गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

संक्रांति


हम सभी जानते हैं की सूर्य प्रत्येक माह अपनी राशि को परिवर्तित करते हैं प्रत्येक महीने का वह दिन जब यह सूर्य राशि परिवर्तन करते है हिन्दू समाज मे सक्रांति का दिन कहलाता है वैसे तो यह सक्रांति का दिन साल में 12 बार ता हैं परंतु इनमे से 4 क्रांतियों का महत्व हिंदू ज्योतिष शास्त्र में बहुत ज्यादा माना गया है | यह चार संक्रांतियाँ निम्न है |

1)मेष संक्रांति - जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है जो की संभवत: अप्रैल माह मे हो होता हैं तो उसे मेष संक्रांति कहते हैं ये मेष राशि सूर्य की उच्च राशि मानी गयी हैं इसलिए इस राशि में सूर्य का प्रवेश बहुत ही शुभ माना जाता है इससे भारतीय समाज में मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाना,तिल के द्वारा पितृ तर्पण करना तथा प्याऊ लगवाने को बहुत शुभ माना जाता है | हमारे शास्त्रो मे इस दिन बकरे का दान किये जाने का विशेष महत्व कहा गया हैं |

2)कर्क सक्रांति कर्क राशि में सूर्य प्रवेश जब करता हैं जो की जुलाई माह मे होता हैं जिसे सूर्य का दक्षिणायन होना भी कहा जाता हैं जिससे वर्षा ऋतु का आगमन होता है तथा देवताओं के चातुर्मास आरंभ हो जाते हैं उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता | भारतीय समाज इस समय भगवान विष्णु की पूजा करता है तथा इस दिन गन्ना वस्त्र आदि का दान किया जाता है |

3)तुला सक्रांति - अक्टूबर माह में जब सूर्य अपनी नीच राशि तुला में प्रवेश करता है तब शरद ऋतु का आरंभ माना जाता है तथा नया अनाज तैयार होता है इस दौरान माँ लक्ष्मी की उपासना की जाती है इस संक्रांति मे कावेरी नदी के स्नान की महत्वता बहुत ज्यादा मानी गई है तथा तिल व गौरका दान किया जाता है |

4)मकर सक्रांति जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी के आसपास करते हैं इसे उत्तरायण में सूर्य का प्रवेश कहा जाता है इस समय तीर्थों में स्नान करने का बड़ा महत्व है कंबल,तिल,घी तथा खिचड़ी का भोग अथवा दान किए जाने की परंपरा इस सक्रांति में रखी गई है | इस दिन कोई भी दान 14 की संख्या में किए जाने का अत्यधिक महत्व है | यह भी माना जाता है कि मकर सक्रांति के बाद शरद ऋतु की समाप्ति हो जाती है इस दिन लकड़ी और ऊनी वस्त्र का दान किए जाने का विशेष महत्व होता है |


कोई भी सक्रांति यदि रविवार को पड़ती है तो उसे हृदय वार माना जाता है जिस दिन आदित्य हृदय श्रोत का 108 बार पाठ करना चाहिए तथा सूर्य की पूजा करनी चाहिए |

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