ज्योतिष के
अधिकतर विद्वानों ने कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना
है परंतु सूर्य का कुंडली में अपना ही महत्व होता है | सूर्य को सभी ग्रहों में नैसर्गिक रूप से सबसे शक्तिशाली माना गया है बृहद जातक के अध्याय 2 में सूर्य को कालपुरुष
की आत्मा तथा चंद्र को कालपुरुष का मन माना गया है जिसके द्वारा इच्छाएं व आकांक्षाए जन्म लेती
हैं | सूर्य आत्मिक प्रकाश बताता है जिसकी सकारात्मकता से कुछ भी सृजन
कर पाया व बनाया जा सकता है इस सूर्य
को हमारी आत्मा को प्रभावित करने वाला,शक्तिमान तथा पुरुषत्व के आधार पर क्रूर माना गया
है जबकि मन को प्रभावित करने वाले चंद्र को स्त्रीत्व का गुण प्रदान करने के कारण शुभ
माना गया हैं | चंद्र के प्रभाव
को नदी की भांति निरंतर प्रवाह होने वाला तथा सूर्य के प्रभाव को कभी ना हार मानने
वाला,सभी परिस्थितियों पर नियंत्रण करने वाला व जीवन में एक नया
दृष्टिकोण देने वाला माना गया है | इस आधार पर यदि
हम कुंडली की विवेचना करें तो हम पाएंगे कि ऐसा व्यक्ति जो स्वयं पर नियंत्रण रख सकता है अपने भाग्य को भी नियंत्रित कर सकता है सूर्य प्रभाव वाला
हो सकता हैं अथवा ऐसा व्यक्ति जो बहुत ज्यादा संवेदनशील हो अपने आसपास होने वाली
हर गतिविधि को महसूस करता हो उस पर चंद्र का प्रभाव माना जा सकता है | किसी भी पत्रिका में इन सूर्य और चंद्र को विशेष तौर से देखा जाना चाहिए उसके बाद ही
अन्य ग्रहों को समझा व देखा जाना चाहिए इसके अतिरिक्त कुंडली में ग्रहों की स्थिति,दृष्टि,उनका स्थान तथा
उनकी अन्य वर्गों में स्थिति भी जातक विशेष को समझने में मदद करती है
| हमारे अनुभव में आता है कि जब आप एक विषय के
जानकार हो जाते हैं तभी आप दूसरे विषय पर पकड़ बना सकते हैं जब आप यह जान लेते हैं
कि व्यक्ति विशेष किस प्रकार के व्यक्तित्व व सोच को लेकर चल रहा है तब आपके
सामने उसकी एक एक तस्वीर स्पष्ट हो जाती है और उसके रास्ते में सफलता व असफलता का मार्ग
प्रशस्त हो जाता है |
कुंडली मे सबसे पहले हमें
सूर्य की स्थिति भाव अनुसार देखनी चाहिए जिस के विषय में विभिन्न राशि और भावों
में हमारे ज्योतिष विद्वानों ने बहुत सी बातें कही हैं वराहमिहिर रचित बृहदजातक,जातक पारिजात
तथा जातक कलानिधि जैसे शास्त्र बहुत सी जानकारियां प्रदान
करती हैं जिन्हें हम सशर्त मान तो सकते हैं परंतु क्योंकि यह बहुत ही प्राचीन
ग्रंथ हैं जिससे आज के संदर्भ में इनके द्वारा दिये फल सटीक नहीं बैठते
हैं जिसकी वजह से ज्योतिषकर्ता को कई बार कुछ बुरी स्थितियों का सामना भी करना
पड़ता हैं |
बृहद्जातक के 20 वें अध्याय में विभिन्न ग्रहों कि 12 भावों में स्थिति के विषय
में बताया गया है जातक पारिजात में आठवें अध्याय के 56 वे श्लोक में जो
लिखा है तथा जातक कला में सूर्य की स्थिति को किस प्रकार से दिया है वह सब हम यहां पर बता
रहे हैं |
बृहदजातक के अनुसार जिस
जातक के जन्म समय में सूर्य प्रथम भाव अथवा लग्न में होता है ऐसा व्यक्ति लड़ाई का
शौकीन,काम करने में सुस्त,क्षमा ना करने वाला कहा गया है परंतु यदि सूर्य उच्च का हो तो व्यक्ति धनवान,आंखों की बीमारी वाला होगा,यदि सिंह लग्न
हो और उसमें सूर्य हो तो वह रात में अंधा होगा,यदि तुला लग्न
हो और उसमें सूर्य हो तो व्यक्ति अंधा तथा गरीब होगा,यदि कर्क लग्न हो और उसमें सूर्य हो तो उसको आंखों से संबंधित कोई बीमारी होगी
|
जातक पारिजात
के अनुसार यदि सूर्य लग्न में हो तो जातक के कुछ पुत्र होते हैं जातक आसानी से अपना
जीवन जीता है,क्रूर प्रकृति
का होता है जिसकी आंखों में परेशानी होती रहती है,लड़ाई के मैदान में बहुत सी बातें बढ़ा-चढ़ाकर करने वाला होता है |
जातक कलानिधि के
