बुधवार, 21 जुलाई 2010

कैरियर का चुनाव(3)

डॉक्टर चिकित्सक बनने के योग : 

कुंडली में यदि - दशम भाव /दशमेश पर अष्टमेश की दृष्टि/ युति प्रभाव और सूर्य शनि का दृष्टि व युति संबंध हो।

एकादश भाव/ एकादशेश पर सूर्य, शनि व अष्टमेश का प्रभाव हो।

लग्न में अष्टमेश,सूर्य व शनि की युति हो।

षष्ठेश का दशम, एकादश भाव या इनके भावेश को प्रभावित करना भी डॉक्टरी योग बनाता है।

दशम भाव में मंगल शनि की युति सर्जन बनाती है।

षष्ठेश का संबंध लग्न व दशम भाव से होना भी डॉक्टरी योग बनाता है।

मंगल, शुक्र व शनि की राशियों में चंद्र-शनि, मंगल-शनि, बुध-शनि इन दो ग्रहों की युति या सूर्य चंद्र के साथ अलग-अलग तीन ग्रहों की युति जातक को चिकित्सक बनाती है।

इंजीनियर बनने के योग :

कुंडली में मंगल व शनि का बलवान व शुभ होना इंजीनियर बनने हेतु अति आवश्यक है। क्योंकि शनि लोहे व तकनीकी का कारक है तथा मंगल ऊर्जा, विद्युत आदि का कारक है।

मंगल व शनि की राशियों का लग्न होना तथा इन दोनों ग्रहों का शुभ स्थिति में होना।

यदि मंगल व शनि पंचम भाव में होकर कर्मभाव/कर्मेश से संबंध स्थापित करें।

दशम भाव/ दशमेश पर मंगल से दृष्टि संबंध तथा सप्तम सप्तमेश से संबंध होना।

ज्योतिष में शनि, मंगल, राहु व केतु को तकनीकी व खोजीग्रह माना गया है। यदि इनमें से किसी का संबंध दशम भाव/दशमेश से हो जाए तो जातक इंजीनियर बन सकता है।

बलवान शुक्र बुध से युति कर दशम भाव/दशमेश को प्रभावित करें।

कुंडली में राहु का पंचम भाव/ पंचमेश से दृष्टि युति संबंध भी जातक को इंजीनियरिंग हेतु प्रेरित करता है।

वकालत के योग :

कानून की शिक्षा हेतु गुरु, शनि, शुक्र व बुध ग्रह अत्यधिक प्रभावी होना आवश्यक होता है। जहां गुरु व शुक्र कानून शास्त्र से संबंधित है। बुध व शनि वाणी व बहस करने हेतु जरूरी हैं। इनके बिना वकालत नहीं की जा सकती।

यदि दशम भाव में शनि उच्च का हो, दशम भाव पर दृष्टि डाले तो वकालत का योग बनता है।

गुरु उच्च/स्वक्षेत्री होकर दशम भाव/दशमेश से दृष्टि युति संबंध बनाए।

नवमेश दशमेश का परस्पर संबंध हो।

कुंडली में बुध, गुरु, शनि का उच्च व बली होना। दशमेश का नवम/षष्ठ भाव से संबंध होना।

तुला राशि का संबंध दशम भाव/लग्न से होना (तुला राशि को न्याय का प्रतीक माना जाता है।)

गुरु का बली होना तथा धनु/मीन राशि का शुभ ग्रहों से दृष्ट होना।

दशम भाव पर मंगल, गुरु व केतु का प्रभाव होना भी वकालत की और प्रेरित करता है।

तुला, धनु व मीन राशियों का लग्न या दशम भाव से संबंध भी जातक को वकालत की ओर प्रेरित करता है।

अध्यापक बनने के योग :

कुंडली में गुरु व बुध का शुभ, उच्च व बली होना।

लग्नेश की पंचमेश से युति होना।

दशम भाव में उच्च का गुरु होना।

तीसरे/दसवें भाव में गुरु का होना। बुधादित्य योग होना

सप्तमेश केंद्र में बैठकर दशमेश से दृष्ट हो तथा इन दोनों में से किसी भाव में गुरु हो। गुरु सूर्य का उच्च होना, युतिगत होना तथा एक दूसरे से सप्तम होना।

अभिनय कला के योग :

पंचम में शुक्र हो पंचमेश शुक्र से संबंधित हो।

पंचम शुक्र, ग्यारहवें राहु तथा लग्नेश पंचम में हो।

पंचम शुक्र, भाग्येश भाग्य स्थान में लग्नेश धनेश का योग हो।

लग्नेश लग्न में शुक्र मंगल व्यय भाव में हो।

मंगल, शुक्र, बुध का किसी प्रकार का संयोग हो। राहु चंद्र संग, शुक्र लग्नेश संग हो।
व्यय भाव में शुक्र चंद्र बुध से युत व दृष्ट हो।

छठे भाव में सूर्य, शुक्र, राहु हो तथा पंचम भाव का किसी भी प्रकार से इन ग्रहों का संबंध हो।

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उपयोगी और संग्रह करने योग्य पोस्ट!