हमारे भारतीय ज्योतिष शास्त्रो मे जातक विशेष को जब कोई बीमारी होती हैं तो यह जानकार की वह किस नक्षत्र मे हुई हैं उसी के अनुसार दान करने से बीमारी से मुक्ति पायी जा सकती हैं यह बताया गया हैं | प्रस्तुत लेख मे हम इसी विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं |
अश्विनी नक्षत्र
में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है ।
भरणी नक्षत्र
में ब्राह्मण को तिल एवं गाय का
दान करने से सद्गति प्राप्त होती है व कष्ट कम होता है ।
कृतिका नक्षत्र
में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतों को दान करने से उत्तम
स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है ।
रोहिणी नक्षत्र
में घी मिश्रित अन्न को ब्राह्मण व साधुजन को दान करना चाहिए ।
मृगशिरा नक्षत्र
में ब्राह्मणों को दूध दान करने से
किसी प्रकार का ऋण नहीं रहता व व्याधि से दूर रहते हैं ।
आर्द्रा नक्षत्र
में तिल मिश्रित खिचड़ी का दान करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाते हैं
।
पुनर्वसु
नक्षत्र में घी के बने मालपुए ब्राह्मण को दान करने से रोग का निदान होता है ।
पुष्य नक्षत्र
में इच्छा अनुसार स्वर्ण दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं
।
अश्लेषा नक्षत्र
में इच्छा अनुसार चांदी दान करने से रोग से शांति व निर्भय हो जाता है ।
मघा नक्षत्र में
तिल से भरे घड़ों का दान करने से रोग से निदान व धन की प्राप्ति भी होती है ।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में ब्राह्मण को
घोड़ी का दान करने से सद्गति मिलती है ।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में स्वर्ण कमल
ब्राह्मण को दान देने से बाधाएं दूर हो जाती हैं व रोग से शांति मिलती है ।
हस्त नक्षत्र
में रोग से निदान पाने के लिए ब्राह्मण को चांदी दान करना व जल सेवा लाभदायक होती
है |
चित्रा नक्षत्र
में ताम्रपत्र, घी का दान शुभ होता है ।
स्वाति नक्षत्र
में जो पदार्थ स्वयं का प्रिय हो, उनका दान करने से शांति मिलती है |
विशाखा नक्षत्र
में वस्त्रादि के साथ अपना कुछ धन ब्राह्मण को देने से सारे कष्ट दूर होते हैं साथ
ही आपके पितृगण भी प्रसन्न होते हैं |
अनुराधा नक्षत्र
में यथाशक्ति कम्बल ओढने तथा पहनने वाले वस्त्र ब्राह्मण को दान किये जायें तो आयु
में वृद्धि होती है |
ज्येष्ठा
नक्षत्र में मूली दान करने से
अभीष्ट गति प्राप्त होती है ।
मूल नक्षत्र में
कंद, मूल, फल, आदि
देने से पितृ संतुष्ट हो जाते हैं, स्वास्थ्य में लाभ व उत्तम गति मिलती
है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में कुलीन और
वेदवेत्ता ब्राह्मण को दधिपात्र देने से कष्ट दूर हो जाते हैं |
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में घी और मधु
का दान ब्राह्मण को देने से रोग में शांति होती है ।
श्रवण नक्षत्र
में पुस्तक दान करना लाभदायक रहता हैं |
धनिष्ठा में दो
गायों का दान करने से रोग में शांति व जन्मों तक सुख की प्राप्ति भी होती है ।
शतभिषा नक्षत्र
में अगरु व चन्दन दान करने से शरीर के कष्ट दूर हो जाते हैं |
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में साबुत उड़द
के दान से सभी कष्ट से आराम व सुख प्राप्त होता है ।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में सुन्दर
वस्त्रों के दान से पितृ संतुष्ट होते हैं और उसे सद्गति प्राप्त होती है |
रेवती नक्षत्र में कांस्य पात्र
दान करना लाभदायक होता है |
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