अनुसार सूर्य प्रथम भाव में हो तो वह स्वास्थ्य शरीर वाला,पित्त
प्रकृति वाला,काली आंखें,अच्छे विचार,गरम शरीर,साहस तथा प्रसिद्धि का प्रतीक बनता है परंतु अनुभव में ऐसा देखने पर नहीं
आता |
जातक पारिजात मे जहां यह कहा गया है की लग्न मे सूर्य वाला
जातक लडाई का शौकीन तथा युद्ध भूमि में बाते बढ़ा चढ़ाकर बोलने वाला,साहसी होता हैं यह बातें आज के संदर्भ में लागू नहीं होती परंतु सभी विद्वान यह ज़रूर मानते हैं कि
उसे आंखों से संबंधित बीमारी अथवा अंधापन हो सकता है क्योंकि सूर्य को आंखों का
कारक विशेष तौर से दाएं आंख का कारक माना जाता है |
बृहद जातक कहा गया हैं की ऐसा जातक क्षमा ना करने वाला होता हैं जबकि जातक
पारिजात उसे क्रूर प्रकृति का कहता हैं यह भी तर्कसंगत नहीं लगता,जहां एक जगह काम में सुस्त लिखा गया है वही दूसरी और आसानी से जीवन
जीने वाला कहा गया है यह भी व्यवहारिक रूप से संभव नहीं दिखता हैं | आज के संदर्भ मे लड़ाई का शौकीन अर्थात नैतिक विचारों
वाला माना जा सकता है यह भी कहा जा
सकता है कि उस व्यक्ति के पास ऐसी शक्तियां होंगी जिससे लड़ने के लिए तत्पर रहेगा |
बृहज्जातक यह
भी बताता है कि सूर्य की राशि का भी बहुत महत्व होगा जब वह मेष में
होगा तो वह अमीरी देगा परंतु तुला पर होने पर गरीबी प्रदान करेगा इसमें जातक के सम्मानित
होने के विषय में बताया गया है ना कि उसके चरित्रवान होने के
विषय में बताया गया है | इस आधार पर हमें
लग्न में सभी 12 राशियों पर स्थित सूर्य के विषय में जानकारी प्राप्त करनी पड़ेगी |
बृहदजातक के 18वें
अध्याय में कहा गया है कि यदि लग्न में ऊंच का सूर्य अपनी उच्चतम अंशों
में हो तो जातक विश्वप्रसिद्ध होता है घूमने फिरने का शौकीन होता है उसके पास धन होता है
और वह हथियार लेकर चलता है इसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि ऐसा जातक जगह जगह घूमने
वाला रईस तथा बहुत से नौकर-चाकर वाला हो सकता है |
ऐसा जातक
जिसका सूर्य वृषभ राशि में हो कपड़ों से संबंधित काम करने वाला,इत्र अथवा अन्य सामान बेचने वाला,औरतों से घृणा करने वाला,तथा संगीत गायन
तथा वादन में पारंगत होता है |
मिथुन का
सूर्य वाला जातक व्याकरण का जानकार,ज्योतिषी तथा रईस हो
सकता है |
कर्क का सूर्य
वाला व्यक्ति स्वतंत्र,रौबदार,गरीब,दूसरों का कार्य
करने वाला तथा पैरों से परेशान यात्रा करने वाला होगा |
सिंह का सूर्य
वाला व्यक्ति जंगलों,पहाड़ों व गौशालों में रहने वाला,शक्तिशाली परंतु मूर्ख होगा |
कन्या का सूर्य
वाला व्यक्ति लेखन,चित्रकारी करने वाला,गणितज्ञ होगा जिसके पास दुनियादारी की समझ होगी परंतु उसका शरीर स्त्री की
भांति होगा |
तुला का सूर्य
वाला व्यक्ति मदिरा का शौकीन अथवा मदिरा बनाने वाला,घूमने फिरने का शौकीन,बुरे कार्य करने
वाला होगा |
वृश्चिक का सूर्य
वाला जातक रौबदार,बिना सोचे समझे
काम करने वाला,जहर से संबंधित
कार्य से
धन कमाने वाला तथा शस्त्र विद्या सीखने वाला होगा |
धनु का सूर्य
वाला जातक संतो के द्वारा सम्मानित, धनवान,स्वतंत्र तथा दवा एवं वास्तु कला का जानकार होगा |
मकर का सूर्य
वाला व्यक्ति अपने स्तर के अनुसार काम ना करने वाला,तुच्छ कार्य करने वाला,जिसके पास थोड़ा
सा धन होगा तथा दूसरे व्यक्तियों की संपत्ति पर
मौज करने वाला होता है |
कुंभ राशि में
सूर्य वाला व्यक्ति अपने स्तर से कम काम करने वाला गरीब होता है जिसके पास ना तो पुत्र
होते हैं और ना ही संपत्ति होती है |
मीन राशि में
सूर्य वाला जातक जल से संबंधित कार्य कर कर धनवान तथा औरतों के द्वारा सम्मानित
होता है |
जातक पारिजात
के अध्याय 8 में कहा गया है सूर्य यदि मेष राशि में हो तो जातक थोड़ा धनवान होता है
|
वृष में हो तो जातक
