शनि को वृष व तुला लग्नों मे योगकारक माना जाता हैं
जिससे इन लग्नों मे जन्मे जातक स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं की ब्रह्मांड का सबसे
अशुभ गृह उनके लिए शुभता प्रदान करता हैं परंतु क्या वास्तव मे ऐसा हैं हमने यह
जानने का प्रयास अपने इस लेख मे किया हैं |
वृष लग्न मे शनि नवम व दशम भाव का तथा तुला लग्न मे
चतुर्थ व पंचम भाव का स्वामी बनता हैं जिससे शनि इन दोनों लग्नों मे योगकारक तो बन
जाता हैं परंतु उसकी कुछ अन्य शर्ते भी होती हैं शनि इनके अतिरिक्त 3,6,10,11 लग्न वालो के लिए भी शुभता
देता हैं इसलिए यह कहाँ जा सकता हैं की इन 6 लग्नों के लिए शनि शुभ होता हैं |
अनेकों कुंडलियों का अध्ययन करने के बाद यह ज्ञात
होता हैं की शनि नैसर्गिक पाप गृह होने से लग्न की प्रकृति के अनुसार फल प्रदान
करता हैं यदि शनि शुभराशि मे हो,शुभ ग्रहो के नक्षत्रो मे हो अथवा शुभ गृह के प्रभाव मे होतो लग्नानुसार
शुभ प्रभाव अवश्य देता हैं परंतु शनि जिस गृह के प्रभाव मे होता हैं उसे अवश्य ही
अशुभता प्रदान कर देता हैं इसलिए शनि के प्रभाव को समझने के लिए शनि का अन्य ग्रहो
से संबंध अवश्य देखना व जाँचना चाहिए यह संबंध शनि की स्थितिनुसार देखना चाहिए
उसकी शक्ति के अनुसार नहीं | शनि का चन्द्र को छोड़ सभी शुभ
ग्रहो संग रिश्ता ध्यान देने योग्य हैं विशेषकर शनि गुरु की दृस्टी,शनि शुक्र संबंध तथा शनि बुध शुक्र का संबंध इनमे से शनि शुक्र का संबंध
उपरोक्त 6 लग्नों मे जातक को अच्छी ऊंचाई प्रदान करता हैं साधारणत: शुक्र का किसी
भी पाप गृह संग संबंध अशुभ माना जाता हैं परंतु शनि केसाथ उसका संबंध स्वयं के
अतिरिक्त शनि के कारकत्वों को भी बढ़ा देता हैं | इसी प्रकार
शनि स्वयं को बुध के द्वारा अथवा किसी अन्य गृह जो शुक्र बुध से संबंध रखता हो
दर्शाता हैं जब शनि पर गुरु का प्रभाव होता हैं तो शनि शुभता देने लगता हैं जबकि
अकेला शनि अशुभता ही देता हैं परंतु उसको स्वयं को शुभ दर्शाने के लिए माध्यम के
रूप मे किसी ना किसी शुभ गृह की आवशयकता पड़ती ही हैं |
आइए अब कुछ कुंडलियों के आधार पर अपने अध्ययन की
पुष्टि करते हैं |
1)8/11/1912 19:30 आगरा वृष लग्न की इस पत्रिका मे शनि
शुक्र के लग्न से लग्नेश शुक्र को दृस्टी दे रहा हैं जिससे शनि मे शुक्र का प्रभाव
आ गया हैं | यह जातक
राजकीय परिवार से संबन्धित था तथा 19वे वर्ष इसे राजा बनाया गया शनि पर सभी शुभ
ग्रहो का प्रभाव हैं | इसी प्रकार रामकृष्ण डालमिया की
पत्रिका मे शनि पर शुक्र बुध की दृस्टी हैं | दलाई लामा की
पत्रिका मे शनि पर गुरु की दृस्टी हैं तथा बिल गेट्स की पत्रिका मे शनि शुक्र संग
शुक्र की तुला राशि मे हैं |
2)18/9/1924 5:00 दिल्ली कन्या लग्न की इस पत्रिका
मे शनि ऊंच का होकर शुक्र पर दृस्टी डाल रहा हैं जातक राज्य सरकार के तकनीकी विभाग
मे डिप्टी डाइरेक्टर के पद पर हैं इसी प्रकार डॉ॰ राधाकृष्णन की पत्रिका मे शनि पर
गुरु की दृस्टी तथा शनि की शुक्र बुध पर दृस्टी हैं |
3)पाकिस्तान के संस्थापक जिन्नाह की कुम्भ लग्न की
पत्रिका मे शनि लग्नेश होकर गुरु द्वारा दृस्त हैं तथा गुरु के घर मे भी हैं जिससे
शनि के बहुत शुभ फल मिले हैं | इसी प्रकार मधुबाला की पत्रिका मे शनि शुक्र संग(मकर)मे हैं यहाँ शुक्र
ने शनि का फल दिया हैं |
4)रामकृष्ण जी की मकर लग्न की पत्रिका मे शनि व बुध
मे राशि परिवर्तन हैं बुध शनि लग्नेश का प्रभाव दे रहा हैं साथ मे शुक्र करमेश
होकर लग्न मे स्थित हैं इस प्रकार शनि बुध शुक्र का संबंध हैं | इसी प्रकार महारा णा प्रताप की
कुंडली मे शनि शुक्र करमेश संग दूसरे भाव मे लग्नेश होकर स्थित हैं |
5)आइंस्टीन की मिथुन लग्न की पत्रिका मे शनि शुक्र
बुध संग गुरु के घर मे हैं तथा शनि गुरु मे राशि परिवर्तन भी हैं यहाँ शनि ने
लग्नेश व अस्तमेश के फल ज़्यादा दिये हैं |
6) श्री चन्द्रशेखर भारती (शृंगेरी मठ के मठाधीस )की तुला लग्न की पत्रिका मे
शनि पर गुरु की दृस्टी हैं शनि बुध की
राशि मे हैं बुध लग्न मे हैं जिससे शनि के फल बुध प्रदान कर रहा हैं जातक ने धर्म
व अध्यात्म के क्षेत्र मे बहुत नाम कमाया हैं इसी प्रकार माधुरी दीक्षित की
पत्रिका मे भी शनि ऊंच के शुक्र संग हैं यहाँ शनि ने सारे फल शुक्र के प्रदान कर
उन्हे एक कामयाब अभिनेत्री बनाया हैं |
निम्न उदाहरण हमारे पक्ष मे विस्तार देते हैं की
शनि चाहे कोई भी लग्न हो शुभप्रभाव के बिना अशुभता ही देते हैं हमारे अनुभव मे ये
भी आया की तुला लग्न के जातक के पिता की शनि दशा मे मृत्यु हुयी जिससे वह एकाएक
सड़क पर आ गया जबकि शनि मकर राशि मे था |
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