सोमवार, 4 जुलाई 2022

भारत में वर्षा एवं वायु के योग 2022


सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है जो कि संभवत जून – जुलाई महीने में होता है लगभग उसी समय भारत के विभिन्न प्रांतों में वर्षा का आगमन माना जाता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्षा,वायुमंडल,समुद्री तूफान एवं चक्रवात जैसी प्राकृतिक घटनाओं का विचार भी सूर्य के आर्द्रा प्रवेश,रोहिणी निवास एवं गोचर ग्रह स्थिति पर निर्भर करता है | अत: सर्वप्रथम सूर्य के आर्द्रा प्रवेश कालीन कुंडली के आधार पर विचार किया जाना चाहिए |

इस वर्ष सन् 2022 में सूर्य ने 22 जून 2022 को दिन में 11:41 मिनट पर जब चंद्रमा मीन राशि में था आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश किया जिस समय सिंह लग्न था | सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश कालीन ग्रहों की स्थिति इस प्रकार से थी |

लग्न सिंह,तीसरे भाव में केतु,सातवें भाव में शनि,आठवे भाव मे गुरु चंद्र मंगल,नवे भाव में राहु,दसवे भाव में बुध शुक्र,ग्यारहवें भाव में मिथुन राशि का सूर्य था |

आर्द्रा प्रवेश के समय स्वराशि के गुरु के साथ चंद्र मंगल की युति है | शनि सप्तम भाव में स्वराशि का होकर राहु पर दृष्टि डाल रहा है और शुक्र स्वराशि का होकर बुध के साथ बैठा है | अतः जून से अक्टूबर के मध्य तक अनेक प्रांतों में भयंकर बाढ़ वर्षा से जनधन हानि के योग बन रहे हैं,लेकिन अनेक प्रान्तों में पेयजल की समस्या एवं वर्षा के प्रभाव से दुर्भिक्ष की स्थिति भी बनेगी, क्योंकि सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश दिन में 11 बजकर 41 मि पर हो रहा है, अत : " दिवाद्रो याति चेदुभानुर्जल – क्षणकारकः । "

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश नवमी तिथि को होने से किसी विशेष महामारी आदि से जनता को भारी आपदा का सामना करना पड़ेगा |

वहि वेदाष्ट्र नन्देन्द्रा एतत् संख्यासु भास्करः ।

तिथिष्वाद्रां यदा याति कष्टदः शेषके शुभः ।।

आर्द्रा प्रवेशकालीन ग्रहस्थिति के अनुसार शनि की मेषस्थ राहु एवं मंगल की मिथुनस्थ सूर्य पर विशेष दृष्टि होने से सरकार को पर्यावरण कन्ट्रोल करने एवं जन जीवनोपयोगी वस्तुओं की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास करने होंगे ।

गोचर ग्रहस्थिति के अनुसार विश्व के कुछ भूभाग में विशेषत: भारत के बिहार, महाराष्ट्र, उ.खण्ड आदि में जुलाई से अक्तू . के मध्य तक भूकम्प, तूफान किंवा जलप्रलय से हानि के योग हैं । यह संवत् देश की जलवायु एवं प्राकृतिक प्रकोप से चिन्तनीय ही है ।

इस वर्ष शनि की दृष्टि ( शनि के मकर - कुम्भ में रहने से ) उत्तर दिशा की तरफ ही रहेगी । फलस्वरूप, संवत् 2079 वि . में उत्तरी गोलार्द्ध में जलाप्लाव,तूफान, भूकम्प हिंसा, साम्प्रदायिक दंगे,राजनैतिक हत्याकाण्डों से अनेकत्र दुर्भिक्ष की स्थिति से जनजीवन क्षुब्द रहे । गोचर ग्रहस्थिति के अनुसार अप्रैल 2022 से जुलाई 2022 तक शनि - मंगल की स्थिति विश्व में भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनेगी । इन दिनों भूकम्प समुद्री तूफान बाढ़,आकाशीय बिजली गिरने से अनेक हानि होगी |

इस संवत् में ' रोहिणी का वास पर्वत पर होने से कुछ प्रान्तों में असामयिक वर्षा होने वर्षा की कमी होने से भयंकर अकाल की स्थिति बनेगी,खड़ी फासले सुख जाएगी |

