हमारे प्राचीन ग्रंथो मे लिखा गया हैं की
जातक का भाग्य बदला नहीं जा सकता हैं अर्थात जो प्रभु ने लिख दिया हैं वो बदला
नहीं जा सकता वो होकर ही रहता हैं दूसरे शब्दो मे कहें तो भाग्य से ज़्यादा बलवान
कुछ भी नहीं होता अब ऐसे मे यह प्रश्न उठता हैं की जब भाग्य ही सबसे बलवान हैं तो
फिर ज्योतिषीय उपायो से क्या होता हैं इनका उपायो को करने का क्या प्रयोजन हैं | इसके संदर्भ मे यह तर्क दिया
जा सकता हैं की यह उपाए हमारे जीवन के छोटे-छोटे दोषो का हरण तो कर सकते हैं परंतु
मूल दोषो को मिटा अथवा हटा नहीं सकते |
हम सब जानते हैं की मार्कण्डेय व सावित्री
ने मृत्यु अथवा काल पर विजय पायी थी परंतु उसके लिए उन्हे भी ईश्वर की शरण लेनी
पड़ी थी असमय होने वाले कष्ट,हानी,दुर्घटना आदि को हम ग्रहो के उपायो द्वारा बदल तो
सकते हैं परंतु टाल नहीं सकते ईश्वरीय सहायता जहां हमें सुरक्षित कर देती हैं वही
हमें इन उपायो पर विश्वास भी प्रदान करती हैं आइए इस लेख मे हम यह जानने का प्रयास
करते हैं की हमारे ग्रंथ विभिन्न ग्रहो की पीड़ा को शांत करने हेतु कौन-कौन से उपाए
बताते हैं | यहाँ
यह भी ध्यान रखे की किसी भी ग्रह का कोई भी उपाय प्रभु की इच्छा के होने पर ही
बिना किसी रुकावट के संभव हो पाता हैं |
पिता से मतभेद रहते हो अथवा कुंडली मे सूर्य
द्वारा अनिष्टता दिखती हो तो सूर्य ग्रह के द्वादशनाम,आदित्य हृदय श्रोत का पाठ,सूर्य नमस्कार रविवार के दिन 3
बार करने व सूर्य को मीठा प्रसाद अर्पण करने से सूर्य को प्रसन्न करा जा सकता हैं |
मात्र श्राप अथवा माँ के रुष्ट होने पर,चन्द्र के कुंडली मे 6,8,12 भावो मे होने पर अथवा नीच राशि
मे होने पर माँ दुर्गा को प्रसन्न करना चाहिए इसके लिए माँ दुर्गा के 108 नामो का
जाप कर लाल पुष्प माता को अर्पण करने चाहिए | श्री ललिता सहस्त्रनाम का जाप व गुड का भोग
भी लगा सकते हैं |
मंगल की अनिष्टता को दूर करने के लिए
सुब्रमण्यम स्वामी की पुजा अथवा दुर्गा सूक्त का पाठ कर हवन करना चाहिए | याद रखे मंगल ग्रह की शांति के
लिए हनुमान जी की पुजा भी कही जाती हैं परंतु किसी भी शास्त्र मे मंगल का संबंध
हनुमान जी से नहीं बताया गया हैं |
बुध की अनिष्टता को हटाने के लिए विष्णु
सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं | इसके लिए अग्नि देवता का
महासुदर्शन मंत्र के साथ हवन करना भी शुभ माना गया हैं |
गुरु ग्रह के अशुभ होने पर गुरु अथवा
बृहस्पति की गुरुवार के दिन बृहस्पति के नामो का जाप करना चाहिए इससे गुरु प्रसन्न
होते हैं |
शुक्र के कष्ट दूर करने के लिए माँ लक्ष्मी
की सफ़ेद फूलो से लक्ष्मी मंत्र के साथ पुजा करनी चाहिए सुहागन स्त्रीयों को
शुक्रवार के दिन सुहाग सामग्री दान करना भी शुभ होता हैं |
शनि अशुभ होने पर शनि अथवा हरिहर भगवान की
पुजा करना अथवा शनि मंदिर मे सरसों के तेल का दिया जलाना शनि जनित कष्टो को दूर
करता हैं |
राहू के लिए राहू के वैदिक मंत्रो का जाप
करना व माँ सरस्वती की पुजा करना लाभकारी मानी जाता हैं काले चनो का दान ब्राह्मण
को करने से भी राहू प्रसन्न होते हैं |
केतू ग्रह की शांति के लिए गणेश जी की पुजा
करना,गणेश मंत्र का जाप करना अथवा
केतू के मंत्रो का जाप करना लाभकारी माना जाता हैं |
इन सभी उपायो मे सफलता प्राप्ति के लिए इन
बातों का ध्यान रखना चाहिए |
उपायो के समय सदाचार,ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्दा,मन मस्तिष्क की शुद्दता के
अतिरिक्त गायत्री मंत्र का नित्य जाप भी करना चाहिए क्यूंकी शास्त्र कहते हैं की
इस गायत्री मंत्र से बड़ा कोई भी मंत्र नहीं होता और अपनी माँ से बड़ा कोई भी देव
नहीं होता |
ना गायत्री परोमंत्र: नमातु परो देवता
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