अंक शास्त्र के अंतर्गत लो-शु वर्ग की रचना सर्वप्रथम चीन में हुई, जिसकी उत्पत्ति के बारे में यह माना जाता है कि ÷लो' नामक नदी तट पर एक कछुए की पीठ पर यह रचना प्राप्त हुई। इसका उपयोग चीन के राजाओं व ज्योतिषियों ने कालांतर में मानव जीवन को समृद्ध व सफल बनाने में किया। धीरे-धीरे यह रचना पूरे विश्व में समय के साथ-साथ फैलती चली गई।
लोशु ग्रिड क्या है :
यह ९ कोष्ठकों का ३x३ खानों वाला एक वर्ग होता है, जिसमें 1 से ९ तक अंक लिखे हुए होते हैं। जन्मतिथि के आधार पर अंकों को इस वर्ग व ग्रिड में बैठाकर देखते हैं। जिस भी अंक की कमी लोशु ग्रिड के आधार पर होती है जीवन में उस अंक से संबंधित दिशा, वस्तु, धातु, कारक आदि प्रभावित क्षेत्रों में कमी रहेगी। अंकों से संबंधित धातु, दिशा आदि के विषय में हमें निम्न सारणी की आवश्यकता पड़ती है। जन्मतिथि के आधार पर जो अंक लोशु ग्रिड में नहीं होता, उस अंक से संबंधित दिशा, व्यक्ति, धातु, कारक आदि को उस व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करवाकर उसकी हर प्रकार की कमियों को पूरा किया जा सकता है। यहां पर भी ध्यान रखना होता है कि जो अंक जन्मतिथि में नहीं है (लोशु ग्रिड) केवल उन्हीं क्षेत्रों में व्यक्ति विशेष को कमी हो ऐसा कदापि नहीं माना जा सकता। क्योंकि बहुत से अन्य कारण भी होंगे जिनका प्रभाव समय के साथ-साथ समाप्त भी होता जाएगा जैसे (किसी की मृत्यु पश्चात् उससे संबंधित अंक का व्यर्थ होना) किसी एक अंक का अधिक बार होना उस व्यक्ति विशेष पर उस अंक से संबंधित तत्व, ग्रह आदि की अधिकता भी दर्शाता है जो कभी-कभी नुक्सान भी दे सकती है अतः ऐसे अंकों हेतु उपाय भी करने होते हैं।अनुपस्थित अंकों हेतु उपाय व सुझाव अंक एक (जल तत्व)-
पानी भरा पात्र पूर्व/उ.पू. में रखें। सूर्य को प्रातः ताम्र पात्र से अर्य दें। मछली घर (एक्वेरियम) रखें। उत्तर दिशा में फब्बारा/स्वीमिंग पूल रखें। प्यासे व्यक्तियों को पानी पिलाएं। १, १०, २८ जन्मतिथि वालों का संग करें, संबंध बनाएं।अंक २, ५, व ८ (भूमि तत्व) जन्मतिथि पर न होने (अनुपस्थित) पर उपाय-
चकोर/वर्गाकार खाने की मेज (डायनिंग टेबल) प्रयोग करें। शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में बनाएं। घर के मध्य में पीली रोशनी (बल्व) लगवाएं। पहाड़ों के चित्र द.प. में लगाएं। एक मुखी रुद्राक्ष/क्रिस्टल माला धारण करें। हरा पिरामिड रखें।अंक ३, ४ (काष्ठ तत्व) हेतु उपाय -
मुख्य द्वार पर संगीतमय घंटी (विंड चाइम्स्) लगाएं। उत्तर पूर्व दिशा स्वच्छ रखें। पूर्व/दक्षिण - पूर्व में हरी रोशनी लगवाएं। हरे पौधे व हरियाली वाली तस्वीरें पूर्व/दक्षिण-पूर्व में लगवाएं। ३, १२, ३०, १३, २२ जन्मतिथि वालों से संबंध बढ़ाएं।अंक ६-७ (धातु तत्व हेतु उपाय) :
दाएं हाथ में स्वर्ण (सोना पहनें)। सुनहरी पीली संगीतमय घंटी (विंड चाइम्स्) पश्चिम / उत्तर - पश्चिम/ उत्तर में लगाएं। धातु की बनी वस्तुएं मूर्तियां आदि पश्चिम/उत्तर पश्चिम में रखें। पीले रंग का पिरामिड घर पर रखें।अंक ९ (अग्नि तत्व) :
लाल रंग की रोशनी दक्षिण पूर्व में लगाएं। बैठक में फूलों वाले पौधे लगाएं। दक्षिण पूर्व में तंदूर (ओवन) आदि रखें। दक्षिणी दीवार पर लाल रंग की तस्वीर लगाएं। आइए अब इस लोशु चक्र विधि को एक जन्मतिथि पर आजमा कर देखते हैं। किसी व्यक्ति की जन्मतिथि ३० नवंबर १९७७ अर्थात ३०, ११, १९७७ है इसे लोशु चक्र में लिखने पर हमें यह चार्ट प्राप्त होगा।अनुपस्थित अंक २, ४, ५, ६, ८ अर्थात् भूमि तत्व (२, ५, ८) ४ (काष्ठ तत्व) तथा ६ (धातु तत्व) है जबकि १, ३, ७, ९ उपस्थित है जिसमें 1 व ७ अंक की अधिकता है अर्थात् 1 (जल तत्व, ३ (काष्ठ तत्व), ७ (धातु तत्व) व ९ (अग्नि तत्व) इस जातक के जीवन में स्पष्ट है कि जल व धातु तत्व की अधिकता है जबकि भूमि तत्व की कमी है अतः जातक को भूमि तत्व (२, ५, ८) अंकों के उपाय करने चाहिए।
इस जातक को विवाह व संतान प्राप्ति के बाद काफी सफलता मिली कारण पति की जन्मतिथि ८ व पुत्री की जन्मतिथि ११ जो कि २, ८ बनती है अर्थात् भूमि तत्व की कमी पूरी होने से जीवन पहले से अधिक सफल हुआ।
लोशु चक्र रहस्यमय अंक ज्योतिष का चक्र है, जिससे जातक के जीवन में वांछनीय बदलाव कर लाभ दिए व लिए जा सकते है।
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर पोस्ट!
4,3,8,6 नही है
2 तीन बार है
5 दो बार है
प्लीज सलाह देकर कृपा करें
Date of birth 3/3/1988 hain kya kam karien secsuss hone ke liye
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