सोमवार, 30 सितंबर 2024

आपके संबंध बताता हैं आपका सोना

 


प्रतिदिन के क्रिया कलाप किस प्रकार से आपके जीवन को दर्शाते हैं इस पर यदि ध्यान दिया जाए तो हमारे भावी जीवन की बहुत सी परेशानी हल की जा सकती हैं | प्रस्तुत लेख मे हम आपके सोने के तरीके से ये जाना जा सकता हैं की आपके अपने जीवन साथी से कैसे  संबंध हैं बताने का प्रयास कर रहे हैं |

1) एक-दूसरे की ओर पीठ करके

अगर आप दोनों पीठ करके, लेकिन छूते हुए सोते है यह बताता है कि किसी झगड़े के बीच भी आप दोनों प्यार बनाए रखना चाहते है।

2) एक पीठ के बल

आप दोनों में से एक खर्राटे लेने वाला हो सकता है। आप दोनों ही व्यक्तिगत रूप से आत्मविश्वास से भरपूर और खुद पर गर्व करने वाले हैं।

3) चम्मच (पुरुष)

इस स्थिति में जोड़ो के सोने का अभिप्राय है कि पति यह दर्शाना चाहता है कि वह अपनी पत्नी की सुरक्षा अच्छी तरह से कर सकता है और एक पारंपरिक रिश्ता चाहता है।

चम्मच (महिला)

अगर पति-पत्नी इस स्थिति में सोते हैं। तो इसका मतलब है कि महिला अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहती है और सभी को संरक्षण में लेना चाहती है।

4) अलग-अलग किनारों पर

आप दोनों बहुत ज्यादा प्रैक्टीकल और आज़ाद खयाल हैं लेकिन आप दोनों के बीच अब भी प्यार हो सकता हैं बस थोड़ी सी कोशिश की ज़रूरत हैं |

5) एक दूसरे से चिपके

इस तरह सोने का अर्थ हैं की दोनों एक दूसरे के संपर्क मे रहना चाहते हैं | आप दोनों के बीच बहुत प्यार है । सोने की ऐसी स्थिति सामान्यता एक नए रिश्ते में होती है और तब तक रहती है, रिश्ता खिलखिलाता रहता है।

6) पैर ऊपर रखकर

आप दोनों के बीच प्यार है, लेकिन आप दोनों काफी स्वतंत्र और अपने आप मे व्यस्त भी हैं | यह स्वतंत्रता वैचारिक या आर्थिक हो सकती है |

7) अलग-अलग सोना

यह बताता है कि आप दोनों का रिश्ता बिगड़ने की शुरुआत हो चुकी है। काफी हद तक आप दोनों अपनी-अपनी दुनिया में मगन रहना चाहते हैं ।

8) एक पेट के बल

इस रिश्ते में थोड़ी दरारा पैदा हो चुकी और हल्का-फूल्का तनाव भी है। वैसे यह तनाव किसी बाहरी वजह से भी हो सकता है, जिसे आसानी से दूर किया जा सकता है।

9) एक हाथ छूते हुए

अगर आप एक-दूसरे का एक हाथ छूते हुए सोते हैं तो इसका मतलब है कि आप दोनों अलग-अलग विचारधारा वाले हैं, इसके बावजूद भी आपस में प्यार करते हैं।

10) अकेले अकेले सोना

आपका रिश्ता काफी खराब हो चुका है । आप दोनों के प्यार में कमी आ चुकी है। रिश्ते को बचाने के लिए एक-दूसरे से संवाद कायम किए रहना जरूरी है ।

शनिवार, 28 सितंबर 2024

वास्तु से विवाह का संबंध

 

