बुधवार, 2 अक्तूबर 2024

कुंडली मिलान के तथ्य

 

ज्योतिष ईश्वरीय गूढ भाषा का विज्ञान है जो जन्मकालीन आकाशीय स्थिति से जीवन के कई पहलुओ व परतो को खोलता है । इन्ही परतों में जीवन के प्रत्येक पहलू का अपना एक विशेष महत्व होता है जिनमे शिक्षा,व्यवसाय,संतान विवाह, रिश्ते व अध्यात्म प्रमुख हैं | विवाह का बंधन क्योकि सात जन्म का माना गया है तो इतने महत्वपूर्ण बंधन का आधार क्या है । यह हमारे ज्योतिष मे भली भांति जाना जा सकता हैं |

कुंडली मिलान

कुंडली मिलान एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा दो अलग-अलग जातकों की मानसिक, आर्थिक से शारीरिक स्थिति का मिलान किया जाता है जिससे वह एक सुखद वैवाहिक जीवन जी सके ।

सामान्यतः विवाह के मिलान के लिए आठ कूटो (अष्टकूट) का विचार किया जाता है ।

ये आठ इस प्रकार है (1) वर्ण (2) वश्य (3) तारा (4) योनि (5) गृह मैत्री (8) गण (7) कूट (8) नाड़ी और यही क्रमानुसार 36 गुण होते है ।

1. वर्ण अर्थात व्यवसाय वर्ण मिलान से हमें यह ज्ञात करते हैं दोनों की व्यवसायिक उन्नति में एक दूसरे के सहायक होगे या नहीं ।

2. वश्य का अर्थ होता है नियंत्रण में होना अर्थात दोनी जातक एक दूसरे की परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित कर लेंगे या कही एक दूसरे को डोमिनेट करके एक दूसरे का जीवन कलहपूर्ण तो नही करेगे ।

3. तारा - इसमे वर के नक्षत्र से वधू के नक्षत्र तक की गणना इसलिए की जाती है कि दोनों एक दूसरे के सौभाग्य को बढ़ा सकेंगे या नहीं यह जानने हेतू की जाती है |

4. योनि - वर वधू की योनि एक दूसरे की शत्रुवत् नही होनी चाहिए। योनि कूट से भावी पति पत्नी की शारीरिक ऊर्जा तथा इच्छाए मिलती है या नही,ज्ञात होता है । यदि किसी जोड़े में योनि दोष होता है तो वे एक दूसरे की शारीरिक ऊर्जा को समझ नही पाते और आपसी मतभेद उत्पन्न होने लगता है ।

5. भकूट अथवा ग्रह मैत्री अर्थात दोनो की राशियों के स्वामी ग्रहों में मित्रता है अथवा नहीं । उदाहरण के तौर पर यदि पति का स्वामी ग्रह शनि और पत्नी का स्वामी ग्रह सूर्य है तो दोनो में हमेशा झगड़ा होगा दोनो हमेशा एक दूसरे की कमियो को निकालते रहेगें इस कूट में अधिकतम अंक 5 होते हैं जिसमे कम से कम तीन मिलने आवश्यक होते है ।

6. गण को तीन समूहों में बांटा गया:- देव, नर या मनुष्य, राक्षस गण जातक का स्वभाव होता है। यदि भावी पति के गण देव के तथा भावी पत्नी के गण राक्षस के है तो जीवन हमेशा कलहपूर्ण रहेगा। देवगण का जातक सामाजिकता निभाने में विश्वास रखता है परन्तु राक्षस गण के जातक को क्रोध बहुत जल्दी आता है और जल्दी ही झगड़ पड़ते है और जल्द ही धैर्यहीन हो जाते है। इसके अतिरिक्त मनुष्य गण के जातक न तो ज्यादा आध्यात्मिक होते है और न ही नास्तिक वे अच्छा सामजस्य स्थापित कर लेते है इसलिए देव राक्षस, राक्षस राक्षस, का निभना बहुत कठिन होता है इसलिए गण मिलान विशेष महत्व रखता है ।

7. भकूट मिलान में वर वधू की जन्म राशियों का एक दूसरे से स्थिति का विचार किया जाता है क्योंकि दोनो की मानसिक ऊर्जा अवश्य मिलनी चाहिए । यदि दोनो एक दूसरे से वैचारिक रूप से अलग होगे तो एक दूसरे की इज्जत नही कर पाएंगे और जीवन भर बस घिसटते रहेगे जब एक दूसरे को समझेंगे नही तो रिश्ता कैसे चलेगा क्योंकि सच्चा रिश्ता वही जिसमे बिना कहे इन्सान एक दूसरे के मन के भावों को समझ सके अर्थात आंखो की भाषा समझे ।

8. नाडी दोष - नाडियां तीन प्रकार की होती है - आदि, मध्य, अन्तय

जन्म नक्षत्र जातक की नाड़ी निश्चित करता है । भावी वर/वधु की नाड़ी एक नही होनी चाहिए । नाडियाँ हमारी समस्त बीमारियों के बारे में बताती है पति पत्नी में नाडी दोष होगा तो संतान होने में कष्ट होगा क्योंकि शरीर में रोग होगे । Rhesus Factor (Rh) की समस्या ही नाड़ी दोष है ।

नाडी दोष तब होता है जब दोनो लड़का-लड़की के चन्द्रमा एक ही राशि के, एक ही नक्षत्र के एक ही चरण में हो अन्यथा नाडी दोष नही होता ।

इन तथ्यों के साथ हम कुंडली मिलान की वैज्ञानिकता को समझकर विवाह के लिये यह क्यूँ आवश्यक है यह जान सकते है। कुंडली मिलान केवल पत्रा देखकर नही करना चाहिए क्योंकि पत्रे में केवल चन्द्रमा मिलाया जाता है जो कि उचित नही |

अनेक व्यक्तियों के तर्क होते है कि पहले तो सिर्फ पत्रे से ही देखा जाता था फिर अब क्यो नही ? उत्तर है देश, काल, पात्र पहले संतान अपने माता पिता के वचनो को जीवनभर निभाते थे जबकि अब ऐसा नही है इसलिए कुंडली मिलान आवश्यक है ।

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