शनि का जन्मकालीन नक्षत्र में गोचर 3 माह 10 दिन
तक रहता है जातक के लिए जो नुकसानदायक अथवा हानि का समय होता है |
दूसरे तीसरे चौथे
और पांचवें नक्षत्र में शनि का गोचर 13 माह 10 दिन का होता हैं जो जातक के लिए युद्ध अथवा विजय
का होता है |
6 से 11वे नक्षत्र में शनि का गोचर 1 वर्ष 8 माह रहता है जो जातक को वात रोग देता हैं तथा देश से दूर लेकर जाता है |
12 से 15 वे नक्षत्र मे शनि का गोचर 13 माह 10 दिन का होता हैं जो जातक को
कष्ट
देता है |
16 से 18 नक्षत्र
मे शनि का गोचर 10 माह का होता हैं जो
जातक के लिए यश कारक समय होता हैं |
19-20 नक्षत्र मे शनि का गोचर 6 माह 20 दिन का होता हैं जो जातक हेतु सुखदायक समय होता हैं |
21-22 नक्षत्र मे शनि का गोचर 6 माह 20 दिन का होता हैं जो जातक को महाकष्ट और वात
रोग देता है |
23 से 27वे नक्षत्र मे शनि का गोचर 16 माह 20 दिन रहता हैं जो जातक को
धनधान्य का लाभ प्राप्त
कराता है |
शनि गोचर में
2,7,11 राशि मे तथा 3-6-11 भाव में अनुकूल फल देता है |
जन्म कुंडली में शनि
यदि 2,7,8 और 12 भाव में हो तो कष्ट
देता है जबकि 3,5,6,9,11 भाव में शुभ फल देता है
|
जन्म के चंद्र
से शनि का 45 डिग्री पूर्व तथा 45 डिग्री बाद तक का गोचर साढ़ेसाती कहलाता हैं |
यदि जन्म चंद्र 15 अंश से अधिक का हो तो साढ़ेसाती देर से लगती है
तथा देर से ही उतरती है |
जन्म राशि से
1,2,4,8,12 भाव से शनि का गोचर अशुभ फल देता है |
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