जिस तरह रोटी, कपड़ा और मकान व्यक्ति के लिए जरूरी हैं, उसी प्रकार मनुष्य के लिए विवाह जरूरी है । हम आए दिन देखते हैं कि किसी जातक का विवाह तो समय से पहले हो जाता है और कभी-कभी बहुत कोशिश करने पर भी विवाह नहीं होता है । प्रत्येक मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों की शादी अच्छे घर में और अच्छे कुल में हो,बेटी को अपने ससुराल में कोई परेशानी नहीं आए और जो बहू लाते हैं हमारे कुल की शान बने । यही आशा लेकर हम विवाह की रस्म करते हैं । आजकल के बच्चे अपना कॅरिअर बनाने में इतना जुट गए हैं कि वे भूल जाते हैं कि उनके विवाह का सही समय निकल रहा है । लड़के - लड़कियों की कुंडली देखते रहनी चाहिए ताकि समय पर विवाह हो जाए,कभी-कभी ऐसा होता है कि कुंडली में योग तो होता है शादी का, पर घर में वास्तुदोष होने के कारण भी शादी में बाधा आती है अथवा फिर जो बच्चे शादी लायक हैं, उनके सोने की, उनके कमरे की स्थिति या दिशा अगर गलत होने पर भी विवाह में बाधा आती है ।

वास्तुशास्त्र के अनुसार विवाह योग्य लड़के-लड़कियों के सोने का कमरा वायव्य कोण में होना चाहिए । ये लाभकारी होगा कि वायव्य कोण में उच्चाटन की प्रकृति होती है और इसका उद्देश्य यह भी होता है कि इस कोने में सोने वाले जातक को पढ़ने या कमाने के लिए भी बाहर भेजा जाता है । एक बात का ध्यान रखें कि जिस बच्चे की उम्र 10-12 साल की हो, तो उन्हें इस कोने में नहीं सुलाएं, क्योंकि न ही उनकी विवाह की उम्र होती है और न ही कमाने लायक अगर ऐसा होगा तो बच्चे स्वभाव से चंचल, चुलबुले, जिद्दी और स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं । कोई रोक-टोक उनको पसंद नहीं होती है ।

अगर बच्चों को हम कमरा नैर्ऋत्य में होगा, तो बच्चे कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे और उनके विवाह में भी बहुत-सी बाधाएं आती रहेंगी। बच्चों का स्वभाव भी बहुत खराब हो जाएगा। आलसी, जिद्दी, चिड़चिड़े, कम बोलने वाले होते हैं। अगर बच्चों का प्रेम संबंध हो जाता है तो घरवालों के लिए चिंता की बात होती है क्योंकि वे अपनी जाति से अन्य जाति में संबंध बनाते हैं।

अगर हम बच्चों को अग्निकोण में कमरा दे दें, तो भी नुकसान है कि बच्चा अपनी मनमानी करता है। हर समय गुस्से का, बहुत तेज बोलने में कड़वा, लड़ाई- झगड़े का स्वभाव भी रहता है। ये कोण बच्चे और विवाहित दम्पती के लिए सही नहीं है। उनका पूरा जीवन कलह और अशांति में व्यतीत होता है। कभी-कभी नौबत तलाक तक चली जाती है।

दक्षिण दिशा में या शयनकक्ष अच्छा माना जाता है। इसमें घर का मुखिया रह सकता है या फिर घर का बड़ा बेटा भी रह सकता है। इस कमरे में सोने का पलंग इस तरह लगा होना चाहिए कि सोते समय सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में होने चाहिए। अगर किसी कारण से पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में नहीं रख सकते तो उससे पश्चिम दिशा में लगा सकते हैं। सिर पश्चिम में और सिर पूर्व दिशा में करें। विशेष ध्यान रखने वाली बात यह है कि कमरे में कोई कांच इस तरह लगा हुआ हो कि सोते समय शरीर का कोई अंग उसमें दिखता है तो कांच ढंककर सोएं वरना जो भाग दिख रहा है उसमें दर्द रहना शुरू हो जाएगा। जैसे कि उदाहरण के तौर पर सोते समय कांच में आपका सिर दिख रहा है तो सिर में दर्द, बेचैनी, नींद कम आना, चिड़चिड़ापन आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । 

