गुरुवार, 7 जुलाई 2022

क्या 12वे स्थान का केतु मोक्ष देता है ?

मूल लेखक -श्री अश्विन रावल 

क्या कुंडली के 12वे स्थान का केतु सच में मोक्ष देता है ? बहुत सारे ज्योतिषी ऐसा स्टेटमेंट दे देते हैं कि भाई आपकी कुंडली में तो 12वे स्थान में केतु बैठा है तो आपका तो यह लास्ट जन्म है ।  बहुत गलत सोच है यह । मोक्ष इतना सरल नहीं है । आज हम इसके बारे में थोड़ी सी चर्चा करेंगे ।

केतु क्या है केतु डिटैचमेंट देता है । संबंधों को काट देता है । जिसके साथ हमारा ज्यादा लगाव होता है उसको दूर कर देता है ।  रिलेशन तुड़वा देता है । और इसका संबंध खास करके पिछले जन्मों के पाप कर्म स्वरूप ही होता है ।  केतु का काम धरती पर जन्मे इंसान को ईश्वर की और ले जाने का होता है । 

केतु का निवास सहस्त्रार चक्र यानी क्राउन चक्र के ऊपर है और राहु का निवास मूलाधार चक्र के उपर है जहां से वासना पैदा होती है तो राहु का काम इच्छाओं को, वासनाओं को भड़काने का होता है जबकि केतु का काम इंसान को इन सब बातों से दूर ले जाने का है । संसार में सार नहीं हैकोई किसी का नहीं, यह झूठे नाते हैं ऐसा समझाना है ।  इस दुनिया में प्यार व्यार सब अच्छे समय का खेल है, सब माया है यही सब दर्शन केतु करवाता है ।

और 12वा स्थान मृत्यु के बाद की गति का है इसीलिए जब केतु 12वे स्थान में बैठा होता है तब धीरे धीरे संसार की असारता मालूम होती है ।  पति या पत्नी से मेल नहीं होता । संबंधों में कड़वाहट होती जाती है और फिर इंसान धीरे धीरे अध्यात्म की ओरध्यानकी ओर आगे बढ़ जाता है । 

12वे केतु से मोक्ष नहीं मिलता लेकिन इंसान को अपने को, स्वयं को जानने का अवसर मिलता है । ईश्वर की तरफ आकर्षण होता जाता है । उसकी गति मोक्ष की ओर होती है । लेकिन यही जन्म लास्ट है यह मानना बिल्कुल गलत है । मोक्ष इतना सरल नहीं है ।

संत तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है |

 मम गुण गावत पुलक शरीरा |

गदगद गिरा नयन बहु नीरा | |

मतलब मेरे स्मरण मात्र से जब रोम रोम जब रोम रोम पुलकित हो उठता है वाणी गदगद हो जाती है और आंखों से आंसू बहने लगते हैं | तब जानना चाहिए कि ईश्वर का साक्षात्कार अब नजदीक है यह अवस्था होती है तब मोक्ष के द्वार खुलते हैं इंसान ध्यान में मगन रहता है कभी-कभी समाधि तक भी पहुंच जाता है तब वह मोक्ष के करीब होता है ऐसा हम कह सकते हैं लेकिन सिर्फ 12वे केतु से मोक्ष कहना ठीक नहीं है |

बारहवे स्थान का केतु पति या पत्नी से अच्छा सुख नहीं देता जीवन में सच्चा प्यार रोमांस वगैरह नहीं मिलता और धीरे-धीरे इन सब सुखो से मन उठ जाता है जिंदगी थोड़ी सूखी सी हो जाती है |

सूर्य के साथ केतु पिता का अच्छा सुख नहीं देता और लड़कियों की कुंडली में कुछ उम्र के बाद पति से ज्यादा प्यार नहीं दिलाता शादी के बाद ज्यादा समझौता करना पड़ता है |

चंद्र के साथ केतु बचपन से ही अलगाव देता है और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ा देता है स्वभाव थोड़ा गुस्सैल हो सकता है ऐसे लोग ज्यादा मिलना जुलना पसंद नहीं करते |

मंगल के साथ केतु भाई या बहन से कोई ना कोई तकलीफ देता ही है चर्म व रक्त के रोग भी होते हैं |

बुध के साथ केतु वाणी दोष देता है,मित्रों से बेवफाई मिलती है,मनोविज्ञानीक या न्यूरोलॉजिकल परेशानियां भी पैदा होती है |

गुरु के साथ केतु बेटे से बहुत तकलीफ में पैदा करता है या कभी - कभी बेटा होता ही नहीं है |

शुक्र के साथ केतु पति या पत्नी से हमेशा विरह ही देता है और उनसे एक दूसरे को सुख नहीं मिल पाता सहभागिता भी टूट जाती है |

शनि के साथ केतु आध्यात्मिकता जरूर देता है लेकिन बुढ़ापे में थोड़ी तकलीफ भी देता है हड्डियों की कोई ना कोई बीमारी अवश्य होती है |

ऊपर जो फल बताए हैं उनमें डिग्री का बहुत महत्व है मतलब कि किसी भी ग्रह के साथ केतु अगर 10 डिग्री के अंदर बैठा है या नवांश कुंडली मे एक साथ बैठा है तो अवश्य ही यह परिणाम देखने को मिलेंगे |

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