1)पुष्य नक्षत्र – इस नक्षत्र में ब्रह्मा मूर्छित
हुए थे इसलिए विवाह हेतु यह नक्षत्र वर्जित होता है |
2)पूर्व फाल्गुनी – इस नक्षत्र में माता सीता का विवाह हुआ था इसलिए विवाह हेतु यह नक्षत्र वर्जित
होता है |
3)अभिजीत नक्षत्र में दमयंती का विवाह हुआ था अतः यह भी विवाह हेतु वर्जित है |
इनके अतिरिक्त अश्विनी,चित्रा,श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रो मे भी कतिपय कारणो से
विवाह वर्जित किया गया है |
अश्विन मास में
विवाह होने से स्त्री को सुख नहीं मिलता |
श्रावण मास में
विवाह होने से स्त्री को गृह सुख नहीं मिलता |
कार्तिक मास में
विवाह होने से तेज व शक्ति की हानि होती है |
चैत्र मास में
विवाह नशे में आसक्ति देता है |
मार्गशीर्ष मास
मे विवाह अन्न का अभाव देता हैं |
भाद्रपद मास मे विवाह पुरुष को स्त्री के सुख की समाप्त करवाता हैं |
पौष मास में विवाह स्त्री को पति सुख में कमी
प्रदान करता है |
इनके अतिरिक्त कर्क लग्न,जन्मलग्न,जन्मनक्षत्र,जन्म मास अथवा जन्मदिन भी विवाह हेतु वर्जित माने जाते हैं |
अतः इन सब मुहूर्तों
का ध्यान रखकर ही विवाह किए जाने चाहिए
|
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