कमरे में कोई भी भगवान की फोटो या मंदिर नहीं लगाएं। अगर जगह की कमी है और कोई जगह नहीं है तो ये ध्यान रखें कि पूजा करने के बाद उसे लाल अथवा सिंदूरी रंग के पर्दे से ढंक दें और कमरे के ईशान कोण में ही दें और कमरे के ईशान कोण में ही लगाएं। कमरे की साज-सज्जा इस तरह करें कि कमरे का माहौल खुशनुमा, प्यार भरा, खुशबूदार होना चाहिए। दिनभर इंसान काम में व्यस्त रहता है । जब वह कमरे में आए तो शांति, सुकून, आरामदायक नींद आनी चाहिए | कमरे का रंग हल्का और कमरे के नैर्ऋत्य में पति-पत्नी की एक फोटो होनी चाहिए। लव वर्ड्स या कोई लव सिंबल होना चाहिए। एक्वेरियम और कोई फव्वारा नहीं होना चाहिए |

कमरे की दिशा कोई भी क्यों न हो,पलंग की स्थिति दक्षिण में हो और सोने का तरीका पैर उत्तर में और सिर दक्षिण दिशा में रखें ।

सोते समय सिर पर कोई टांड या कोई बीम नहीं होना चाहिए ।

मरे में किसी जानवर, युद्ध, कुरूपता, उदासी, एकल पक्षी का फोटो नहीं लगाएं ।

खिड़कियां उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। अगर पश्चिम दिशा में हो,तो शाम के 2 से 6 बजे के समय मोटा पर्दा लगा दें ताकि नकारात्मक ऊर्जा अंदर नहीं आ सके ।

अगर कमरे में अलमारी है, तो उसे इस तरह रखें कि खोलते समय खुद का मुंह दक्षिण अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए।

घड़ी को उत्तर अथवा पूर्व की दीवार पर लगाएं और बंद घड़ी घर में नहीं रखें। उसे जल्दी चालू करें या ऐसी जगह पर रखें जहां दिखाई न दे।

कमरे में हल्का कलर का पेंट कराएं और कमरे में कोई ऐसी चीज नहीं रखें जिससे नकारात्मक ऊर्जा हो।

कमरे में ए.सी., हीटर हमेशा अग्निकोण में ही लगाएं।

घर के मध्य भाग में बैडरूम नहीं होना चाहिए।

घर का मुखिया बैडरूम के नैर्ऋत्य कोण के कोने में होना चाहिए और बड़े बेटे का कमरा प्रथम मंजिल के दक्षिण कोण में होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार बैडरूम खुला और साफ-सुथरा होना चाहिए ।

कमरे का फर्श भी गहरे रंग का नहीं हो। चाहे वह मार्बल हो या कार्पेट।

कमरे की छत की लंबाई कम नहीं होनी चाहिए और न ही खिड़की दरवाजे छोटे हों।

कमरे के नीचे बेसमेंट नहीं हो अगर हो, तो उसके दक्षिण-पश्चिम का भाग भारी हो। ज्यादा से ज्यादा सामान इसमें रखें।

बल्ब का रंग भी हल्का हो जो कि आंखों को सुकून दे ।

कमरे में कोई भी नुकीली चीज नहीं रखें अन्यथा आपसी संबंध खराब होंगे जैसे नेल कटर, चाकू या कोई सामान का ऐसा कोना जो पलंग को नकारात्मक ऊर्जा दे।

बेडरूम को सही दिशा या जगहा मे बनाए या उसके अंदर की साज-सज्जा भी इस तरह से रखें कि कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसमें न जाए और मन में शांति बनी रहे। पति-पत्नी के आपसी संबंध अच्छे और मधुर बने रहें। जब भी कमरे में जाएं तो सुकून और शांति मिले । भरपूर नींद और प्रेम तथा उत्साह से आपका जीवन सुखमय हो ।

 

