प्रस्तुत पुरुष जातक की मिथुन लग्न की पत्रिका
में दूसरे भाव में शनि,तीसरे में केतु,पांचवे में सूर्य-बुध,छठे में चंद्र,सातवें में शुक्र,आठवें
मंगल,नवे राहु और 12वे भाव में गुरु है जन्म समय गुरु की महादशा 7 महीने
व 15 दिन शेष थी |
नाड़ी सूत्रो के
अनुसार ऐसा लिखा गया हैं की जातक का पूर्वमुखी मकान मे मंदिर वाली गली
में जन्म हुआ होगा,जिसका पिता बहुत अच्छा,चौपाया जानवर रखनेवाला,स्वव्यवसाय करने वाला,बवासीर का रोगी तथा दूसरों की संपत्ति पर नजर रखने वाला होगा |
जातक के विषय मे
निम्न बातें कही गयी हैं की जातक स्वयं रोगी,पढ़ा-लिखा,बातूनी,वकील,गणितज्ञ अथवा गणित से कमाने
वाला,सहोदरों से दूर रहने वाला होगा जिसके नौ भाई बहन होंगे परंतु
दो भाई व चार बहनें ही जीवित रहेंगे | परिवार का 26 की उम्र में
बटवारा होगा इसका 22वे वर्ष में विवाह उत्तरी
दिशा की महिला से होगा जो दंतरोगी,सुंदर,कामुक व भाग्यवान होगी जिसके बाएं अंग में तिल होगा तथा उससे जातक के कुल
6 बच्चे होंगे जिनमे से एक लड़का व एक लड़की ही बचेंगे 4
बच्चों की मौत पिछले जन्म के बुरे कर्म के कारण हो
जाएगी जहां इसने बलात्कारी की मदद की थी तथा ब्राह्मण की जमीन घूस लेकर दूसरे ब्राह्मण को
दे दी थी |
इसकी पत्नी ने भी पूर्व जन्म
में गरीब बच्चों को दूध नहीं दिया था इस कारण संतान में दिक्कत आएगी जिसका निवारण इस जन्म मे रामेश्वरम जाकर समुद्र स्नानकर शिव पूजा करने तथा बच्चे
की स्वर्ण प्रतिमा,चंदन,फूल फल व कुछ धन समेत पंडित को दान करने से
फिर श्रीरंगम जाकर एकादशी व्रत करने से होगा |
जातक 20 वर्ष की आयु से धनी होने लगेगा,बहनों की संपत्ति भी पाएगा,नवे भाव में शनि
की राशि में राहु पिता गोरा कैसे हो सकता है परंतु शनि नवमेश पर मंगल की दृष्टि है
तथा शुक्र सूर्य से नवम भाव अर्थात लग्न को देख रहा है सूर्य से
चतुर्थ में मंगल तथा नवम भाव से चतुर्थ भाव में गुरु पिता का सुंदर मकान
वाला बताता हैं शनि राहू का 6/8 संबंध तथा नवमेष शनि पिता के भाव से छठे व मंगल से दृष्ट
है जिस कारण पिता बवासीर का रोगी होगा,शुक्र लग्न को
देख रहा है जिस कारण जातक स्वयं बड़ा आकर्षक होगा,चंद्र नीच छठे भाव में,शनि दूसरे भाव
में होने से वात रोगी भी होगा,चंद्र की दृष्टि
गुरु पर होने से इसका लीवर भी खराब होगा,उच्च का मंगल गुरु (सप्तमेश-दशमेश) द्वारा देखा जा रहा है जिससे जातक संपत्तिवान होगा,बुध त्रिकोण में होने से गणितज्ञ हो सकता हैं क्यूंकी सूर्य बुध की
युति गणित से जीवन यापन देती है,सूर्य से दशम
शनि सरकार से लाभ,शुक्र सप्तम भाव
में चंद्र मंगल से घिरा हुआ जातक को रसिया बता रहे हैं आठवें भाव का
मंगल व 3/9 में राहु-केतु सहोदरों
से अलग रहेगा,तीसरे भाव का
केतु होने से इसके सहोदरों की मृत्यु होगी,बुध-केतु दशा मे में 22वे वर्ष विवाह होगा क्यूंकी बुध लग्नेश व केतु सप्तमेश होकर सप्तम भाव को देख रहा है,3,7,11 भावो मे केतु नक्षत्र होने से पत्नी
को दंत रोग होगा |
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