आजकल
संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियो का इलाज किया जाने लगा हैं | चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं की प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का
संगीत सुनने से रोज़मर्रा की होने वाली बहुत सी बीमारियो से निजात पायी जा सकती हैं
जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत
के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं यदि किसी जातक को
किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग,सुर अथवा गीत सुनाये जाये तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं
प्रस्तुत लेख मे हमने इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगो व उनसे राहत देने
वाले रागो के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया हैं जिन शास्त्रीय रागो का
उल्लेख किया किया गया हैं उन रागो मे कोई भी गीत,संगीत,भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं | यहाँ हमने उनसे संबन्धित फिल्मी गीतो के उदाहरण देने का प्रयास भी किया
हैं |
1)हृदय
रोग –इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक हैं इनसे
संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं- तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल),राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे ),झनक झनक तोरी
बाजे पायलिया ( मेरे हुज़ूर ),बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम
(साजन),जादूगर साइया छोड़ो मोरी (फाल्गुन),ओ दुनिया के रखवाले (बैजु बावरा ),मोहब्बत की झूठी
कहानी पे रोये (मुगले आजम )
2)अनिद्रा
–यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगो मे से एक हैं इस रोग के होने पर
राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता हैं जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)रात
भर उनकी याद आती रही(गमन),2)नाचे
मन मोरा (कोहिनूर),3)मीठे बोल बोले बोले पायलिया(सितारा),4)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा),5)ऋतु बसंत
आई पवन(झनक झनक पायल बाजे),6)सावरे सावरे(अंनुराधा),7)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम),छम छम बजे रे पायलिया
(घूँघट ),झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ),कुहु कुहु बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )
3)एसिडिटी
–इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस
प्रकार से हैं 1)ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत),2)आयो कहाँ से घनश्याम(बुड्ढा मिल गया),3)छूकर मेरे
मन को (याराना),4)कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया
(ठुमरी-अनुराधा),5)तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये ( सेहरा
),रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता ),हमने
तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन ),तुम कमसिन हो
नादां हो (आई मिलन की बेला)
4)कमजोरी
–यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित हैं इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम
कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता हैं इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना
या गाना लाभदायक होता हैं इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं मनमोहना बड़े झूठे(सीमा),2)बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद),3)मोहब्बत की राहों
मे चलना संभलके (उड़न खटोला ),4)साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं
(चन्द्रगुप्त ),5)ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल
दिया दर्द लिया ),तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस
साल बाद )
5)याददाश्त
–जिन लोगो की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत
लाभ मिलता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं,ना किसी की आँख का नूर हूँ(लालकिला),2)मेरे
नैना(महबूबा),3)दिल के झरोखे मे तुझको(ब्रह्मचारी),4)ओ मरे सनम ओ मरे सनम(संगम ),5)जीता था जिसके
(दिलवाले),6)जाने कहाँ गए वो दिन(मेरा नाम जोकर )
6)खून की
कमी –इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता हैं स्वभाव
मे भी चिड़चिड़ापन होता हैं ऐसे मे राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा
सकता हैं | 1)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते
जख्म),2)नदिया किनारे घिर आए बदरा(अभिमान),3)खाली हाथ शाम आई हैं (इजाजत),4)तेरे बिन सुने नयन हमारे (लता रफी),5)मैंने रंग ली
आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की),6)मोरे सैयाजी उतरेंगे
पार(उड़न खटोला),
7)मनोरोग
अथवा डिप्रेसन –इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता हैं इन रागो
के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं | 1)तुझे देने को
मेरे पास कुछ नहीं(कुदरत नई),2)तेरे प्यार मे दिलदार(मेरे
महबूब),3)पिया बावरी(खूबसूरत पुरानी),4)दिल जो ना कह सका (भीगी रात),तुम तो प्यार हो(सेहरा),मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ),मतवारी नार
ठुमक ठुमक चली जाये(आम्रपाली),सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले
(चित्रलेखा)
8)रक्तचाप-ऊंच
रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता हैं ऊंच
रक्तचाप मे “चल उडजा रे पंछी की अब ये देश ( भाभी ),ज्योति कलश छलके ( भाभी की चूड़ियाँ ),चलो दिलदार चलो
( पाकीजा ),नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत व निम्न
रक्तचाप मे “ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न॰ 909),बेगानी
शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं ),जहां
डाल डाल पर ( सिकंदरे आजम ),पंख होती तो उड़ आती रे (सेहरा ) |
शास्त्रीय रागो मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता हैं
|
9)अस्थमा
–इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता हैं राग
मालकोंस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं जिनमे प्रमुख गीत
निम्न हैं तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग),तू हैं मेरा प्रेम
देवता(कल्पना),एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर),मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजु बावरा ),आधा हैं
चंद्रमा ( नवरंग )
10)सिरदर्द
–इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस
प्रकार से हैं मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजु बावरा),राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक),पूंछों ना कैसे मैंने
रैन बिताई(तेरी सूरत मेरी आँखें),सोलह बरस की बाली उम्र को
सलाम (एक दूजे के लिए )
1 टिप्पणी:
Nice Information
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