बुधवार, 26 मार्च 2014

रंगो की भाषा


चिकित्सको का मानना हैं की इंसानी शरीर मे किसी न किसी रंग की कमी होने के कारण ही कोई ना कोई बीमारी होती हैं | अगर उस रंग की कमी को पूरा कर दिया जाये तो वह बीमारी खत्म हो जाती हैं | 1666 मे “सर इजहाक न्यूटन” ने प्रिज्म की खोज की और इसमे उन्होने इंद्रधनुष के रंग देखे जिन्हे हम “स्पेक्ट्रम” के रूप मे जानते हैं जिसके लाइट सेक्टर को ही इंसानी आँखें देख पाती हैं जिसमे क्रमश; लाल,संतरी,पीला,हरा,नीला,इंडिगो और वोयलेट रंग होते हैं |

क्रोमोपैथी-रंगो के प्रयोगो द्वारा बीमारियो का इलाज करना “क्रोमोपैथी” कहलाता हैं हर रंग की अपनी एक वेवलेंथ और वाइब्रेसन होती हैं जो अलग अलग स्तर की ऊर्जा पैदा करती हैं जिनसे विभिन्न तरीके से बीमारियो के इलाज किए जाते हैं |  इन तरीकों मे प्रमुख उस रंग की बोतल मे रखा पानी सेवन करना व उस रंग की वस्तुओ का ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोग करने के लिए कहाँ जाता हैं |

रंगो की भाषा –कौन सा रंग क्या बताता हैं यह निम्न प्रकार से जाना जा सकता हैं |

सफ़ेद-यह रंग,स्वच्छ,पवित्र व शांति देने वाला होता हैं यह नई शुरुआत का संकेत भी देता हैं अगर आप कुछ नया करने जा रहे हैं तो इस रंग का प्रयोग करे | इस रंग की कमी होने से दिमागी बीमारियाँ,उदर विकार,वातरोग,लकवा तथा सन्निपात हो सकता हैं |

गुलाबी-यह रंग कोमल और रोमांटिक प्यार को दर्शाता हैं यदि प्यार की तलाश हैं तो इसका प्रयोग करे |

नीला -यह रंग ठंडक देने वाला रंग हैं जिसे सम्प्रेषण (कम्यूनिकेशन )के लिए अच्छा माना जाता हैं इसलिए यदि आप चाहते हैं सब आपकी बात ज़रूर सुने तो इस रंग का प्रयोग करे | इस रंग की कमी से बुखार,आँखों के रोग,मूत्र मे जलन,ऊंच रक्तचाप,रक्तविकार जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं |

हरा-यह रंग प्रकृति अथवा कुदरत का हैं जिससे सुकून मिलता हैं इसे एक्सट्रा लक व सेहत के लिए प्रयोग किया जाता हैं | इसकी कमी होने से कमजोरी होना,जी घबराना,उल्टियाँ होना,नाड़ी संस्थान के रोग,तिल्ली,जिह्वा संबंधी रोग हो सकते हैं |  

पीला-यह रंग फील गुड करने के लिए होता हैं जिससे आप स्वयं को तरोताजा महसूस कर अपना मूड बदल सकते हैं | इस रंग की कमी से पाचन तंत्र की बीमारिया,लीवर रोग,चोट,घाव, अजीर्ण,अतिसार हो सकते हैं |

लाल रंग-यह रंग बहादुरी,महत्वाकांक्षा व गुस्से का हैं यदि आप जीवन मे कुछ बोल्ड करना चाहते हैं तब इस रंग का प्रयोग अवस्य करे | इस रंग की कमी से मंदाग्नि,शरीर का टूटना,बवासीर,सूजन,खांसी,आदि हो सकते हैं | 


काला रंग –यह रंग सबसे अलग,रहस्यात्मक व अनूठा होने के कारण भीड़ मे सबसे अलग दिखने के लिए प्रयोग किया जाता हैं क्यूंकी इस रंग पर किसी भी रंग का प्रभाव जल्दी से नहीं पड़ता हैं इस रंग का प्रयोग करने वाले लोग भी जल्दी से पहचाने नहीं जाते हैं |

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