गुरुवार, 26 सितंबर 2024

कुंडली व संतान संख्या



कुंडली को देखकर संतान संख्या बता पाना मुश्किल अवश्य प्रतीत होता है परंतु असंभव नहीं, परंतु यहां यह भी ध्यान रखना होता है जो जातक विशेष आपके सम्मुख है वह आपको संतान संबंधी विषय में सही जानकारी प्रदान करे,कई बार जातक विशेष सही सूचना नहीं देते हैं ।

आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से सूत्र हैं जो कुंडली में संतान संख्या के विषय में जानकारी देते हैं ।

प्राचीन मत इस प्रकार से है |

1. लग्न से पांचवें गुरु, गुरु से पांचवें शनि, शनि से पांचवें राहु तो एक पुत्र होता है ।

2. पंचमेश का नवांशपति यदि स्वराशि के नवांश में हो तो एक पुत्र होता है ।

3. पंचम भाव में जितने ग्रहों की दृष्टि हो उतनी संतान होती है ।

4. पंचमेश उच्च का हो तो संतान अधिक होती है ।

5. पंचम भाव में पंचमेश संग गुरु हो तो अनेक संतान होती है ।

6. पंचम भाव में जितने ग्रह हों उतनी संतान होती है |

7. पंचम भाव में जितने स्त्री-पुरुष ग्रहों का प्रभाव होता है उतनी ही स्त्री-पुरुष संतान होती है ।

8. कहीं-कहीं पंचमेश की राशि संख्या के अनुसार भी संतान संख्या देखी जाती है |

स्पष्ट कहा जा सकता है कि आज के संदर्भ में यह प्राचीन मत कारगर साबित नहीं होते हैं ।

आधुनिक मतानुसार देखें तो निम्न तीन तरीकों से संतान संख्या काफी हद तक सही पाई जाती है ।

1. अष्टक वर्ग के द्वारा-गुरु ग्रह के अष्टक वर्ग में गुरु ग्रह से पंचम भाव में (गुरु पंचम भाव का तथा संतान का कारक होने के कारण) जितने शुभ बिंदु होंगे उतनी ही संतान होती है । यहां यह ध्यान रखें कि शत्रु ग्रह, नीच ग्रह द्वारा दी गई बिंदु कुल बिंदुओं से घटाएं | अब जो संख्या बचे वह संख्या पैदा हुई संतानों की संख्या होगी ।

2. पंचमेश जितने नवांश गुजार चुका हो उतनी ही संतान होती है यदि उस पर शत्रु ग्रहों का प्रभाव हो तो ग्रहानुसार संख्या घटानी चाहिए ।

3. पंचमेश के उच्चबल साधन द्वारा उसकी रश्मियां ज्ञात कर उन रश्मियाँ के आधार पर संतान संख्या जानी जा सकती है ।

मंगल, बुध व शनि के उच्च राशि पर होने से इनकी 5-5 रश्मियां गुरु के उच्च राशि होने पर 7 रश्मियां चंद्र के उच्च होने पर 9 तथा सूर्य के उच्च राशि होने पर 10 रश्मियां होती हैं ।

उदाहरण के लिए यदि जन्म लग्न में शनि, मंगल अथवा बुध उच्च राशि के हों तो संतान की जन्म संख्या 5 हो सकती है |

इस प्रकार किसी की भी पत्रिका में संतान की संख्या निम्न तरीकों से जानी जा सकती है ।

प्रस्तुत हमारा ये लेख फ्युचर समाचार पत्रिका के सितंबर 2014 के अंक मे छपा हैं |

गुरुवार, 19 सितंबर 2024

वक्री ग्रह व विवाह सुख

 

भारतीय ज्योतिष में विवाह सप्तम भाव से देखा जाता है । सप्तम भाव जहां जीवन साथी हेतु देखा जाता है वहीं उसके स्वामी की स्थिति, उसका लग्नेश के साथ संबंध और इन सबसे ऊपर शुक्र (भोगकारक) ग्रह की स्थिति का आकलन सही प्रकार से किया जाए तो वैवाहिक जीवन का पूर्ण अस्तित्व जाना जा सकता है ।

