शनिवार, 29 मार्च 2014

स्तन कैंसर



मानव शरीर के अंगो की रचना विज्ञान के अनुसार कोशिकाओ से होती हैं जो की स्वाभाविक रूप से बनती व नष्ट होती रहती हैं इन कोशिकाओ के निर्माण मे जल व रक्त का बहुत महत्व रहता हैं जब किसी भी कारण से इस जल या रक्त मे कमी आती हैं तब यह कोशिकाए सुचारु रूप से नष्ट ना होकर असामान्य व अनियंत्रित रूप से विभाजित या विभक्त होकर शरीर के किसी भी भाग मे गांठ का रूप ले लेती हैं तब उसे कैंसर कहा जाता हैं | इन गाँठो मे एक विशेष प्रकार के प्रोटीन का निर्माण होता हैं जो अन्य स्वस्थ कोशिकाओ के लिए विष का काम करता हैं जिससे वह भी सुचारु रूप से अपना कार्य नहीं कर पाती हैं ओर यह रोग फैलने लगता हैं | शरीर के जिस अंग या हिस्से मे यह गांठ होती हैं उसे वैसे ही नाम से जाना जाता हैं जैसे रक्त कैंसर,त्वचा कैंसर,मुख कैंसर,गुर्दा कैंसर,आमाशय कैंसर स्तन कैंसर आदि |

प्रस्तुत लेख मे स्तन कैंसर के विषय मे ज्योतिषीय दृस्टिकोण रखने का प्रयास किया गया हैं | स्तन कैंसर आज पूरे विश्व मे महिलाओ मे पायी जाने वाली गंभीर व खतरनाक बीमारीयो मे से एक बड़ी बीमारी का रूप लेता जा रहा हैं | इस बीमारी के होने के वैसे तो बहुत से कारण हो सकते हैं परंतु लेख मे सिर्फ ज्योतिषीय कारण ही समझने का प्रयास किया गया हैं | इस ज्योतिषीय शोध मे करीब 200 कुंडलियों का अध्ययन किया गया जिसमे पाया गया की कुंडली मे निम्न तत्वो के प्रभावी होने से स्तन कैंसर हो सकता हैं |

भाव-लग्न ,चतुर्थ,षष्ठ
ग्रह –लग्नेश,चतुर्थेश,षष्ठेश,गुरु,बुध चन्द्र  
लग्न भाव-यह भाव स्वयं का अथवा जातक-जातिका विशेष का होता हैं | जब तक यह भाव पीड़ित ना हो (किसी भी प्रकार से ) तब तक जातक को अथवा उसके शरीर को कुछ भी अच्छा या बुरा प्रभाव मिल नहीं सकता |
चतुर्थ भाव –यह भाव छाती अथवा वक्षस्थल(महिलाओ) का प्रतिनिधित्व करता हैं चूंकि स्तन कैंसर को इसी भाव से देखा जाता हैं इसलिए इस भाव का अध्ययन व इस भाव की स्थिति को अवश्य देखा जाना चाहिए |
षष्ठ भाव-यह भाव रोग भाव भी कहलाता हैं | वृहत पाराशर होरा शास्त्र के 18वे अध्याय के श्लोक 12,13 मे कहाँ गया हैं की इस भाव अर्थात रोग स्थान मे पाप गृह हो तथा षष्ठेश पाप ग्रह युक्त हो तो जातक रोगी होगा और यदि इस भाव मे शनि राहू होतो दीर्घकालिन रोगी होगा |
ग्रह गुरु-गुरु ग्रह का किसी भी रूप मे पीड़ित बलहीन व अशुभ प्रभाव मे होना इस रोग की कुंडलियों मे पाया गया | गुरु ग्रह पोषकता व वृद्दि का कारक माना जाता हैं तथा यह हमारे शरीर मे मेटबौलिज़्म का कारक भी होता हैं जिससे हार्मोन्स प्रभावित होते हैं जिनके पूर्ण प्रभाव से कैंसर हो सकता हैं |

