नित्य कर्म -रोज किए जाने वाले कर्म जो मन शरीर में प्राण की शुचिता शुद्धि व पर्यावरण
सुरक्षा हेतु किए जाते हैं |
नैमित्तिक कर्म
-विशेष कार्य क्षमता के लिए किए जाने वाले कर्म जैसे
पुंसवन कर्णछेदन व समस्त सोलह संस्कार |
काम्य कर्म -लौकिक पारलौकिक
कामना हेतु किए जाने वाले कर्म काम्य कर्म कहलाते हैं जैसे कि रुद्राभिषेक आदि |
निषिद्ध कर्म
-वर्जित कर्म जो समाज विरोधी होते हैं जैसे सगोत्रीय
विवाह |
प्रायश्चित कर्म
-पश्चाताप के रूप में किए जाने वाले कर्म जो ग्लानि व अपराध बोध से
किए जाते हैं |
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