आजकल के भौतिकवादी जीवन में विवाह एवं वैवाहिक जीवन एक समस्या के रूप में देखा जा रहा है । कोई विवाह न होने से परेशान है, कोई वैवाहिक जीवन में क्लेश व तनाव के कारण परेशान है । इस लेख में ऐसे ही कुछ तथ्य जानने का प्रयास किया गया है जिससे वैवाहिक जीवन दुखमय हो जाता है अथवा नष्ट हो जाता है । इस लेख में लगभग 500 कुंडलियों का अध्ययन कर कुछ इस प्रकार के तथ्य पाए गए ।

1. जब भी लग्न, लग्नेश, सप्तम, सप्तमेश वक्री ग्रह से संबंधित होते हैं वैवाहिक सुख में परेशानी अवश्य होती है |

2. शुक्र ग्रह जब वक्री ग्रह के प्रभाव में होता है तब भी वैवाहिक जीवन सामान्य नहीं रहता है |

3. लग्न, सप्तम में यदि वक्री ग्रह का प्रभाव हो तो जातक विशेष का विवाह नहीं होता अथवा संबंध विच्छेद हो जाता है ।

आइए अब कुछ कुंडलियों का अध्ययन करते हैं |

1. 10.7.1935 00:40 बनगाव, मेष लग्न की इस पत्रिका के जातक को उसकी पत्नी विवाह के 7 माह बाद छोड़कर चली गई तथा अपने अंतिम समय में इनके अन्य धर्म की स्त्री से संबंध बने । इनकी पत्रिका में शुक्र पर शनि (व) की दृष्टि है तथा गुरु (व) सप्तम भाव में है ।

2. 26.7.1941 23:55 शिलांग, वृषभ लग्न में जन्मे इस जातक की पत्नी इन्हें छोड़कर चली गई तथा इन्हें उसे अपने वेतन में से हिस्सा देना पड़ा । पत्रिका में सप्तमेश मंगल राहु-केतु अक्ष पर है ।

3. 29.12.1942 18:05 भूरेवाल, मिथुन लग्न में जन्मे अभिनेता राजेश खन्ना की पत्रिका में लग्न में गुरु वक्री होकर स्थित है । इनके वैवाहिक जीवन के विषय में सब जानते ही हैं ।

4. 19.11.1917 23:15 इलाहाबाद, कर्क लग्न में जन्मी श्रीमती इंदिरा गांधी का वैवाहिक जीवन प्रेम विवाह होने के बाद भी विवादित व अल्प ही रहा, शुक्र, राहु-केतु अक्ष में है ।

5. 21.7.1952 8:19 अलीगढ़, सिंह लग्न में जन्मी इस जातिका का विवाह मात्र 10 घंटे बाद ही इसके घरवालों ने तोड़ दिया जब उन्हें पता चला कि इसका पति गूंगा व बहरा है । इसकी पत्रिका में लग्नेश सूर्य व योगकारक शुक्र दोनों राहु-केतु अक्ष में है ।

 


6. 5.1.1913 00:05 मथुरा कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का पति विवाह के 4 वर्ष बाद गुजर गया जब यह मात्र चौदह वर्ष की थी । बाल विवाह होने के कारण इन्होंने अपनी ससुराल भी नहीं देखी थी । इनकी पत्रिका में शुक्र (योगकारक) वक्री शनि द्वारा दृष्ट है तथा राहु-केतु अक्ष पर भी है ।

7. 28.5.1939 16:10 आगरा, तुला लग्न में जन्मी इस जातिका को विवाह के दो माह बाद मात्र 17 वर्ष की आयु में तलाक दे दिया गया । पत्रिका में लग्नेश शुक्र केतु संग है तथा राहु-केतु अक्ष पर भी है ।

