सूर्य - राशि से तीसरा सूर्य पराक्रम बढ़ाता है |
राशि से चौथा
सूर्य मां को स्वास्थ हानि देता है |
राशि से छठा सूर्य
विजय दिलवाता है |
राशि से सप्तम
सूर्य ग्रह कलेश रहता है |
राशि से अष्टम
सूर्य चोट लगाता है |
सूर्य की जन्मकालीन स्थिति से नवे भाव में जब
पाप ग्रह गुजरे तो पिता को कष्ट
होता है |
मंगल - राशि से नवा मंगल भाग्यवृद्धि के साथ-साथ खर्चा भी कराता है |
राशि से दसवां
मंगल उग्रता बढ़ाता है |
राशि से 11 मंगल
स्वभाव में तेजी तथा वाणी में कटुता देता है
बुध - बुध जन्मकालीन स्थिति से चौथे भाव में जब
पाप ग्रह से गुजरता है तो मामा को कष्ट होता है ।
गुरु - राशि से पांचवा
गुरु संतान संबंधी चिंता देता है
राशि से छठा गुरु
आर्थिक दबाव बनाता है तथा चैन लेने नहीं देता |
राशि से बारहवें
भाव में गुरु वक्री हो तो लंबी यात्राएं कराता है
गुरु ( स्त्री की पत्रिका मे ) की जन्मकालीन स्थिति से सातवें भाव से जब पाप ग्रह गोचर करता है तो पति को कष्ट मिलता है ।
शुक्र - शुक्र की जन्मकालीन स्थिति
से सातवें भाव से पाप ग्रह गुजरे तो पत्नी को कष्ट होता है ।
शनि - राशि से छठा शनि यदि वक्री हो तो जातक शत्रु पर विजय प्राप्त करता है |
शनि की जन्मकालीन स्थिति से अष्टम भाव से
जब पाप ग्रह गोचर करता हैं तब जातक को कष्ट
मिलता है ।
राशि से 11वा शनि लाभ बढ़ाता है
राशि में मंगल
केतु का गोचर स्वभाव और गति में तेजी लाता है
राशि से चौथे
भाव में शुक्र राहु बार-बार भूमि वाहन में परिवर्तन करने की ओर प्रेरित करते हैं
राशि से सप्तम
गुरु और मंगल का गोचर ग्रह क्लेश करवाता है |
राशि से अष्टम
राहु पाचन तंत्र में विकार तथा राशि से सप्तम राहु पत्नी को इंफेक्शन की प्रॉब्लम देता
है ।
राशि से दसवां
राहु कामकाज में तिक्ड़मे लगाता है |
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