रोहिणीनाम नक्षत्र पर्वतस्थं यदा भवेत् ।

वृष्टिहानिस्तदा ज्ञेया सर्वसस्य - विनाशनम् ॥



शर- सस्यजातक कुण्डली में सूर्य से द्वादशस्थ राहु एवं शनियुत मंगल की सूर्य पर दृष्टि होने से भी कुछ प्राप्त अतिवर्षण अथवा अवर्षण से ग्रस्त रहें । शनि - मंगल को स्थिति पर विचार करने से पता चलता है कि की पश्चिमी एवं दक्षिणी में आदि प्राकृतिक आपदाओं से हानि होगी

ग्रीष्म - सस्यजातक ग्रहस्थिति के अनुसार मकरस्थ शनि का चन्द्र के साथ षडाष्टक एवं मंगल की चन्द्र पर विशेष दृष्टि कहीं बाढ़,वर्षा,पर्वतीय भूभाग पर अग्नि कांड आदि प्राकृतिक आपदा का संकेत देती है ।

संवत् प्रवेशकालीन ग्रहस्थिति के अनुसार - गुरु - शुक्र दोनों विरुद्ध प्रकृति के ग्रह कुम्भस्थ होने से इस वर्ष वर्षा से हानि के योग भी हैं |

संवत प्रवेश के समय शनि मंगल का जुलाई तक कुम्भ राशि मे होना भी इस वर्ष जलवायु व प्रकृतिक आपदा से कष्ट होते रहेंगे बता रहे हैं |

इस संवत् का राजा शनि होने से भयंकर वायुवेग अथवा तूफान से हानिकारक भी रहेगा । इस संवत् का मेघेश बुध शुभ है, विदेशों में व्यापारिक सम्बन्ध बगे । नवमेघविचार से तम' नामक मेघ होने में अनेकत्र वर्षा पानी पर्याप्त न होने से खाद्यान्न पर्याप्त मात्रा में नहीं होंगे | सप्तवायु - विचार से इस वर्ष वायुवेग से आकाशीय बिजली, भयंकर बवंडर या समुद्री तूफानों से मई से सितम्बर के मध्य किसी प्रान्तविशेष एवं किसी देश विशेष में भारी जन धन हानि के योग है क्योंकि अतिवह' नामक वायु हानिप्रद होती है ।

इस संवत में 'महाप' नामक अष्टनाग एवं नन्दसारी; मक नाभी महावृष्टि एवं कुछ प्रान्तों में दुर्भिक्ष का कारण बनेगा "महापद्ये महावृष्टियंत्र तत्र दुर्भिक्षकम् ।

यत्र वर्षे नागराजो नन्दसायभिधानकः ।

तस्मिन् वर्षे महावृष्टिं कुरुते नात्र संशयः । "

इस संवत का वाहन 'भैसा होने से अनेकत्र पेयजल की समस्या सरकार के सामने प्रश्नचिंड खड़ा करेगी | अतः भूकम्प किंवा वर्षा के अभाव आदि से जनता कुछ प्रांतों में परेशान भी रहेगी ।

संवत् 2079 में जलस्तम्भ एवं वायुस्तम्भ भी महत्त्वपूर्ण हैं । इस वर्ष जलस्तम्भ 97.4 प्रतिशत है, अत: बिहार,  उत्तराखण्ड, बंगाल, केरल, असम, महाराष्ट्र एवं उ प्रदेश के कुछ भागों में कहीं भयंकर वर्षा (बा), समुद्री तूफान, आदि प्रकृतिक आपदाओ से जन धन हानी संभव है । सामान्य से  ज़्यादा बारिश भी हानी प्रदान करती हैं जिससे भारत के पड़ोसी देश भी प्रभावित हो सकते हैं |

वायुस्तंभ संवत 2079 में वायुस्तम्भ 35॰3 प्रतिशत होने से कमजोर है अतः वायु प्रदूषण पूरे देश में संकट की आहट देता है कहीं भारी वायुवेग से काही कोयले के प्रयोग से,उद्योगों के कारण,कहीं बायोमास जलाने से,कहीं जमीन के मरुस्थल में बदलने से संकट सामने आएगा |

