मंगलवार, 11 मई 2010

ब्रहस्पति ग्रह का प्रभाव आपकी राशी पर (गोचर) १

जैसा की हमने आ़प सभी से अपने पिछले लेख में कहाँ था की ब्रहस्पति ग्रह के मीन राशी पर चले जाने से विभिन्न राशियो पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर हम अपने आंकलन प्रस्तुत करेंगे लीजिये आज अभी से हम इस पर कार्य का आरंभ कर रहे हैं |कुछ दिनों से सेहत ठीक न होने से हम कुछ दिन कंप्यूटर से दूर रहे व आ़प सभी से संपर्क नहीं हो सका इसके लिए हम क्षमा चाहते हैं |
गुरु या ब्रहस्पति ग्रह जब मीन राशी(स्वराशी )में प्रवेश करते हैं तब अनाज सस्ता होता हैं तथा बारिश प्रचुर मात्रा में होती हैं ,ऐसा नारदसंहिता में कहा गया हैं |ज्योतिष में गुरु ग्रह का मीन राशी में जाना बहुत अच्छा माना गया हैं क्यूंकि मीन राशी गुरु की अपनी ही राशी हैं लेकिन पुरे एक वर्ष (इस बार ) शनि के कन्या राशी में होने से गुरु शनि ग्रह से सातवे रहेंगे जिससे प्रजा जन हेतु यह समय अच्छा नहीं होगा (शनि स्थान वृद्दि करते हैं तथा जिसे देखते हैं उसकी हानि करते हैं जबकि गुरु स्थान हानि करते हैं परन्तु जिसे देखते हैं उसकी वृद्दि करते हैं) ऐसे में कन्या व मीन राशी वाले जातको को अवश्य कुछ ना कुछ परेशानियो का सामना करने पड़ेगा |

गुरु ग्रह की दृष्टी- गुरु ग्रह को तीन दृष्टी मिली हुई हैं पंचम,सप्तम व नवम अर्थात गुरु ग्रह जहाँ बैठते हैं वहां से पांचवे सातवे तथा नवे भाव या घर को भी देखते हैं जो की कल्याणकारी माना जाता हैं |

जन्म लग्न में भावफल- गुरु जन्मलग्न में १,२,५,९,१०,११वे भाव में हो तो बहुत शुभ फल प्रदान करते हैं यदि लग्न,सूर्य व चन्द्र से ११वे हो तो बहुत धन प्रदान करते हैं तथा लग्न में होने से यह कुंडली के कई बुरे दोषों का शमन कर देते हैं परन्तु साथ ही साथ स्वास्थ की हानि भी करते हैं |

गुरु धर्म-कर्म,ज्ञान व ज्ञान विस्तार,विद्या, पुत्र, ग्रह,पितामाह,मित्र,मंत्री,विद्या,कोष,ज्योतिष,मंत्र,उदर,कान,सुनने की शक्ति,अध्यापन,परमार्थ,तीर्थ,सत्संग,योग,यश,पूजा मंत्र व पठन पाठन आदि के कारक हैं ..............जारी

3 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

शुक्रिया इस जानकारी के लिए अगले अंक का इन्तजार रहेगा

Parth ने कहा…

bahut acha vishleshan hai..

kishore ghildiyal ने कहा…

aap sabhi ka shukriya