बुध-चमड़ी का कारक यह ग्रह कोशिकाओ के विभिन्न आवरणो का नियंत्रण करता हैं जिनके क्षतिग्रस्त होने से यह रोग होता हैं वही सबसे पहले चमड़ी पर इस रोग के लक्षण उभार अथवा गांठ (विशेषकर स्तन अथवा वक्षस्थल पर ) दिखाई देते हैं इसलिए यह ग्रह पूर्ण रूप से पाप प्रभाव,अशुभावस्था अथवा बलहीन होना चाहिए

चन्द्र –चन्द्र ग्रह कालपुरुष की कुंडली मे चतुर्थ भाव का स्वामी व कारक दोनों होता हैं इस चंद्रमा से हमारे मन,तरलता,शरीर मे जलतत्व आदि का अध्ययन किया जाता हैं | महिलाओ मे इसे उनके मासिक धर्म व वक्ष प्रदेश( दूध प्रदाता ) के अनुसार भी देखा जाता हैं |इस चन्द्र का किसी भी प्रकार से पीड़ित,बलहीन व अशुभ होना इस रोग हेतु आवशयक हैं |

इन सब अवयवो के अतिरिक्त लग्नेश ( शरीर का स्वामी ) चतुर्थेश (चतुर्थ भाव का स्वामी) तथा षष्ठेश(छठे भाव का स्वामी) की स्थितियो का आकलन भी आवशयक हैं |

आईए अब कुंडलियों पर यह सब प्रभाव देखकर इस स्तन कैंसर नामक रोग के होने की पुष्टि करते हैं |

1)6/1/1968 12:12 भोपाल को मीन लग्न मे जन्मी जातिका की कुंडली मे लग्नेश गुरु(व)छठे भाव मे मंगल से दृस्ट हैं | लग्न मे चन्द्र शनि हैं | चतुर्थ भाव मे षष्ठेश सूर्य की दृस्टी हैं चतुर्थेश षष्ठेश सूर्य व बुध पर शनि की दृस्टी हैं इस प्रकार सभी अवयव प्रभावित हैं जातिका को केतू मे मंगल दशा मे स्तन कैंसर हुआ जिससे इनकी 12/12/2004 को केतू बुध मे मृत्यु हुई |

2)6/6/1949 8:00 दिल्ली मिथुन लग्न मे जन्मी इस जातिका की पत्री मे भी गुरु (व)तथा नीचावस्था मे अष्टम भाव मे हैं  बुध षष्ठेश मंगल संग द्वादश भाव ने हैं | चन्द्र चतुर्थ भाव मे पाप कर्तरी मे हैं |लग्नेश बुध वक्री होकर द्वादश भाव मे हैं वही लग्न नीच व वक्री गुरु के नक्षत्र मे हैं इस प्रकार सभी अवयव प्रभावित हैं जातिका को स्तन कैंसर रहा हैं जिसका औपेरशन कर एक स्तन निकाला गया |

3)5/11/1970 23:15 दिल्ली कर्क लग्न मे जन्मी इस जातिका का लग्न व लग्नेश शनि के प्रभाव मे हैं  (लग्न शनि के नक्षत्र मे हैं ) शनि अष्टमेश होकर नीच राशि का हैं | चतुर्थ भाव,चतुर्थेश,षष्ठ भाव षष्ठेश,बुध,गुरु सभी अवयव पीड़ित हैं | जातिका को दोनों स्तनो मे कैंसर रहा

4)3/1/1982 7:35 फ़रीदाबाद को धनु लग्न मे जन्मी इस जातिका शुरुआत मे हो स्तन कैंसर पकड़ा गया |

5)2/9/1943 2:35 दिल्ली मे कर्क लग्न मे जन्मी इस जातिका का स्तन कैंसर भी शुरू मे ही पकड़ा गया |

6)1/11/1973 4:45 दिल्ली मे कन्या लग्न मे जन्मी इस जातिका का एक स्तन काटकर निकाला गया |


7) 13/4/1981 11:25 दिल्ली मे जन्मी इस मिथुन लग्न की जातिका को स्तन कैंसर हैं जिसका आजकल भी इलाज चल रहा हैं |

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