दशम भाव (या तो लग्न से या चंद्र से जो भी बलवान हो) और उसके स्वामी, दशम भाव में स्थित ग्रहों से, जन्मपत्री के प्रधान ग्रह, और नवांष में दशमेश की स्थिति से कैरियर के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
मेष, सिंह और धनु आग्नेय राषियां हैं। वृषभ, कन्या और मकर पार्थिव हैं। मिथुन, तुला, कुंभ वायव्य और कर्क, वृश्चिक, मीन जलीय हैं। दशम भाव में आग्नेय राशि होने पर कारखाने, अग्नि, सेना, लोहा, धातुशोधन मुद्रण संबंधी कोई कार्य अपनाया जाता है।
दशम भाव में जलीय राशि नाविक, जलयात्री, समुद्री, सेना नायक, सराय चलाने वाले मछली विक्रेता उत्पन्न करती है।
पार्थिव राशि भूमि संबंधी जायदाद, कृषि, वस्त्र की दुकान, व्यापार, बागवानी इत्यादि प्रदान करती है।
वायव्य राशि वक्ता, पत्रकार, ज्योतिषी, टेक्निकल ज्ञान का व्यवसाय करने वालों का निर्देशन करती है। राशि निर्देशन उनमें स्थित ग्रहों या दृष्टिपात कर्ता ग्रहों द्वारा और भी परिवर्धित-संशोधित हो जाता है।
अगर हम कैरियर के प्रश्न को वास्तविकता से देखें तो हमें पता चलता है कि यह केवल कर्म से नहीं जुड़ा अपितु लाभ, धन और सुख से भी जुड़ा है। इसलिए हम व्यवसाय को द्वितीय, चतुर्थ एवं एकादश भाव से भी जान सकते हैं। इन भावों को यदि हम सर्वाष्टक वर्ग के अनुसार देखें तो स्पष्ट रूप से दिखता है कि जातक को कर्म द्वारा कितना लाभ मिलता है और कितना व्यर्थ करता है। ज्योतिष शास्त्रानुसार यदि दशम् भाव में कोई ग्रह हो तो जातक को अपने कर्मों द्वारा उन्नति सुनिश्चित होती है। यदि दशमस्थ ग्रह उच्च का हो तो जातक को एकाएक उन्नति मिलेगी। यदि दशमस्थ ग्रह नीच का हो तो उन्नति तो मिलती है लेकिन संदिग्ध रहती है। कैरियर की जानकारी के लिए नवांश कुंडली पढ़ना अति आवश्यक है। यदि दशमभाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश और नवांशेश को जानकर फिर कैरियर पर विचार करें?
सूर्य :
जैसे सूर्य का दशम भाव से या दशमेश के नवांशेश से संबंध हो तो जातक सुगंधित वस्तुओं, आभूषणों का कार्य, दवाईयां, प्रबंधन, राज्य का शासन करेगा, लेकिन पिता के सहयोग व समर्थन से सफल होगा।
चंद्रमा :
यदि इन भावों और राशियों का संबंध चंद्रमा से हो तो जातक को खेती-बाड़ी से संबंधित चीजों का क्रय-विक्रय करना चाहिए। ऐसे जातक को धागा, कपड़ों और पेय पदार्थों का कार्य करना चाहिए। नर्स, दाई, जौहरी, मूल्यवान पत्थरों-मोतियों के व्यापारी, साथ ही राजकीय कर्म पर प्रभाव रखता है।
मंगल :
सैनिक, योद्धा, बढ़ई, यांत्रिक, पर्यवेक्षक, वकील, बैंकर, सेनानायक, बीमा एजेंट और कसाई का पेशा कराता है। इन भावों का संबंध मंगल से बने तो जातक अस्त्र-शस्त्र, कलपुर्जे का काम या ऐसा कार्य करना चाहिए जिसमें अग्नि और पराक्रम की आवश्यकता होती है। ऐसे जातक कनिष्ठ अभियंता, मिलिट्री पुलिस या फौज का काम करता है। यदि इसमें मंगल पीड़ित हो तो जातक पराये धन का लाभ उठाता है या जबरन किसी पर रौब जमा कर कार्य करने वाला होता है।
बुध :
उपदेशकों, अध्यापकों, गणिततज्ञों, लेखकों, मुद्रकों, सचिवों, पुस्तक विक्रेताओं, लेखपालों और बीमा एजेंटो पर शासन करता है। बुध ग्रह जातक की बुद्धि से करने वाला व्यवसाय कराता है अर्थात ऐसा काम जिसमें बुद्धि का उपयोग होता है। जैसे : ज्योतिष, अध्यापक या गणितज्ञ।
बृहस्पति :
पुरोहित-पादरी, कानूनज्ञाता, सभासद-सांसद, विधायक, न्यायाधीश, विद्वान जन नेता बनाता है। बृहस्पति यदि दशमेश या नवांशेश अथवा दशमस्थ हो तो जातक इन व्यवसायों से धन प्राप्त करता है। इतिहास और पुराणादि का पठन-पाठन, धर्मोपदेश, किसी धार्मिक संस्था का निरीक्षण अथवा संपादन, हाई कोर्ट कार्य अथवा जजमेंट तैयार करना।
शुक्र :
कलाकारों, संगीतज्ञों, अभिनेताओं, सुगंध निर्माताओं, जौहरी, शराब बेचने वाले और सूक्ष्म बुद्धि के वकीलों का जन्मदाता है। यदि शुक्र का संबंध हो तो जातक जौहरी का काम, गौ महिषादि का रोजगार, दूध, मक्खन आदि का क्रय-विक्रय, होटल या रेस्तरां का प्रबंधक।
शनि :
विभिन्न उत्तरदायित्व पूर्ण पेशों, मिल के अधिकारियों, कंपोजीटरों, फैक्ट्री-कुलियों और मंत्रियों पर शासन करता है। काष्ठादि का क्रय-विक्रय, मजदूरी और मजदूरों की सरदारी आदि का कार्य। अर्थात् शनि शारीरिक परिश्रम से संबंधित कार्य कराता है। वकालत, दो मनुष्यों के बीच झगड़ा करवाकर अपना काम निकलवाना उत्तरादायित्व वाला काम। उपर्युक्त तथ्यों के अनुसार पता चलता है कि जातक किस प्रकार का व्यवसाय करेगा। किंतु एक ग्रह कई प्रकार के व्यवसायों को निर्दिष्ट करता है। इसलिए ग्रहों की स्थिति पर, उसके उच्च नीचादि गुणदोष पर तथा उन ग्रहों पर शुभाशुभ दृष्टि का अच्छी तरह विचार करना चाहिए। यदि निर्दिष्ट कुंडली में धन योग उत्तम है तो जातक डिप्टी, बैरिस्टर या वकील जैसे व्यवसाय करेगा।
1 टिप्पणी:
nice post
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