास अपने रचित ग्रंथ दोहावली मे लिखते हैं की  श्रव ण,धनिष्ठा,शतभीषा,हस्त,चित्रा,स्वाति,पुष्य,पुनर्वसु,मृगशिरा,अश्विनी,रेवती तथा अनुराधा नक्षत्रो मे आरंभ किया गया व्यापार व दिया गया धन हमेशा धनवर्धक होता हैं जो किसी भी अवस्था मे डूब नहीं सकता अर्थात इन नक्षत्रो मे आरंभ किया गया व्यापार कभी भी जातक को हानी नहीं दे सकता हैं | इसी प्रकार शेष अन्य नक्षत्रो मे दिया गया,चोरी गया,छीना हुआ अथवा उधार दिया धन कभी भी वापस नहीं आता हैं अर्थात जातक को हानी ही प्रदान करता हैं |

एक अन्य श्लोक् मे कहा गया हैं की यदि रविवार को द्वादशी,सोमवार को एकादशी,मंगलवार को दशमी,बुधवार को तृतीया,गुरुवार को षष्ठी,शुक्रवार को द्वितीया तथा शनिवार को सप्तमी तिथि पड़े तो यह तिथिया सर्व सामान्य हेतु हानिकारक बनती हैं अर्थात आमजन को इन तिथियो मे नुकसान ही होता हैं | अत: इन तिथियो मे कोई बड़ा सौदा अथवा लेन-देन नहीं करना चाहिए |


रविवार, 15 नवंबर 2015

किसी मृतक के दाहसंस्कार के बाद स्नान का क्या प्रयोजन हैं ?

किसी मृतक के दाहसंस्कार के बाद स्नान का क्या प्रयोजन हैं ?


प्राचीन समय मे मृत्यु जब अप्राकृतिक तरह से होती थी तब बीमारियो से बचने के उपाय नहीं थे जिससे संक्रमण होने की संभावना रहती थी इस संक्रामण से बचने के लिए हमारे विद्वान दाहसंस्कार बाद स्नान(शारीरिक सफाई) करने को कहते थे | 
आधुनिक विज्ञान भी अब इसे मानने लगा हैं ज्योतिषीय दृस्टी से देखे तो दाह संस्कार हमे हमारे शरीर के नश्वर अथवा नष्ट होने के विषय मे बताता हैं इस कर्म को देखने व करने से हमारे मन मस्तिष्क मे विषादग्रस्त एवं मोक्ष प्राप्ति की भावनाए उत्पन्न होने लगती हैं जो शनि व केतू ग्रह से संबन्धित होती हैं स्नान आदि करने से चन्द्र ग्रह का प्रभाव बढ जाता हैं और यह भावनाए नष्ट हो जाती हैं जिससे हम वापस दुनिया के कार्यकलापों मे लग जाते हैं |

शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

विभिन्न रंगो की मूर्तियो की पुजा करने के पीछे क्या तात्पर्य हैं ? शनि के लिए काली मूर्ति क्यो पूजते हैं ?

विभिन्न रंगो की मूर्तियो की पुजा करने के पीछे क्या तात्पर्य हैं ? शनि के लिए काली मूर्ति क्यो पूजते हैं ?


ग्रहो के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए लोग विभिन्न रंगो की मूर्तियो की पुजा करते हैं इसका मुख्य उद्देश्य उस मूर्ति से निकलने वाली रंगीन किरणों मे छुपा होता हैं जिससे जातक के शरीर मे उस रंग की पूर्ति हो जाती हैं पुजा स्थल मे जब दीपक घी इत्यादी से मूर्ति के सम्मुख पूजन किया जाता हैं तब गर्मी व रोशनी उस मूर्ति द्वारा रंग को प्रसारित करती हैं क्योंकि काला रंग सभी रंगो को सोख लेता हैं तथा बैंगनी रंग अधिक होने पर खतरनाक व हानिकारक होता हैं लोग शनि हेतु काली मूर्ति को पूजते हैं ( यह दोनों रंग शनि से संबन्धित हैं ) जिससे शनि ग्रह की नकारात्मकता नियंत्रित हो जाती हैं और इससे जातक को लाभ मिलने लगता हैं कौन सा रंग जातक हेतु शुभ या अशुभ हैं यह जातक की कुंडली से जाना जा सकता हैं |

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

दिवाली मे समय साफ सफाई का क्या अर्थ हैं ?

दिवाली मे समय साफ सफाई का क्या अर्थ हैं ?


शास्त्रानुसार देखे तो दिवाली बरसात के बाद आती हैं बरसात से घर पर टूटफूट व नमी हो जाती हैं जिससे कीड़े  मकोड़ो के घर पर आगमन की संभावना ज़्यादा हो जाती हैं इनसे रक्षा हेतु ऐसा किए जाने का प्रयोजन हैं जबकि ज्योतिष से देखे तो दिवाली कार्तिक मास मे आती हैं जिस समय सूर्य अपनी नीच राशि मे भ्रमण कर रहा होता हैं जिससे उसकी पूर्ण किरणे व ऊष्मा धरती पर नहीं आ पाती हैं ऐसे मे घर पर साफ सफाई करने से घर के प्रत्येक भाग मे समुचित रोशनी व ऊष्मा का संचार हो जाता हैं |

