जातक की कुंडली में निम्नानुसार योग होने की स्थिति में वह नौकरी करेगा-
1) यदि षष्ठम भाव, सप्तम भाव से ज्यादा बली हो।2) लग्न, सप्तम भाव, चंद्र लग्न एवं धन के कारक गुरु का शुभ ग्रह बुध एवं शुक्र से संबंध।
3) लग्न, लग्नेश, नवम भाव, नवमेश, दशम भाव एवं दशमेश, एकादश भाव या एकादशेश किसी भी जल तत्व ग्रह से प्रभावित न हो।
4) केंद्र या त्रिकोण में कोई भी शुभ ग्रह न हो।
5) यदि जातक की आयु २० से ४० वर्ष के दौरान निर्बल योगकारक ग्रह तृतीयेश, षष्ठेश या एकादशेश की दशा से प्रभावित हो।
जन्मकुंडली में व्यवसाय का योग :
जातक की कुंडली में निम्नानुसार योग होने की स्थिति में वह व्यवसायी होगा-
1) यदि सप्तम भाव षष्ठ भाव से ज्यादा बली हो।2) नवम और दशम तथा द्वितीय और एकादश भावों के बीच आपसी संबंध हो।
3) यदि जातक का जन्म दिन में हो तो चंद्र लग्न या दशम भाव पर योगकारी ग्रह या उच्च या स्वराशिस्थ शनि की दृष्टि हो या उससे संबंध हो।
4) जन्मकुंडली में अधिकांश ग्रह अग्नि या वायु तत्व राशियों में विद्यमान हों तो जातक के व्यवसायी होने की संभावना अत्यधिक बली हो जाती है।
जन्म कुंडली में व्यवसाय के स्तर का योग :
वर्तमान समय में व्यवसाय या व्यापार का वैश्वीकरण हो जाने के कारण देश के स्थान पर दिशा पर ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। नवांशेश यदि बली हो तो रोजगार का स्तर काफी अच्छा होता है और जातक को रोजगार में मान सम्मान प्राप्त होता है और यदि नवांशेश निर्बल हो तो रोजगार से मामूली आय होती है। अतः राशि बली होने से आमदनी का स्तर एवं रोजगार का स्तर सही ढंग से जाना जा सकता है।
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