8. 23.11.1926 5:50 पुत्तपर्थी, वृश्चिक लग्न में जन्मे श्री पुट्टपर्थी साईंबाबा ने संन्यास की वजह से विवाह नहीं किया । पत्रिका में लग्नेश मंगल वक्री अवस्था में है तथा लग्न में बुध वक्री होकर स्थित है ।

9. 23.11.1975 9:00 दिल्ली, धनु लग्न में जन्मी इस जातिका को दो वर्ष बाद तलाक दे दिया गया । पत्रिका में मंगल वक्री अवस्था में सप्तम भाव में स्थित है ।

10. 3.8.1944 18:30 मदुरै, मकर लग्न में जन्मे इस जातक को हृदय में सूजन के चलते पत्नी होते हुए भी वैवाहिक सुख से वंचित रहना पड़ा । इनकी पत्रिका में शुक्र सप्तम भाव में राहु संग स्थित है जिसने स्त्री सुख में ग्रहण का कार्य किया |

11. 13.7.1838 21:30 जयपुर, कुंभ लग्न में जन्मे इस रियासती राजा ने संतान प्राप्ति हेतु 6 विवाह किए परंतु नपुंसकता के चलते संतान नहीं हुई । पत्रिका में लग्नेश शनि वक्री होकर शुक्र पर दृष्टि दे रहा है ।

12. 5.9.1967 19:40 अलमोडा, मीन लग्न में जन्मे इस क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर का अपनी पत्नी से तलाक का केस चल रहा था तथा अन्य स्त्री से संबंध थे जिसकी इन्होंने हत्या कर स्वयं भी आत्महत्या कर ली थी । इनकी पत्रिका में शनि वक्री होकर लग्न में है तथा योगकारक शुक्र भी वक्री है ।

उपरोक्त सभी कुंडलियां प्रदर्शित की गई हैं अन्य उदाहरण इस प्रकार से हैं :

13. 26.7.1939, 00.50, लखनऊ मेष लग्न पहली पत्नी के गुजरने के बाद दूसरा विवाह किया लग्नेश वक्री है तथा राहु-केतु अक्ष भी है ।

14. 13.11.1902, 17.30, मेरठ: मेष लग्न पत्नी छोड़कर निम्न स्त्री संग रहने लगे । शुक्र राहु संग सप्तम भाव में है |

15. 2.10.1951, 19.40, हापुड़ मेष लग्न, आयु में 17 वर्ष बड़ा पति होने से वैचारिक मतभेद के कारण 1 वर्ष बाद मायके में रहने लगी, पत्रिका में सप्तमेश शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

16. 10.2.1936, 3.30, बनारस वृश्चिक लग्न में जन्मी इस जातिका ने पति के कटु व्यवहार के चलते आत्महत्या कर ली थी इनकी पत्रिका में शुक्र राहु-केतु अक्ष पर है ।

17. 9.3.1969, 19.00, दिल्ली कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का दो माह में तलाक हो गया पत्रिका में राहु केतु के अलावा लग्न में वक्री गुरु है ।

18. 23.2.1952, 9.20, इलाहाबाद मीन लग्न इस जातक का दूसरे वर्ष तलाक हुआ । वक्री शनि सप्तम भाव में है |

19. 10.12.1989, 12.35, आगरा कुंभ लग्न में जन्मी इस जातिका ने अपने से 15 वर्ष बड़े व्यक्ति से विवाह किया जिससे इसके पिता ने इसके पति पर यौन शोषण का आरोप लगा उसे जेल करवा दी, इसकी पत्रिका में शुक्र राहु-केतु अक्ष पर है ।

20. 14.5.1955, 9.00, जम्मु मिथुन लग्न में जन्मी इस जातिका का पति विवाह के 3 वर्ष बाद गुजर गया । इनकी पत्रिका में राहु-केतु अक्ष के अतिरिक्त वक्री शनि की सप्तम भाव पर दृष्टि भी है |


21. 12.1.1967, 8.50, मेरठ: मकर लग्न, विवाह नहीं हुआ सप्तम भाव में वक्री गुरु है ।