न सभी आपदाओं से बचने के लिए वेदों एवं अन्य शास्त्रों में उपाय बताएं हैं जोकि बहुत ही सुगम एवं महत्त्वपूर्ण है ।

मानव समाज प्राचीन काल से ही वृक्षों की पूजा करता आया है । बरगद , पीपल , आम , नीम , तुलसी , हरड़ , बहेड़ा , आंवला आदि का प्रयोग सदियों से औषध रूप में भारत में प्रचलित है । इनका रोपण एवं वनों के संरक्षण से वर्षा वायु की विशुद्धि एवं सुचारु प्रयोग से हम पर्यावरण की रक्षा एवं जीवन्त रहने का स्वप्न साकार कर सकते हैं । शास्त्रों में लिखा है

"तुलसी - गन्धमादाय यत्र गच्छति मारुतः ।

दिशा दशश्च पूताः स्युर्भूत ग्रामश्चतुर्विधः ।।

अतः तुलसी की पवित्र सुगन्धि एवं इसी प्रकार अन्य वृक्षों के संरक्षण से हम वर्षा वायु का नियन्त्रण करके जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं, अन्यथा अनियन्त्रित वर्षा किंवा गर्म हवाओं का प्रकोप संसार के लिए भारी पड़ सकता है ।

अब संवत् 2079 की ग्रहस्थिति के अनुसार भारत में प्रत्येक मास का वर्षा विचार संक्षेप मे समझते हैं |

जुलाई 2.5.6.9 10 एवं 13 से 20 जुलाई  24, 27, 28, 29 एवं 31 जुलाई के मध्य भारत के राजस्थान, उड़ीसा, आसाम, उत्तराखण्ड, हि.प्र, बिहार,महाराष्ट्र एवं अन्य समुद्र के इलाकों में कहीं तूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोप से जनधनहानि भी संभव है ।

ध्यान रखे - 2.5.9.10 एवं 13 जुलाई को कुछ प्रान्तों में भारी बाढ़ एवं आकाशीय बिजली गिरने से हानि संभव है ।

अगस्त - अगस्त 3 , 5 , 6 , 8 , 9 , 11 , 15 , 17 , 18 , 20 , 21 , 25 एवं 27 से 31 अगस्त तक पंजाब, हि.प्र,उ.खण्ड, उ.प्र महाराष्ट्र, कश्मीर, नेपाल,बिहार, दाजॉलिंग एवं आसाम में जोरदार वर्षा के योग हैं । कहीं भयंकर जोरदार वर्षा/बाढ़, तूफान आदि प्राकृतिक प्रकोप किंवा आकाशीय बिजली गिरने से जनधनहानि के योग हैं । शनि - गुरु का वक्रत्वकाल कहीं दुर्भिक्ष की स्थिति भी बनाएगा ।

सितम्बर - सितम्बर 8 से 11 13 , 16 , 17 19 , 21 , 23 , 24 एवं 27. 30 सितम्बर के लगभग भारत के उत्तर - पश्चिमी क्षेत्रों में बादलचाल एवं वायुवेग के साथ अनेकत्र खण्डवृष्टि होगी । हि.प्र.कश्मीर एवं उत्तराखण्ड के उन्नत शिखरो पर कहीं हिमपात के समाचार मिलेंगे ।

शनि मंगल का नवमपंचम एवं शु.बु.गु. के वक्रत्वकाल में शीत का प्रभाव बढ़ेगा एवं प्राकृतिक आपदा व जलवायुविकार से हानि का भय है ।

अक्तूबर - अक्तू. 1,2,9, 10, 15  विशेषत: 12 से 24 अक्तूबर एवं 26 . 27. 30 अक्तूबर को श्रीलंका, आसाम, बंगाल, उ. प्रदेश, कश्मीर, हि.प्र., बंगाल एवं उत्तराखण्ड आदि में बादल चाल एवं वर्षा के योग हैं । उत्तरी भारत में शरद् ऋतु का प्रभाव बढ़ेगा, हिमाचली इलाकों में कहीं बर्फबारी भी होगी । लगभग 18 अक्तू. के बाद सूसूर्य शुक्र केतू पर शनि एवं राहु को दृष्टि कहीं भूकम्प, अग्रिकाण्ड एवं कहीं दुर्भिक्ष की स्थिति का संकेत देती है ।

