तुला राशि- इस राशि के लिए शनि
चौथे व पांचवे भाव का स्वामी होता हैं इस राशि से शनि का यह तीसरा गोचर होगा जो पांचवे,नवे
व द्वादश भाव को प्रभावित करेगा जिससे मकान,ज़मीन अथवा वाहन
मे बदलाव,पराक्रम,साहस तथा पड़ोस की
वृद्दि,भाई बहनो के घर मे विवाह या संतान आदि का जन्म,स्वयं के पढ़ाई के योग अथवा संतान की संभावना,भविष्य
के लिए कोई योजना का जन्म,पत्नी के भाई से संबन्धित कोई काम,विदेश
से काम या संबंध बनने के योग,अस्पताल अथवा कैद से मुक्ति,खर्चे का नुकसान जैसे फल प्राप्त होंगे |
उपाय-रोजाना 3 कुत्तो को
रोटी खिलाये |
वृश्चिक राशि –इस राशि के लिए शनि तीसरे व
चौथे भाव का स्वामी होता हैं | इस वृश्चिक राशि से शनि
का यह दूसरा गोचर होगा जिससे चौथा,आठवाँ व एकादश भाव प्रभावित होगा जिससे कुटुंब परिवार
मे वृद्दि,भाई बहनो की हानी अथवा उनसे दूरी,वाणी मे कटुता के कारण व्यर्थ मे वाद
विवाद,धन की वृद्दि,भौतिक
सुविधाओ मे बढोत्तरी,ज़मीन अथवा मकान का बिकना,स्थान परिवर्तन,घर के सुख मे कमी,गुप्त विद्या की तरफ लगाव,शोध व अनुसंधान हेतु
संभावना,गुप्त धन अथवा पूश्तैनी संपत्ति की प्राप्ति,जनता द्वारा कोई बड़ा मान सम्मान प्राप्त होना जैसे फल मिलेंगे |
उपाय-दूध का तिलक माथे पर
लगाए |
धनु राशि –इस राशि के लिए शनि धन व सहज
भाव का स्वामी होता हैं इसी राशि से यह गोचर होने से प्रथम,तीसरा,सातवा व दसवा भाव प्रभावित होगा जिस कारण मान सम्मान मे वृद्दि,पारिवारिक बढ़ोत्तरी,आध्यात्मिक
व दार्शनिक प्रवृति मे वृद्दि,धन का निवेश,भाई बहनो,पड़ोसियो से लाभ व सहयोग की प्राप्ति,पत्नी के स्वास्थ्य मे खराबी,विवाह होने की संभावना,नौकरी मे उन्नति या बदलाव जैसे फल प्राप्त होंगे |
उपाय-शनि वस्तुए खूब दान करे |
मकर राशि-इस राशि के लिए
शनि लग्न व धन भाव का स्वामी बनाता हैं इस राशि से शनि का यह 12वा गोचर होगा जिससे
दूसरा,छठा व नवा भाव प्रभावित होगा जिससे खर्चो मे वृद्दि,विदेश,अस्पताल आदि से संबध अथवा उनके चक्कर,कुटुंब परिवार मे भय,तनाव
व शोक होने की संभावना,धन का ना टिक पाना,दूर की यात्रा,कर्ज़ लेने की संभावना व कर्ज़ चुका
पाने मे दिक्कत,संतान संबंधी कोई दुखद समाचार,भाग्य संबंधी परेशानी,कार्यो मे अवांछित देरी,धार्मिक कार्यो मे मन ना लगना आदि जैसे फल प्राप्त होंगे |
उपाय-12 बादाम घर पर काले
कपड़े मे बांधकर अंधेरे कोने मे रखे एक वर्ष बाद जलप्रवाह कर दे |
कुम्भ राशि- इस राशि के लिए शनि
लग्न व द्वादश भाव का स्वामी बनता हैं इस राशि से इस शनि का यह एकादश गोचर होगा जो
लग्न,पंचम व अष्टम भाव को प्रभावित करेगा जिससे मान सम्मान मे वृद्दि,कार्यो मे सफलता,जीवनसाथी व माँ बाप से सहयोग की
प्राप्ति,संतान के स्वास्थ्य की चिन्ता,संतान की मनमानी कारण उससे
संबंधी परेशानी,लंबी बीमारी से राहत व आयु मे वृद्दि,जीवन के गूढ रहस्यो को जानने की इच्छा कारण आध्यात्मिक ज्ञान मे बढोत्तरी
जैसे शुभफल प्राप्त होंगे |
उपाय-शनि की वस्तुए दान
ना करे संग रखे |
मीन राशि – इस राशि के लिए शनि द्वादश व
एकादश भाव का स्वामी बनता हैं जो अब इस
मीन राशि से दशम भाव मे गोचर करेगा जिससे द्वादश,चतुर्थ
व सप्तम भाव प्रभावित होगा जिससे धन खर्च मे अधिकता,लाभ मे
कमी,घर अथवा मकान से दूर जाने के योग,नौकरी
अथवा व्यापार मे उठापटक,वाहन से परेशानी व उससे संबंधी खर्चा,संपत्ति बिकने के योग,विदेश अथवा अस्पताल से संबन्धित
कार्य करने के अवसर,घर के सुख मे कमी,व्यापार मे
हानी,विवाह मे विलंब,रोज़ रोज़ के काम मे
हानी जैसे फल प्राप्त होंगे |
उपाय-एक ही स्थान मे बैठकर काम करे ज़्यादा घूमे फिरे नहीं |
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