22. 29.7.1933, 7.00, गाजियाबाद कर्क लग्न विवाह नहीं हुआ । सप्तमेश वक्री होकर सप्तम भाव में ही है ।

23. 4.1.1965, 3.30, मेरठ तुला लग्न एक वर्ष में तलाक हुआ सप्तम भाव में वक्री गुरु है ।

24.11.7.1895, 12.20, दिल्ली कन्या लग्न में जन्मे इस जातक का विवाह नहीं हुआ था । पत्रिका में लग्नेश बुध वक्री है तथा शुक्र भी केतु संग है ।

25. 12.8.1932, 10.20, फरीदाबाद कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का पति नपुंसकता के चलते संबंध बनाने में असमर्थ था । इनकी पत्रिका में लग्नेश बुध वक्री है तथा सप्तमेश गुरु राहु-केतु अक्ष में है ।

26. 14.4.1937, 19.10, दिल्ली तुला लग्न में जन्मी इस जातिका में 37 वर्ष की आयु में बड़ी उम्र के विधुर से विवाह किया । दाम्पत्य सुख नाम मात्र रहा । पत्रिका में शुक्र वक्री होकर सप्तम भाव में है ।

27. 5.3.1924, 10.03, हैदराबाद मेष लग्न में जन्मे इस जातक ने अंतर्जातीय प्रेम विवाह किया जिससे इसके घरवालों ने इसे पत्नी समेत घर से बेदखल कर दिया । पत्रिका में शनि वक्री होकर सप्तम भाव में है ।

28. 5.11.1986, 12.00, हैदराबाद मकर लग्न में जन्मी सानिया मिर्जा ने जब प्रेम विवाह किया तब इनके पति पूर्व विवाह होने के कारण अच्छा खासा विवाद हुआ इनकी पत्रिका में शुक्र वक्री है ।

29. 12.10.1977, 6.00, छपरा कन्या लग्न में जन्मी इस जातिका का अंतर्जातीय प्रेम विवाह असफल रहा । लग्न व शुक्र राहु-केतु के अक्ष में है ।

30. 12.5.1976, 18.30, आगरा तुला लग्न तलाक हुआ । लग्नेश शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

31. 11.5.1985, 16.00, मथुरा: कन्या लग्न । तलाक हुआ | लग्नेश बुध राहु संग है ।

32. 22.12.1974, 11:00, दिल्ली कुंभ लग्न । तलाक हुआ । लग्नेश शनि वक्री होकर शुक्र को देख रहा है |

33. 11.1.1971, 2.25, कलकत्ता तुला लग्न । मुकदमा चल रहा है । सप्तम में वक्री शनि है ।

34. 7.9.1980, 8.30, हरिद्वार: कन्या लग्न । तलाक हुआ । शुक्र राहु संग है ।

35. 15.10.1965, 6.30, दिल्ली कन्या लग्न । तलाक हुआ । शुक्र राहु-केतु अक्ष में है ।

36. 21.10.1955, 22.30, दिल्ली मिथुन लग्न । तीन दिन में अलग हुए । लग्नेश बुध वक्री है ।

37. 7.10.1965, 18.45, दिल्ली मेष लग्न । तलाक हुआ | शुक्र राहु-केतु अक्ष पर वक्री शनि से दृष्ट है ।

38. 27.1.1958, 7.00, गाजियाबाद मकर लग्न । दो दो विवाह हुए । शुक्र लग्न में वक्री है ।

39. 23.11.1970, 7.10, आगरा वृश्चिक लग्न की इस स्त्री का 42 वर्ष तक विवाह नहीं हुआ । सप्तमेश शुक्र वक्री है ।

40. 24.8.1969, 5.00, देहरादून कर्क लग्न । विवाह नहीं हुआ है । सप्तमेश शनि वक्री है ।


41. 26.7.1972, 12.10, लखनऊ तुला लग्न विवाह नहीं हुआ है । वक्री गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि तथा सप्तमेश मंगल वक्री बुध के संग स्थित है |