नवम्बर - नवंबर 3 , 5 , 6 एवं 8 से 16 नवं तक व 16 , 17 , 19 , 20 , किञ्च 24 से 26 नवं के मध्य उत्तरी भारत भयंकर शीत लहर की चपेट में रहेगा । हि.प्र., उत्तराखण्ड कश्मीर आदि में जोरदार हिमपात से यातायात अवरुद्ध रहेगा एवं मैदानी इलाकों में धुन्ध के कारण दुर्घटनाएं भी संभव हैं । नोट - 5 नवं. के लगभग मंगल वक्री होगा । कार्तिक में शुक्र - सूर्य विशाखा नक्षत्र में आ रहे हैं, 8 नवं को ग्रस्तीदित चन्द्रग्रहण भी घटित होगा । ये सभी आकाशीय घटनाएं इस मास में किसी प्राकृतिक प्रकोप भयंकर वायुवेग किंवा भयंकर शीत से जनता   के परेशानी कारक रहेगी |

दिसम्बर - दिसम्बर 2.4,5,6 , 11 एवं 16 से 19 दिसम्बर तक किज्य 22 . 23, 24 दिसम्बर तथा 26 से 30 दिसम्बर के मध्य उ॰ भारत में जोरदार शीत लहर रहेगी । पर्वतीय भूभाग भारी बर्फबारी के कारण हिमाच्छादित रहें । धुन्ध से यातायात बाधित हो एवं कुछ भागों में वायुवेग से खण्डवृष्टि भी संभव है ।

जनवरी (सन् 2023 ई) - शुक्र शनि मकर राशि में हैं । जन के पूर्वार्ध में शनि - सूर्य एवं शुक्र का मकर में रहना कहाँ दुर्भिक्ष का कारण बनेगा । कहीं अतिवर्षण वर्षा के अभाव से अथवा भयंकर वायुवेग ( तूफान ) से हानि के योग भी हैं । जनवरी के उत्तरार्ध में 18 जन के लगभग कुम्भस्थ शनि की राहु पर दृष्टि प्राकृतिक प्रकोप से हानिकारक रहे ।

जन . 1 से 6 तक एवं 10 , 11 , 13 , 14 , 15 , 16 , 1819 से लगभग , किंवा 22 , 23 , 24 , 27 एवं 30 जनवरी के लगभग भारत में शीत , पर्वतीय प्रान्तों एवं उ भा . में भी कहीं बादलचाल , वायुवेग से खण्डवृष्टि भी हो ।

फरवरी (सन् 2023) - फर 4 से 8 एवं 13 से 20 फरवरी तक हवा का जोर रहेगा 23 , 24 , 27 फरवरी के मध्य श्रीलंका के पूर्वी छोर , शिलांग व कुछ अन्य भागों में बादलचाल व बूंदाबांदी होगी । उत्तरी भारत में हवा का जोर रहेगा । वसन्त ऋतु के आगमन से मौसम में परिवर्तन अनुभव होगा । जलवायु विचार से मौसम सुहावना रहेगा । 15 फर के लगभग गुरु - शुक्र का मीन राशि में योग अकालिक वर्षा किंवा कहीं राजनैतिक / साम्प्रदायिक उपद्रव करे |

" गुरु - शुक्रौ यदैकस्थौ नरयुद्धं तदा भवेत् ।

अकाले का भवेद्वृष्टिर्जगत्यां नात्र संशयः ।। "

मार्च (सन् 2023) - 1 से 6 एवं 10 से 18 मार्च तक म.प्र . बंगाल एवं आसाम आदि में कहीं बादल चाल व बूंदाबांदी होगी । उत्तरी भारत में वायुवेग के साथ गर्यो अनुभव होने लगेगी । मार्च में शनि सूर्य बुध तीनों मकर मे होने से कहीं प्रकृतिक आपदा व रोगविशेष से धन हानी संभव हैं |

 

 

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