संगीत मे खुश रहता है |
मिथुन का सूर्य
होने पर सबकी परवाह करने वाला सम्मान देने वाला तथा सीखने की इच्छा रखने वाला धनवान
होता है |
कर्क का होने पर मासूमियत
लिए होता है |
सिंह का सूर्य
होने पर कला का जानकार तथा चालाक होता है |
कन्या का सूर्य
होने पर ऐसा जातक धन की पूजा करने वाला होता है |
तुला का सूर्य
होने पर साहसी होता है |
वृश्चिक का सूर्य
होने पर जातक प्रशंसनीय व सम्मानित होता है |
धनु का सुर्य होने पर व्यापारी होता हैं |
मकर का सूर्य
होने पर हर प्रकार से चालाक होता हैं |
कुंभ का सूर्य
होने पर संतान सुख से वंचित रहता हैं |
तथा मीन का सूर्य
होने पर जल अथवा कृषि कार्य करने वाले होता है |
इस प्रकार
यदि हम देखें तो प्रत्येक शास्त्र में सूर्य के अलग-अलग स्थिति के अनुसार
फल कहे गए हैं जैसे एक शास्त्र में कहा गया है कि सिंह का सूर्य आदमी को मूर्ख बनाता
है जबकि दूसरे मे कहा गया है कि चतुर
बनाता है एक शास्त्र में कन्या का सूर्य विद्याओं का जानकार बनाता है जबकि दूसरे
शास्त्र में उसे पैसा एकत्रित करने वाला बताया गया है तुला का सूर्य एक के अनुसार
गलत काम करने वाला तथा दूसरे के अनुसार साहसी बताया गया परंतु है यह भी सत्य
है कि गलत काम करने के लिए साहस होना जरूरी होता है वृश्चिक का सूर्य जातक को शस्त्र
विद्या को सीखने वाला जानकार बताता है वही धनु का सूर्य जातक को संपत्तिवान
तथा कलाकार वस्तुओ को एकत्रित करने वाला बताता है लेकिन दूसरे शास्त्र में उसे व्यापारी
बताया गया है मकर के सूर्य को एक जगह मासूमियत बताई गई है तथा दूसरी जगह उसे हर विषय
में चालक बताया गया है |
अनुभव में आता
है की सूर्य जब मेष का होता है तो वह कम संपत्ति देता है परंतु देखा जाये तो ऐसे व्यक्ति को
शक्ति और धनवान होना चाहिए क्योंकि यहां सूर्य उच्च का होता है | सूर्य का वृष में होना संगीत से संबंधित जानकारी दे सकता है
परंतु मिथुन का होने पर उस व्यक्ति को कई विद्याओ का जानकार कहा गया है वही
कर्क के सूर्य के लिए मासूमियत तथा गरीब होना बताया गया है
जो कि अधिकतर ग़लत पाया जाता हैं परंतु दोनों शास्त्र इस विषय पर कायम है कि कुंभ
का सूर्य संतान सुख से वंचित रखता है तथा मीन का सूर्य पानी से संबंधित कार्य करवाता है फिर भी
यह देखा जा सकता है कि सूर्य अपने मित्र राशियों में जैसे मंगल और गुरु की राशियों
में जो कि मेष वृश्चिक धनु और मीन होगी अच्छे फल ही देता है मंगल की राशियों में यह
सूर्य शस्त्रों से लाभ राजनीति तथा समाज से संबंधित कार्य बताता है तथा गुरु की राशियों
में व्यापार के द्वारा तथा कला के द्वारा मददगार साबित होता है इसके
विपरीत अपने शत्रुओं की राशियों में सूर्य को शुभता देता
नहीं देखा गया शुक्र की राशियों में सूर्य स्त्रियों के द्वारा हानि
तथा खानपान में सुविधा प्रदान नहीं करता वही शनि की राशि में सूर्य जातक को नास्तिक
तथा सभी चीजों से भागने वाला बताता है जो जीवन में आर्थिक रुप
से सफल नहीं होता जबकि बुध की राशियों में सूर्य जातक
विशेष को कला अथवा विज्ञान से संबंधित जानकारी प्रदान करता है परंतु चंद्र के कर्क
राशि में सूर्य को अशुभता देने वाला तथा अप्रसन्नता देने वाला कहा गया
है जबकि सूर्य की स्वयं की राशि में इसे पहाड़ों अथवा जंगलों में रहने वाला बताया गया
है संभवत: इसका कारण शेर से संबंधित प्रकृति का होना भी
है | इस प्रकार देखे तो बहुत से शास्त्रों
में एक ही ग्रह को देखकर विरोधाभास देखने को मिलता है यहां यह भी ध्यान रखना पड़ेगा
कि जब भी जातक कि हम सूर्य की बात करें तो प्रथम भाव पर होने पर जातक प्रात: कालीन जन्म का होगा जिससे उसके अंदर सूर्य की स्थिति का कुछ प्रभाव
अवश्य ही पाया जाएगा |