42. 26.7.1972, 4.00, मेरठ मिथुन लग्न की स्त्री, विवाह 42 वर्ष तक नहीं | लग्नेश-सप्तमेश दोनों वक्री हैं तथा सप्तमेश सप्तम में ही है |

43. 26.12.1956, 19.30, दिल्ली कर्क लग्न में जन्मे इस जातक की पहली पत्नी गुजर गई तथा इन्होंने दूसरा विवाह किया । इनकी पत्रिका में शनि (सप्तमेश) व शुक्र राहु के साथ है ।

44. 1.11.1935, 6.10, बनारस तुला लग्न में जन्मे इस जातक की पहली पत्नी गुजर गई । इन्होंने चार वर्ष बाद दूसरा विवाह किया । इनकी पत्रिका में वक्री शनि की सप्तम भाव व शुक्र पर दृष्टि है ।

45. 16.10.1952, 6.25, पुणा कन्या लग्न के इस जातक के भी दो विवाह हुए । सप्तमेश गुरु वक्री है ।

46. 7.11.1976, 19.50 कलकत्ता वृषभ लग्न में जन्मी इस जातिका ने प्रेम विवाह किया परंतु इनके पति ने इन्हें चार माह बाद पारिवारिक दबाव के कारण छोड़ दिया । इनका गुरु लग्न में वक्री है ।

47. 23.2.1981, 19.40, रायपुर: मिथुन लग्न में जन्मी इस स्त्री का तलाक हो गया, पत्रिका में लग्नेश-सप्तमेश दोनों वक्री हैं ।.

48. 23.10.1962, 1.00, हुगली कर्क लग्न में जन्मे इस जातक की पत्नी से अन्य व्यक्ति का सबंध रहे । जिस कारण इन्होंने उसे छोड़ दिया । इनकी पत्रिका में गुरु (वक्री) अष्टम भाव में है तथा शनि सप्तमेश केतु के साथ है ।

49. 9.10.1976, 1.10, मुम्बई कर्क लग्न में जन्मी यह जातिका अपने विद्यार्थी जीवन में किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रही | बाद में पिता ने जबरदस्ती किसी अन्य से विवाह करवाया परंतु इन्होंने पति को छोड़ दिया । इनकी पत्रिका में गुरु (वक्री) की सप्तम भाव पर दृष्टि है तथा शुक्र राहु संग है ।

50. 31.5.1970, 13.10, दिल्ली सिंह लग्न में जन्मे इस जातक का विवाह 1998 में हुआ,शारीरिक अक्षमता के कारण जातक विवाह संबंध बनाने में असमर्थ था । पत्नी तीन माह बाद मायके चली गई तथा उसने इन पर दहेज संबंधी मुकदमा कर दिया मामला विचाराधीन है । इनकी पत्रिका में राहु-केतु अक्ष के अतिरिक्त गुरु (व) की सप्तम भाव पर दृष्टि है |

51)29/7/1996 16:01 जयपुर वृश्चिक लग्न वक्री शनि की सप्तम भाव मे दृस्टी हैं | 

52)24/2/1995 11:05 जयपुर वृष लग्न सप्तमेश वक्री हैं इन दोनों का 15/11/2021 मे तलाक हुआ |

53)8/3/1980 7:30 जयपुर मीन लग्न सप्तमेश वक्री सप्तम भाव मे शनि वक्री हैं 2/11/2006 को विवाह हुआ तथा 17/12/2006 को तलाक हुआ |

निष्कर्ष : इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि विवाह के अवयवों लग्न-लग्नेश, सप्तम-सप्तमेश व कारक शुक्र पर वक्री ग्रहों का प्रभाव वैवाहिक जीवन में अशुभता अवश्य प्रदान करता है । यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि विवाह विच्छेद होने के और भी कई कारण हो सकते हैं परंतु उनमें से एक कारण वक्री ग्रहों का प्रभाव अवश्य हो सकता है |