बुधवार, 21 जुलाई 2010

कैरियर का चुनाव(2)

शिक्षा का निर्णय :

विद्या का निर्णय साधारणतः चौथे घर, उसके स्वामी और विद्या कारक बृहस्पति से होता है। पांचवा घर बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। चौथे में अशुभ ग्रह शिक्षा में रुकावट उत्पन्न करते हैं। शुभ स्थिति में बृहस्पति तथा बुध मनुष्यों तथा पदार्थों का अच्छा ज्ञान प्रदान करते हैं। बृहस्पति चौथे या दशम में उच्च कानूनी शिक्षा का द्योतक है। यदि दूसरे घर का स्वामी सुस्थित हो, तो व्यक्ति वक्ता या प्राध्यापक बनता है। केंद्र में बुध या दूसरे में शुक्र होने पर ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान होता है।
दूसरे में मंगल तथा केंद्र में बुध मनुष्य को गणितज्ञ या प्राविधिक योग्यता प्रदान करता है। सूर्य या मंगल दूसरे के स्वामी के नाते शुक्र या बृहस्पति के साथ तर्क शक्ति और मन संबंधी शास्त्रों का ज्ञान प्रदान करते हैं। बृहस्पति तथा शुक्र जब केंद्रों में हों, बुध द्वारा दृष्ट हों तो दार्शनिक अभिरुचि का निर्देशन करते हैं।

केंद्रों में शुक्र और बृहस्पति होने से उर्वर प्रतिभा का ज्ञान होता है। चतुर्थ के स्वामी और बृहस्पति तीसरे, छठे तथा ११वें के स्वामी ग्रहों के प्रभाव से मुक्त होने चाहिए। फिर शिक्षा-क्रम नहीं टूटता।

सफलता प्राप्ति के प्रमुख योग :

यदि दूसरे का स्वामी ९वें में हो तो पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है। शुभ ग्रहों से वसीयत का, लाभप्रद ग्रहों से, विशेषकर ७वें शुक्र से विवाह द्वारा धनलाभ का ज्ञान प्राप्त होता है। अपनी जन्मपत्री से समानता रखने वाले लोगों के साथ संबंध होने से लोग पद तथा समृद्धि संपन्नता में और आगे बढ़ जाते हैं।

कामर्स की शिक्षा और व्यवसाय :

इस विषय की जानकारी केवल बुध के चतुर्थ और पंचम भाव से संबंधित भाव से नहीं होती बल्कि अन्य ग्रहों का सहयोग भी आवश्यक है। कामर्स पढ़ने वालों की कुंडली में मंगल ग्रह का भी सहयोग है। मंगल का चतुर्थ, पंचम भाव से संबंध है। मंगल आंकड़ों का आकलन विषय का सूक्ष्म अध्ययन सिखाता है। बृहस्पति धन का कारक है, यह संपूर्ण विषय धन की गणना से संबंधित है, इसलिए बृहस्पति का भी सहयोग चतुर्थ, पंचम भाव से हो सकता है। इसी प्रकार शनि ग्रह कानून या वकालत सिखाता है। इस विषय में कानून का अध्ययन भी किया जाता है। एक विषय सैक्रटेरियल प्रेक्टिस तथा व्यापार कानून का है, जिसमें शुक्र का महत्व हो सकता है।
इस प्रकार बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि, शुक्र का महत्व इस विषय के अध्ययन के लिए है। इनमें से जो ग्रह बलवान होगा उस विषय में अधिक रुचि तथा उन्नति होगी।

चार्टर्ड एकाउंटेंट अर्थात् सी.ए. कंपनी सेक्रेटरी अर्थात् सी. एस. करके इस विषय में आगे बढ़ सकते हैं ये कामर्स की खास व्यवस्था हैं।

कामर्स के लिए, बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि, शुक्र इनमें से किन्हीं दो ग्रहों का चतुर्थ, पंचम भाव-भावेश से संबंध होना आवश्यक है।

चार्टर्ड एकाउंटेंट (सी.ए.) के लिए बृहस्पति, मंगल, बुध इन तीन ग्रहों का संबंध चतुर्थ-पंचम भाव-भावेश से होना आवश्यक है।

कंपनी सेक्रेटेरियल (सी.एस.) के लिए बृहस्पति, मंगल, बुध-शनि ग्रह का संबंध पंचम भाव से होना आवश्यक है। उपरोक्त योग में मंगल की जगह केतु हो सकता है।

किसी भी जातक की जन्मकुंडली में लग्न, लग्नेश, पंचम भाव, पंचमेश, नवम भाव नवमेश का अच्छे भावों व शुभ ग्रहों से युत होना जातक को आदर्श स्थिति प्रदान करते हैं। परंतु जहां तक कैरियर का संबंध है उसके लिए जातक का दशम भाव व दशमेश का अध्ययन अति आवश्यक होता है। दशम भाव कर्म भाव भी कहलाता है जिससे जातक के कार्य, व्यवसाय, नौकरी आजीविका का पता चलता है। दशम भाव में स्थित ग्रह, दशमेश व उसका स्वामी, नवांश, तीनों लग्नों से दशम भाव में स्थित ग्रह, कुंडली के योग कारक ग्रह आदि का अध्ययन कर जातक की आजीविका का पता चल सकता है।

दशम भाव के अतिरिक्त एकादश, द्वितीय व सप्तम भाव पर भी दृष्टिपात करना जरूरी होता है। कारण यह सभी भाव धन, व्यवसाय व सांझेदारी से जुड़े होते हैं जिनके बिना आजीविका या व्यवसाय नहीं किया जा सकता।
दशम भाव का मुख्यतः कैसे विचार किया जाए इस हेतु हमारे आचार्यों ने बहुत कुछ स्पष्ट किया है।

लग्न या चंद्र से दशम जो ग्रह हो उनके अनुसार आजीविका से लाभ होता है। यदि कोई ग्रह ना हो तो सूर्य से दसवे जो ग्रह हो उससे भी आजीविका जाननी चाहिए।

यदि सूर्य, चंद्र व लग्न से दशम कोई ग्रह ना हो तो दशमेश जिस नवांश में हो उस ग्रहानुसार आजीविका होती है।
नवांश चक्र में दशमस्थ ग्रह/दशमेश ग्रह के आधार पर भी आजीविका हो सकती है।

इसके अतिरिक्त शनि ग्रह पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि नाड़ी ग्रंथों में शनि को कर्म का कारक कहा गया है।
६, ७, व ९ भाव को अवलोकित करना चाहिए। ये भी आजीविका निर्धारण में महत्व रखते हैं।

जन्म नक्षत्र व उससे दशम नक्षत्र व नक्षत्र स्वामी से भी आजीविका देखी जा सकती है।

यदि दशम में राहु-केतु हो तो दशमेश व राहु केतु के अनुसार आजीविका हो सकती है।

उपरोक्त परिस्थितियों के अलावा अन्य और भी कई योग हो सकते हैं जो आजीविका निर्धारण में हमारी सहायता करते हैं ऐसे ही कुछ योग निम्नलिखित हैं-

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