शनिवार, 15 दिसंबर 2018

लाल किताब कुंडली व आपके घर की वास्तु


1)जन्म कुंडली का पहला भाव घर की बैठक यानि ड्राइंग रूम को दर्शाता हैं जहां हम बाहरी लोगो से बातचीत करते हैं यदि इस भाव मे मंदे ग्रहो का प्रभाव होतो बैठक मे अवश्य ही वास्तुदोष होता हैं | इस भाव की दिशा पूर्व व कारक सूर्य होता हैं जो घर मे रोशनी के विषय मे बताता हैं |

2)इस भाव से सम्पूर्ण मकान का पता चलता हैं मकान कैसा व किस प्रकार का होगा,छोटा या बड़ा होगा इस भाव से ज्ञात होता हैं इस भाव मे मंदे ग्रह होने से मकान के ग़लत आकार - प्रकार का पता चलता हैं | इस भाव की दिशा उत्तर पश्चिम व कारक गुरु होता हैं इससे घर मे खुली हवा का पता चलता हैं |

3)इस भाव से मकान मे उपलब्ध सुख सुविधाओ के साधन व वस्तुओ का पता चलता हैं इसी भाव से घर मे रखे हथियारों का भी पता चलता हैं इस भाव मे शुभग्रह होने पर जातक के पास सुख ऐश्वर्या के सभी साधन होते हैं | इस भाव की दिशा दक्षिण व कारक मंगल होता हैं | रसोई घर व आग के स्थान का पता इसी भाव से चलता हैं |

4)इस भाव से घर मे नल,जल का श्रोत,पानी रखने की जगह तथा रसदार पौधो का स्थान देखा जाता हैं इस भाव मे पाप ग्रह होने से जातक को अपने घर पर रसदार पौधे नहीं लगाने चाहिए | इस भाव की दिशा उत्तर पूर्व व कारक चन्द्र होता हैं | घर पर पानी की व्यवस्था का पता इस भाव से चलता हैं |

5)इस भाव से घर की पूर्वी दीवार,बुद्दि,विद्या,व ग्रंथो का अध्ययन करने का स्थान देखा जाता हैं | इस भाव मे अशुभ ग्रह होने से इन सभी स्थानो मे वस्तु दोष पाया जाता हैं तथा बच्चो का पढ़ाई मे मन नहीं लगता व उनकी शिक्षा प्राप्ति मे बाधाए आती हैं | इस भाव की दिशा पूर्वी दीवार व कारक गुरु होता हैं |

6)इस भाव का संबंध घर मे बने तहखाने से होता हैं यदि इस भाव मे पाप ग्रह होतो घर पर तहखाना नहीं होना चाहिए अन्यथा जातक को अवनति का सामना करना पड़ता हैं | इस भाव की दिशा उत्तर व कारक केतू होता हैं |

7)इस भाव से जातक के जन्मस्थान का पता चलता हैं घर मे गूदेदार फल के वृक्षो का पता भी इसी भाव से चलता हैं | इस भाव की दिशा दक्षिण पश्चिम हैं व कारक शुक्र बुध दोनों हैं |

8)इस भाव से मकान के आसपास का वातावरण,दवाइयाँ रखने का स्थान,अग्नि का स्थान व दक्षिणी दीवार की स्थिति का पता चलता हैं फूल व फलहीन वृक्षो का पता भी इसी भाव से चलता हैं | इस भाव मे पाप ग्रह होने से घर के इन सभी स्थानो मे वस्तु दोष हो सकता हैं | इस भाव की दिशा दक्षिण दीवार व कारक शनि हैं |

9)इस भाव से घर के पुजा पाठ वाले हिस्से,बुजुर्गो के कमरे का पता चलता हैं | इस भाव की दिशा ब्रह्म स्थल हैं व कारक गुरु हैं |

10)इस भाव से मकान मे लगे लकड़ी,लोहे,पत्थर,कांटेदार पौधे आदि का पता चलता हैं इस भाव की दिशा पश्चिम हैं जिसका कारक शनि होता हैं |

11)यह भाव मकान के बाहर की सजावट व सुंदरता को दिखाता हैं इस भाव मे शुभ ग्रह देखने मे सुंदर घर प्रदान करते हैं | यह भाव पश्चिमी दीवार बताता हैं जिसका कारक भी शनि ही होता हैं |

12)यह भाव जातक के शयन कक्ष के बारे मे बताते हैं पति पत्नी के शयन कक्ष मे संबंध कैसे रहेंगे उन्हे नींद कैसी आएगी आदि का विचार इसी भाव से किया जाता हैं इस भाव मे पाप ग्रह की स्थिति नहीं होनी चाहिए | इस भाव से दक्षिण पूर्व दिशा व कारक राहू देखा जाता हैं |

लाल किताब के अनुसार मकान का प्रत्येक कोना और दिशा किसी ना किसी ग्रह से संबन्धित होता हैं जब उस ग्रह के शत्रु ग्रह की वस्तु उस ग्रह के स्थान मे रख दी जाती हैं तब जातक को कष्ट मिलने लगते हैं जैसे उत्तर पूर्व कोना जो की चन्द्र ग्रह का होता हैं उसमे लोहे की अलमारी ( शनि वस्तु ) रख दी जाए तो चन्द्र ग्रह से संबन्धित फल अशुभ रूप से मिलने लगेंगे |









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