गुरुवार, 17 अक्तूबर 2024

उच्च विद्या प्राप्ति के ग्रह योग


ऊंच शिक्षा प्राप्ति में सूर्य चंद्र, बुध, गुरु, मंगल व शनि ग्रह की विशेष भूमिका है । इसके अतिरिक्त लग्नेश, पंचमेश व नवमेश तथा इन भावों का विश्लेषण भी उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु करना चाहिए । लग्नेश निर्बल हुआ तो बुद्धि व भाग्य व्यर्थ हो जाएंगे, यदि पंचम भाव निर्बल हुआ तो शरीर और भाग्य क्या करेंगे और यदि भाग्य कमजोर हुआ तो शरीर व बुद्धि व्यर्थ होंगे ।

प्रस्तुत आज के लेख मे हम ऐसे ही कुछ सूत्र ज्योतिष के अनुसार बता रहे हैं जिनसे आसानी से जाना जा सकता हैं की कोई भी जातक कितनी व कैसी शिक्षा प्राप्त कर सकता हैं |

लग्न अनुसार ऊंच शिक्षा

यदि मेष लग्न हो और पंचम में बुध तथा सूर्य पर गुरु की दृष्टि पड़े तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि वृष लग्न हो और उसमें सूर्य बुध की युति लग्न, चतुर्थ या अष्टम में हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि मिथुन लग्न हो और लग्न में शनि, तृतीय में शुक्र तथा नवम में गुरु होतो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि कर्क लग्न हो और उसमें लग्न में बुध, गुरु व शुक्र की युति हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि सिंह लग्न हो और मंगल-गुरु की युति चतुर्थ, पंचम या एकादश भाव में हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि कन्या लग्न हो और उसमें एकादश भाव में गुरु, चंद्र तथा नवम भाव में बुध स्थित हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि तुला लग्न हो और अष्टम में शनि गुरु द्वारा दृष्ट हो तथा नवम में बुध स्थित हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि वृश्चिक लग्न हो और उसमें सूर्य बुध हो तथा नवम भाव में गुरु चंद्र हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि धनु लग्न हो और उसमें गुरु हो तथा पंचम में मंगल व चंद्र स्थित हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि मकर लग्न हो और उसमें शुक्र - मंगल की युति हो तथा पंचम भाव में चंद्र गुरु द्वारा दृष्ट हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि कुंभ लग्न और एकादश भाव में चंद्र तथा षष्ठ भाव में गुरु स्थित हो तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

यदि मीन लग्न हो और उसमें गुरु षष्ठ, शुक्र अष्ठम, शनि नवम तथा मंगल - चंद्र एकादश भाव में हों तो जातक उच्च शिक्षा पाता है ।

 

पंचमेश शुभ ग्रह हो और पंचमेश का नवांशपति भी शत्रु ग्रहों से युत व दृष्टा न हो तो उच्च शिक्षा प्राप्त होती है ।

गुरु केंद्र या त्रिकोण में होकर शनि, राहु, केतु से युत या दृष्ट होतो जातक उच्च शिक्षा प्राप्त कर विद्वान बनता है ।

लग्नेश, पंचमेश, नवमेश में परस्पर युति या दृष्टि संबंध हो तो जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है ।

इनके अतिरिक्त कुछ अन्य सूत्र भी हैं जो बताते हैं की जातक शिक्षा अनुसार किस प्रकार का हो सकता हैं |

गुरु व चंद्रमा एक-दूसरे के घर में हो तो चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि हो तो सरस्वती योग होता है, जिससे जातक साहित्य, कला व काव्य में उच्च शिक्षा प्राप्त करता है ।

गुरु लग्न में हो तथा चंद्र से तृतीय सूर्य, मंगल, बुध हो तो जातक विज्ञान विषय में उच्च शिक्षा पाकर वैज्ञानिक बनता है ।

पंचम भाव व पंचमेश बुध व मंगल के प्रभाव में हो तो जातक व्यापार संबंधी ऊंच शिक्षा प्राप्त करता है ।

यदि गुरु केंद्र (1,4,7व 10) में हो तो जातक बुद्धिमान होता है । गुरु उच्च अथवा स्वग्रही हो तो और अच्छा फल देता है ।

बुध पंचम में हो तथा पंचमेश बली होकर केंद्र में हो तथा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक बुद्धिमान होता है ।

पंचमेश उच्च का केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो जातक पूर्ण शिक्षा पाता है ।

पंचम भाव में सूर्य सिंह राशि में हो तो जातक मनोनुकूल शिक्षा पूर्ण करता है ।

गुरु शुक्र व बुध यदि केंद्र व त्रिकोण में एक साथ या अलग-अलग स्थित हों तथा गुरु उच्च, स्वग्रही या मित्र क्षेत्र में हो तो सरस्वती योग बनता है। ऐसे जातक पर सरस्वती की विशेष कृपा होती है ।

दशमेश व पंचमेश का स्थान परिवर्तन अर्थात् दशम भाव का स्वामी पंचम में तथा पंचम भाव का स्वामी दशम में हो तो व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है ।

बुध, चंद्रमा व मंगल पर शुक्र या गुरु की दृष्टि हो तो भी जातक बड़ा बुद्धिमान होता है ।

पंचम भाव में गुरु हो तो जातक अनेक शास्त्रों का ज्ञाता पुत्र व मित्रों से समृद्ध, बुद्धिमान व धैर्यवान होता है ।

लग्नेश यदि 12वें या 8वें भाव में हो तो जातक सिद्धि प्राप्त करता है और वह विद्या विशारद होता है ।

चतुर्थेश सप्तम व लग्न में हो तो जातक बहुत सी विद्या का ज्ञाता होता है ।

चंद्रमा से गुरु त्रिकोण में हो, बुध से मंगल त्रिकोण में और गुरु से बुध एकादश स्थान में हो तो जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करके बहुत सा धन अर्जन करता है ।

 

गुरु द्वितीयेश होकर बलवान सूर्य व शुक्र से दृष्ट हो तो जातक व्याकरण शास्त्र का ज्ञाता होता है ।

धन भाव में मंगल शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या धनभाव में चंद्र, मंगल की युति हो व बुध द्वारा दृष्ट हो तो जातक गणित विषय का ज्ञाता होता है ।

यदि द्वितीयेश से 8वें, 12वें शुभ ग्रह हों तो जातक प्रखर विद्वान होता है ।

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