सोमवार, 9 नवंबर 2015

बिहार चुनाव ने दिया प्रधानमंत्री का विकल्प

बिहार चुनाव ने दिया प्रधानमंत्री का विकल्प


बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजो ने भारत वर्ष मे 2019 मे होने वाले लोकसभा चुनावो मे प्रधानमंत्री के विकल्प के रूप मे भारत को एक नया चेहरा प्रदान कर दिया हैं यह चेहरा नितीश कुमार के रूप मे उभर कर आया हैं | हम सभी जानते हैं की नितीश कुमार ने भाजपा अपनी इसी महत्वाकांक्षा के चलते छोड़ी थी की उन्हे भाजपा मे कोई भी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार क्यू नहीं मान रहा था सब मोदी को ही समर्थन दे रहे थे अब जब उन्होने बिहार मे लालू के जादू के चलते अपना करिश्मा दिखा दिया हैं तब यह निश्चित सा हो गया हैं की अगले लोकसभा चुनावो मे वह तीसरे मोर्चे के प्रधानमंत्री पद के प्रबल उम्मीदवार होंगे भाजपा को मोदी जी के अतिरिक्त कोई और चेहरा प्रधानमंत्री तो छोड़िए मुख्यमंत्री के रूप मे भी नहीं दिखता हैं सभी प्रकार चुनावो मे वह केवल मोदी जी को ही आगे खड़ा करती रही हैं मानो अन्य कोई चेहरा उनके पास हैं ही नहीं वही अगर काँग्रेस को देखे तो राहुल गांधी के अलावा उनके खानदान मे भी अब कोई बचा नहीं हैं सभी जानते हैं की इस पार्टी मे कितना वंशवाद हैं | अब चूंकि गेंद बिहार के पाले मे जा पड़ी हैं तो यह निश्चित हैं की लालू नितीश कुमार को अन्य सांझेदारों व अपनी किंगमकेर की छवि के चलते प्रधानमंत्री पद के लिए अवश्य ही उकसाएंगे जिससे उनके मरते हुये राजनीतिक जीवन के कई रास्ते खुदबखुद खुल जाएंगे,नितीश कुमार यदि बिहार से किसी भी प्रकार बाहर होते हैं तो सबसे ज़्यादा फायदा लालू को होगा उनके किसी ना किसी बेटे को मुख्य मंत्री पद मिलने की प्रबल संभावना बन जाएगी वैसे भी नितीश कुमार के आगे पीछे तो कोई हैं नहीं जबकि लालू के खानदान से तो सारा बिहार भरा पड़ा हैं | लालू की यह जीत तो यही साबित करती हैं की भले ही देश के लोग उन्हे कुछ भी कहें परंतु बिहार की समझदार जनता उन्हे आज भी उन्हे मोदी व नितीश कुमार से ईमानदार,कामकाज करनेवाला व अच्छा मानती हैं |

आप सभी को धनतेरस व दिवाली की शुभकामनाए 

बुधवार, 4 नवंबर 2015

ग्रहणकाल के समय घर् से बाहर जाना क्यू मना किया गया हैं ?

शास्त्रो मे ग्रहणकाल के समय घर् से बाहर जाना क्यू मना किया गया हैं ?

ग्रहण के समय सूर्य की किरणे प्रभावित हो जाती हैं और अपने सही रूप मे धरती पर नहीं आ पाती हैं जो किरणे धरती पर आ रही होती हैं वह हमारी आँखों को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकती हैं ज्योतिष मे इसे सूर्य का राहू ग्रह द्वारा ग्रसित होना माना जाता हैं सूर्य क्यूंकी हमारी धरती पर जीवन शक्ति का कारक होता हैं उसकी रोशनी मे रुकावट होने से उसकी यह पूर्ण जीवन शक्ति धरती पर नहीं आ पाती जिससे बहुत से कष्ट हमारे शरीर के अंगो जैसे आँखें,उदर व हड्डियों मे आ सकते हैं इस कारण ग्रहण के समय बाहर जाना शास्त्रो मे मना किया गया हैं |

सोमवार, 2 नवंबर 2015

प्रात: जल क्यू पीना चाहिए ?

1)हमारे बड़े बुजुर्ग हमें प्रात: समय उठने के बाद 8 अंजुली जल पीने का निर्देश क्यू देते हैं ?


ऐसा हम अगर वैज्ञानिक दृस्टी से देखे तो यह हमारे आंतरिक शरीर को अथवा पेट को साफ रखने (डिटोक्सिकेसन) का एक तरीका मात्र हो सकता हैं जबकि ज्योतिषीय आधार पर देखे तो जल को चन्द्र माना जाता हैं जो राहू व शनि अर्थात शरीर मे होने वाली गंदगी का शत्रु होता हैं प्रात: उठकर जब हम जल पीते हैं तो यह जल हमारे शरीर की गंदगी को बाहर कर देता हैं जिससे हमारे शरीर मे पेट की सफाई हो जाती हैं और हम अपनी दिनचर्या स्वस्थ्य रूप से आरंभ कर पाते हैं हम और हमारा विज्ञान यह मानता हैं की शरीर मे होने वाली लगभग सभी बीमारियो का केंद्र हमारा पेट ही होता हैं ऐसे मे यदि हमारा पेट साफ व सही रहता हैं तो हम स्वस्थ्य जीवन गुजार सकते हैं |