ग्रहों के
अशुभ प्रभाव से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति ज्योतिषी के पास जाकर पूछता
है कि उसके लिए कौन सा रत्न धारण करना उसे ग्रह के दुष्प्रभाव से राहत पहुंचाएगा
जो लोग समर्थ हैं वो रत्न लेकर अपना उपाय कर लेते हैं क्यूंकी रत्नों की अच्छी कीमत होने पर प्रत्येक व्यक्ति
रत्न धारण कर ऐसा नहीं कर पाता है तो वह अन्य
उपाय की ओर भागता हैं | हमारे प्राचीन
विद्वानो ने प्रत्येक ग्रह को अलग-अलग रंग प्रदान किए हैं
तथा अनुभव में देखने मे आता है कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति
किसी न किसी रंग के द्वारा अवश्य ही प्रभावित होता है |
हम हिंदू गाय
को पवित्र जानवर मानते हैं अंगारक पीड़ा अर्थात मंगल के दुष्प्रभाव से बचने के लिए
यदि गाय की पूजा की जाए तो बड़ी राहत मिलती है बृहस्पतिवार के दिन सवा किलो का लड्डू
जो कि गेहूं के आटे और गुड़ से बना हुआ हो अगर गाय को तीन बार “भौमाय स्वाहा” का जाप करते
हुए खिला देने से बड़ी राहत प्राप्त होती हैं ऐसा खास तौर से यदि
परिवार की स्त्री जातिका जैसे कि पत्नी,मां आदि करे तो तो मंगल ग्रह
की पीड़ा से व्यक्ति विशेष को बहुत राहत मिलती है | यह उपाय मंगल
जनित अन्य बाधाओं जैसे जो बच्चे पढ़ाई ना करते हो या परीक्षा पास नहीं कर पा रहे हैं,ऐसे व्यक्ति जिन्हें उनके स्वामी किसी न किसी कारण परेशान करते हो,ऐसे व्यक्ति जो बहुत मेहनत करने पर ही कामयाब होते हैं,ऐसी लड़कियां जिनका विवाह मंगल पीड़ा की वजह से नहीं हो पा रहा है किए जाने पर लाभ प्रदान करता हैं |
काला रंग जो
की किसी भी रंग का ना होना बताता
है रोशनी के परिवर्तित होने का,बुराई,अशुभता अथवा मृत्यु का प्रतीक होता है तथा इसके प्रभाव से
जातक विशेष को डिप्रेशन होने की संभावना बनती है शनि ग्रह से
संबंधित माना गया है शनि पीड़ा से बचने के लिए हिंदुओं में अधिकतर काले
कपड़े,काली उड़द दाल अथवा काली गाय की सेवा करना या
काली गाय का दान करने के लिए कहा गया है | शनिवार के दिन काले तिल में गुड़ मिलाकर काली गाय
को खिलाएं जाए और उसे शनि देवता माना जाए तो काफी राहत मिलती है गाय की पूजा
करने के साथ-साथ धार्मिक स्थानों की यात्रा करने से भी जातक विशेष को
शनि ग्रह की पीड़ा से काफी लाभ मिलता देखा गया है |
आइए अब राहु
के विषय में जानकारी लेते हैं हम सभी जानते हैं राहु हमारे द्वारा पूर्व जन्म में किए गए अच्छे या बुरे कर्मों को कुंडली मे अपनी
स्थिति से दर्शाता है बहुत से परिवार में यह देखा जाता है कि उनके जवान
पुत्र की मृत्यु हो जाती है अथवा उनकी बेटियां विधवा हो जाती हैं कभी-कभार यह भी देखने
में आया कि परिवारिक सदस्य की मृत्यु सांप के काटे जाने अथवा जहर आदि से हुई कुछ परिवारों में
गूंगे,लूले,लंगड़े,अंधे,मानसिक रोगी बच्चे भी पाए
गए यह सभी दोष राहु की अशुभता के कारण ही होते हैं शास्त्र अनुसार ऐसा पूर्व जन्मो मे
किए गए ग़लत कर्मो जैसे किसी के गहने अथवा संपत्ति का हरण किया गया हो,किसी की हत्या की हो या स्वयं आत्महत्या की हो,किसी से नाजायज संबंध रखे गए हो,किसी को बिना
वजह तकलीफ पहुंचाई गई हो विशेष तौर से
ब्याज पर पैसा दिया गया हो अथवा किसी का धन हड़प कर लिया गया हो,गर्भपात करवाया गया हो या किसी बच्चे को अथवा व्यक्ति को पढ़ाई से वंचित किया
गया हो निम्न सभी कारणों से राहु द्वारा कृत श्राप पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है
राहु पीड़ा की शांति के लिए अधिकतर नारायण बलि,त्रिपिंडी और नागबली श्राद्ध
किए जाने का प्रयोजन है जिसमें सोने और चांदी का सांप बनवाकर भगवान शिव को अर्पित किया
जाता है और श्री गुरुचरित्र का पाठ किया जाता है हनुमान की उपासना की जाने से भी राहु
की शांति होती है |
शास्त्रों
में सभी ग्रहों की शांति के लिए उनसे संबंधित तंत्र,मंत्र व औषधि के विषय में बताया गया है कहीं-कहीं उनसे संबंधित जड़ी बूटियों
को पानी में भिगोकर उनका स्नान किए जाने का भी महत्व बताया गया है ताकि ग्रहों की शांति
की जा सके सभी प्रकार से संबंधित अशुभ ग्रहों के देवताओं की पूजा अर्चना करने से भी
ग्रह दोषों में शांति पाई जाती है ऐसा अनुभव में देखने पर आता है |
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