यह एक
प्रकृति प्रदत्त शक्ति हैं जिसके कारण कोई व्यक्ति विशेष भविष्य मे होने वाली
घटनाओ को स्पष्ट या सांकेतिक रूप मे देख पाता हैं इसे आम बोलचाल की भाषा मे
सिक्स्थ सैन्स भी कहते हैं यह शक्ति हर किसी को नहीं प्राप्त होती ज्योतिष शास्त्र
यह बताता हैं की किन ग्रह स्थितियो के प्रभाव से किसी भी व्यक्ति मे इस तरह की
शक्तिया विकसित हो जाती हैं |
जन्मपत्रिका में लग्न रुचि दर्शाता है,पंचम बुद्धि विज्ञान,अष्टम
गूढ़ विद्या,नवम भाव आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है,शनि गूढ़ विद्या
और ऐसी शक्तियों के कारक होते हैं,चंद्रमा मन का कारक है जो इन शक्तियों को गठित करने
में मदद करता है,गुरु आध्यात्मिक शक्तियों के कारक होते हैं क्योंकि कई बार पूर्वाभास
तथा ऐसी शक्तियों के होने का अहसास आध्यात्मिक शक्ति की पुष्टि होने पर भी होता है अतः नवम भाव तथा गुरु से भी यह विचार किया जाना चाहिए शनि
एवं चंद्रमा की राशियों के कारण कर्क मकर कुंभ तथा शनि के नक्षत्र पुष्य अनुराधा उत्तराभाद्रपद
से भी इन पर विचार करना चाहिए उपयुक्त भाव ग्रह राशि तथा नक्षत्र का विशेष योग ही पूर्वाभास
तथा अदृश्य मृत आत्माओं का एहसास का कारण बनता है
पूर्वाभास से संबन्धित
ग्रह योग निम्नलिखित है |
1) शनि
चंद्रमा की युति अष्टम भाव में हो तथा अष्टमेश का संबंध नवम अथवा पंचम से हो |
2) गुरु 9 में हो या नवम भाव से संबंध बनाता हो राहु या शनि में किसी एक ग्रह का संबंध गुरु
के साथ हो तथा अष्टमेश पंचम से संबंध बनाता हो |
3) राहु
गुरु की युति राहु के नक्षत्रों में तथा शनि चंद्रमा की युति शनि के नक्षत्रों में
हो |
4) लग्नेश पंचमेश सप्तमेश अष्टम
भाव में हो तथा अष्टमेश बली हो |
5) चंद्र राहु की युति अष्टम
भाव में हो तथा गुरु शनि का संबंध त्रिकोण भाव से हो |
6) नवमेश अष्टमेश का राशि परिवर्तन हो तथा लग्नेश शनि से संबंधित हो |
7) पंचमेश
अष्टमेश का भाव परिवर्तन हो तथा शनि अथवा राहु से संबंध बना हो |
8) शनि
चंद्र की युति पंचम भाव में हो तथा अष्टमेश का संबंध किसी भी प्रकार से पंचमेश या लग्नेश
से हो |
9) गुरु
लग्न में हो शनि अष्टम भाव में हो अष्टमेश चंद्रमा के साथ नवम पंचम भाव में हो |
10) गुरु
शनि चंद्र राहु की युति अष्टम भाव में हो |
11) कुंभ
राशि अथवा कर्क राशि अष्टम भाव में हो तथा शनि चंद्र की युति
त्रिकोण अथवा अष्टम भाव में हो |
12) मकर
कुंभ अथवा कर्क राशि अष्टम भाव में हो तथा शनि का संबंध गुरु चंद्र एवं त्रिकोण से
हो |
13) कर्क
लग्न अथवा मिथुन लग्न में शनि चंद्र की युति हो तथा राहु गुरु के मध्य संबंध हो |
14) शनि
चंद्र की युति अपने नक्षत्रों में हो तथा गुरु शनि का संबंध किसी भी प्रकार से हो |
15) राहु
शनि गुरु तथा चंद्र सभी ग्रह राहु तथा शनि के नक्षत्र में हो |
उपयुक्त सभी योगो में व्यक्ति पूर्वाभास तथा अदृश्य
शक्तियों को
महसूस करने वाला होता है वैसे इन
योगो के गुण अल्प मात्रा में कई व्यक्तियों
में पाए जाते हैं लेकिन इनकी पूर्णता कुछ ही लोगों में होती है,कई मनुष्यों में यह
शक्तियां अध्यात्म में होने के बाद आती हैं | गुरु कृपा से शीघ्र ही ऐसी शक्तियां प्राप्त की जा सकती
हैं | यदि पत्रिका में शनि आदि
ग्रह तथा अष्टमेश ग्रहों की दशाएं चल
रही होती हैं तो ऐसी शक्तियों का ज्ञान अधिक स्पष्ट रूप से होने लगता है | शनि अथवा ऐसी शक्तियों के कारक ग्रह का अष्टम भाव में गोचर भी इन शक्तियों को महसूस कराता है |
इस
प्रकार जन्मपत्रिका में पाए जाने वाले योगो के कारण व्यक्ति को पूर्व आभास और अदृश्य शक्तियों को पहचानने की क्षमता प्राप्त
हो जाती है |
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